For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1222 - 1222 - 1222 - 1222

फ़क़त रिश्ते जताने को यहाँ मेरी ज़रूरत है 

अज़ीज़ों को सिवा इसके कहाँ मेरी ज़रूरत है 

मुझे ग़म देने वाले आज मेरी राह देखेंगे 

मुझे मालूम है उन को जहाँ मेरी ज़रूरत है 

मेरे अपने मेरे बनकर दग़ा देते रहे मुझको 

सभी को ग़ैर से रग़्बत कहाँ मेरी ज़रूरत है 

लिये उम्मीद बैठे हैं वो मेरी सादा-लौही पर 

चला आता हूँ मैं अक्सर जहाँ मेरी ज़रूरत है

कभी इतराते हैं ख़ुद पर कभी सहमे हुए से वो

बहुत घबरा के कहते हैं कि हाँ मेरी ज़रूरत है 

ज़रूरत कब रही मेरी तुम्हें ख़ुशियों के मौक़े पर 

मगर.. रखने को सर काँधे पे हाँ मेरी ज़रूरत है 

मेरे हाथों फ़ना मुझको ही कर डाला है जब तुम ने 

बचा ही क्या है अब क्यों नागहाँ मेरी ज़रूरत है 

'अमीर' अब भर चुका दिल भी तमाशा क्यों उन्हें भी तो 

वही ग़ैरों की चाहत है कहाँ मेरी ज़रूरत है 

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 1047

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 9, 2021 at 3:38pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, ज़र्रा नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 9, 2021 at 3:37pm

मुहतरम श्याम नारायण वर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, ज़र्रा नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।  सादर 

Comment by Rachna Bhatia on December 9, 2021 at 11:33am

आदरणीय अमीरुद्दीन "अमीर" जी बेहतरीन ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार करें।

Comment by Shyam Narain Verma on December 9, 2021 at 11:07am
नमस्ते जी, बहुत ही उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 5, 2021 at 3:48pm

मुहतरम सुशील सरना जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 5, 2021 at 3:46pm

मुहतरम तेजवीर सिंह जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। सादर।

Comment by Sushil Sarna on December 5, 2021 at 3:34pm
वाह आदरणीय खूबसूरत अश'आर खूबसूरत अन्दाज की शानदार गजल । दिल से मुबारक कबूल करें सर ।
Comment by TEJ VEER SINGH on December 5, 2021 at 12:13pm

हार्दिक बधाई आदरणीय अमीरुददीन 'अमीर' साहब जी। लाजवाब ग़ज़ल।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
13 hours ago
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
13 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service