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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – July 2016 Archive (1)

परख सकती नहीं हर आँख गहना रूप का यारो - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’(ग़ज़ल)

1222    1222    1222    1222



जफा कर यूँ  मुहब्बत में  कभी ऊपर  नहीं होते

वफा के  खेत दुनियाँ  में कभी  बंजर नहीं होते।1।



खुशी मंजिल को पाने की वहाँ उतनी नहीं होती

जहाँ  राहों में मंजिल की  पड़े पत्थर नहीं होते।2।



परख सकती नहीं हर आँख गहना रूप का यारो

किसी की सादगी से बढ़  कोई जेवर नहीं होते।3।



नहीं चाहे बुलाता  हो उसे फिर तीज पर नैहर

न छोड़े गर नदी  नैहर  कहीं सागर नहीं होते।4।



यहाँ कुछ द्वार सुविधा के खुले होते जो उनको भी

पहाड़ी …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 29, 2016 at 11:25am — 11 Comments

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