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Rohit Dubey "योद्धा "'s Blog (21)

नानी की कमी जीवन पर्यन्त याद आएगी!

नानी की कमी जीवन पर्यन्त याद आएगी ,

आंखें मेरी क्षण-क्षण अक्षुओं से भर आएंगी

खाये जिनके बनाये गर्मियों में चांवल और दाल,

छोड़ के हम नाती-पोतों को कब दूर चली जाएगी…

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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on April 20, 2021 at 11:00am — No Comments

मैं  इस देश का नेता हूँ

मैं  इस देश का नेता हूँ, आपसे कुछ ना लेता हूं।

ख्वाब चाँद के दिखलाता हूँ, विभु स्वप्न भेंट कर देता हूं

मैं इस देश का नेता हूँ, आपसे कुछ ना लेता हूं।

पंचवर्ष सेवा में रहकर, सौ वर्ष के ख्वाब दिखाता हूँ  

मैं इस देश का नेता हूँ, आपसे कुछ ना लेता हूं।…

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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on June 5, 2018 at 11:00am — 4 Comments

माचिस की तीली की आत्मकथा ( लघुकथा )

सिरा है मेरा काला ,

तन है मेरा सफ़ेद |

मोल नहीं कुछ मेरा ,

करूँ अगर रंगों में मेरे भेद |

कोई ना जाने मोल मेरा,

गर रहूँ मैं डिब्बे में बंद |

बाहर निकल कर रगड़ जो खाऊं ,

तब बनु मैं ज्योत अखंड |

रहती हूँ अपनी सहेलियों के सांथ,

काम आती रहेंगी जो आपके ,

मेरे जाने के भी बाद |

लौ के रूप में उत्साह के सांथ हम बाँट लेती हैं एक दूजे का दर्द /``\ /``\

त्योहारों में दिया जलाकर खुशियां भी लाती हूँ |

बीड़ी-सिगरेट को जला कर धूम्रपान भी फैलाती…

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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on June 27, 2015 at 7:59pm — 7 Comments

वो चार पहियां गाड़ी

वो चार पहियां गाड़ी कहाँ मिलेगी कोई हमें  बता दे,

एक हमसफ़र के  साथ चलायें जिसे , ऐसी कोई खता दे 



जिसमे न खिड़की हो,

जिसमे न दरवाज़ा ,

जो चले ज़रा धीरे-धीरे , 

बादलों को चीरे-चीरे |



वो चार पहियां गाड़ी  कहाँ मिलेगी कोई हमें  बता दे,

एक हमसफ़र के  साथ चलायें जिसे , ऐसी कोई खता दे 



पहियां बड़ा…

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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on June 23, 2015 at 7:30pm — 5 Comments

गौमाता का दर्द

गौमाता का दर्द

कल जब देखा मैंने गौमाता की ओर मेरी ऑंखें भर आई

आंसू थे उनकी पलकों के नीचे , जैसे ही वह मेरे पास आई

गुम-सुम सी होकर देख रही थी मेरी ओर

रम्भा कर ही सही "मगर कह रही थी कुछ और"

हे मानव तुम चाहते क्या हो मुझ से ?

क्या संतुष्ट नहीं तुम इतने सुख से ?

धुप-छांव में दिन रात गुजारूं

बिना किसी ईंधन के वाहन की तरह रोज़ मैं चलती हूँ

खाने को जो भी मिले

ख़ुशी ख़ुशी चर लेती हूँ

कचरे की पेटी में पड़ा तुम्हारा झुटा भोजन खा लेती हूँ

घास में न…

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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on May 5, 2015 at 9:02pm — 5 Comments

