For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (तू वतन की आबरू है तू वतन की शान है)

2122- 2122- 2122- 212

तू वतन की आबरू है तू वतन की शान है

ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत तुझपे दिल क़ुर्बान है

तेरी जुर्रत से  हुआ नाकाम दुश्मन हिन्द का

नाज़ करता आज तुझपे सारा हिन्दुस्तान है 

हैं मुबारक तेरी गलियांँ, गाँव तेरा, घर तिरा 

मरहबा माँ बाप हैं वो जिनकी तू संतान है

ईद हो या हो दिवाली सरहदों पर ही रहा 

मेरी धड़कन मेरी साँसों पर तेरा अहसान है 

मुल्क पर होते फ़िदा जो वो कभी मरते नहीं 

हर सिपाही की ये हसरत बस यही अरमान है 

याद फिर आया तेरी लेकर शहादत का ये दिन 

आँखों से बहता है दरिया दिल मेरा वीरान है 

ये अक़ीदत की ख़िराज अब पेश करता है 'अमीर' 

जान-ओ-तन क़ुर्बान मेरा तुझपे सब क़ुर्बान है

"मौलिक व अप्रकाशित" 

Views: 764

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 26, 2021 at 8:21pm

जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आपका मशविरा और मशविरे का अंदाज़ भी ख़ूब है। सादर। 

Comment by Aazi Tamaam on March 25, 2021 at 9:30pm

सादर प्रणाम अमीर जी वाह क्या ग़ज़ल कही है मज़ा आ गया

क्या शैर है

"हैं मुबारक तेरी गालियाँ गाँव तेरा घर तिरा

मरहबा माँ बाप हैं वो जिनकी तू संतान है"

सादर

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on January 29, 2021 at 9:48pm

जनाब कृष मिश्रा 'जान' साहिब गोरखपुरी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।  सादर।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on January 29, 2021 at 6:02pm

देश के वीर सपूतों के नाम लाज़वाब ग़ज़ल हुई है आ.अमीरुद्दीन सर जी शेर दर शेर दाद पेश करता हूं।सादर।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 15, 2020 at 1:44pm

जनाब लक्षमण धामी भाई 'मुसाफ़िर' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के बेहद मशकूर हूँ। सादर। 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 15, 2020 at 1:09pm

आ. भाई अमीरूद्दीन जी, सादर अभिवादन । अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 15, 2020 at 12:16pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया। सादर। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 14, 2020 at 10:07pm

बड़ी ही सुन्दर और भावपूर्ण ग़ज़ल कही आदरणीय..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
19 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service