मेरी प्यारी भारत माँ

जब देखता हूँ इस युग के भारतवर्ष के मंत्रियों को

खौल उठता है दिल जब देखता हूँ भ्रष्टाचारियों को

हर सड़क पर खुदे हैं गड्ढे

हर गली में कचरों की भरमार

हर रोज़ अख़बारों में हत्या का समाचार

राजधानी होकर भी हर रोज़ होता बलात्कार

सदाचारियों से सरकार का नहीं कोई सारोकार

गरीबी बढती दिन पर दिन

सरकार करती रोज़ भ्रष्टाचार

सदाचारी मंत्रियों की बढती दरकार

दुष्कर्मियों पर परोपकार

सद्कर्मियों का तिरस्कार

मंत्रियों के पास धन की भरमार

आम नागरिकों को…

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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on May 27, 2013 at 10:00am — 5 Comments

तन्हाई

ये तन्हाई अब काटने को दौड़ती है 

यह गुमनामी हमें अन्दर से  तोडती है 

हम उस कीड़े की तरह  हैं जो आबाद समंदर में होकर भी

एक सीपी में कैद है 

हम उस पेड़ की तरह हैं जो घने जंगल में 

होकर भी सूरज की रौशनी  से अब तक महफूज़  है 

हम उस कैद पंच्छी  की तरह हैं, 

 जो असमानों को छोड़ एक पिंजरे में कैद है…
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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on March 27, 2013 at 11:24am — 3 Comments

काले किले का वो काला कलाल

यह रचना हास्य के लिए रची गयी है, कृपया अपना दिमाग साइड में रख दें , और अपने बचपन की शरारतों भरी यादों में खो जाएँ :

 

काले किले का वो काला कलाल

भोलू के भाले में अटका वो बाल |

मामा के मोहल्ले का माल-पुआ

गुल्लू की गाली का गुलाब जामुन

पुणे के पानी को पीने को जाना

पान चबाकर वो पाना ले आना

गन को दिखाकर वो गाना तो गाना

गुनगुना के वो धुन…

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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on September 21, 2012 at 11:30pm — 12 Comments

वतन पर नाज़

है मुझे अपने वतन पर बड़ा ही नाज़ 

 जहाँ हर कदम पर है एक नया साज़ 
कहीं खुशियाँ तो कहीं गम की आवाज़ 
कहीं उल्लास तो कहीं उदास 
कहीं मिठास तो कहीं खटास
कहीं कल की चिंता तो कहीं गीत गुनगुनाता आज 
कहीं उगता हुआ…
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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on August 14, 2012 at 11:57pm — 1 Comment

उड़ने दो मुझे आस्मां में



इस कविता में मैंने आज के उस आम आदमी की व्यथा बताई  है , जो  बहुराष्ट्रीय कंपनी के चक्कर में  फसकर प्रकृति से जुदा हो गया है , आज की इस भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में , इस स्पर्धा  में हम खुद को प्रकृति से बहुत दूर कर गए हैं |पेश है आम आदमी की उस व्यथा को जो उसे मजबूर बनाकर आम आदमी बना देती है , कैसे इंसान इस भेड़ चाल में अपने सपनो का गला घुटता  पा रहा है!

कैद न करो मुझे पिंजरों में

उड़ने दो मुझे आस्मां  में 
छीनो न…
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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on June 2, 2012 at 10:30pm — 6 Comments

कोशिशों के समंदर

कोशिशों के समंदर से कामयाबी के मोती ढून्ढ लायेंगे 

हौसले की पतवार से कठिनाइयों का दरिया पार कर जायेंगे 
लक्ष्य के बादल को अपनी प्रतिभा के तीर से ऐसे चीर जायेंगे 
वर्षा के सामान हमारे गुण हर दिशा में बरस जायेंगे 


हिमालय की चोटियों की  तरह  ऋतू में शीतल  रहेंगे
क्रोध अहंकार और लालच को कभी नहीं अपनाएंगे 
सरिता के जल के  सामान हमेशा प्रयत्नरत …
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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on May 30, 2012 at 8:00pm — 14 Comments

इस मुकम्मल जहाँ में

यादों में जी कर उसकी खुद को परेशान  कर रहें है
अब यही काम सरे आम कर रहे हैं 
होते थे पहले औरों से,
 मगर अब खुद ही को बर्बाद कर रहे हैं 


आँखों में उसकी जीते थे 
सांसों को उसकी छुते थे
राहों से उनकी गुज़रते थे
चाहों में…
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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on May 27, 2012 at 12:30am — 6 Comments

सोचा न था

कभी प्यार हमें भी हो सकता है  , हमने  सोचा न था

दिल हमारा भी यूँ धड़क सकता है , हमने सोचा न था
जिस एहसास से हम गुज़र रहे है वो एहसास,
जिसमे हर पल किसी को पाने की है आस 
हमे भी होगा, सोचा न था |
कोशिशें की उन्हें भुलाने की इस दिल को पत्थर बनाने की
यादों को उनकी मिटाने की 
ख्वाबों को  उनके  भुलाने की
लाखों कोशिशों के बाद भी ये  मिट न पाएंगे,
सोचा न था |
एक बात मगर फिर भी इस…
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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on April 11, 2012 at 11:00am — 5 Comments

खुदा से जंग

हर पल एक जंग के जैसी होती है ज़िन्दगी
कभी रंगीन तो कभी बेरंग होती हे ज़िन्दगी
कभी मामूली तो कभी संगीन होती है ज़िन्दगी 
कभी ग़मगीन तो कभी खुशियों में लीन होती है ज़िन्दगी 


लेकिन यहाँ कुछ अलग ही हिसाब है
खुदा जनाब हमसे इतने नाराज़…
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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on April 4, 2012 at 12:00am — 2 Comments

मेरा डर

जीता हूँ हर पल इस दुनिया में मगर 

डरता हूँ इस दुनिया से ,यह मुझे गुमनाम न बना दे 

लड़ता हूँ हर पल एक जंग सी खुद से
खो देता हूँ  सपनों के पूरा होने की आस 
टूट सा जाता है विश्वास खुद से 
सजाये थे जो ख्यालों के जो आशियाने 
उम्मीदों के बनाये थे जो शामियाने 
जैसे एक बवंडर सा आया और सब तबाह कर गया 
रह गयी तोह बस वोह नीव जिस पर सब टिका था 
कभी खुद की नज़रों का तारा था…
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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on March 9, 2012 at 1:53am — 5 Comments

मासूम इश्क

देखें हैं हमने नज़ारे कई , शरारे कही  तो बहारें कई ,

लिखी-पढ़ी  है खूबसूरती की कई परिभाषाएं 

कही-सुनी है इबादत ए हुस्न की कई कवितायेँ …
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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on February 6, 2012 at 9:00pm — 2 Comments

सर्दी का आगाज़

एक सुबह ना जाने क्या हुआ

ऐसा लगा की सुबह तो रोज़ होती है ,

पर आज अलग कुछ बात है

इन हवाओं में घुली है शरारत,

जैसे इन्होने छोड़ी है शराफ़त

ज़रूर कोई छुपा हुआ राज़ है

निकला जो घर से , तो देखा फूलों को मुस्कुराते हुए…

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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on December 13, 2011 at 9:30pm — 3 Comments

दीवाना बना कर चली गयी

कोई  आई  और  मुझे   दीवाना   बना   कर   चली   गयी  

साँसों   में    मेरी   घुल   गई  

आँखों  में  मेरी  घर  कर  गयी 

दिल  के  आंगन  में  आशियाँ    बना  के  बस  गयी | 



 

 

उसे   ढूँढूं   कहाँ  में   यूँ   गलियों  में …

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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on July 20, 2011 at 2:43pm — 2 Comments

भटके मुसाफिर

दोस्तों आज देश के उपर कुछ पंक्तियाँ लिखने जा रहा हूँ......................



जब आज़ाद हुआ था भारतवर्ष,

एक सपना सबने देखा था,

जैसे चाँद चमकता है तारों मे,

वैसा होगा देश कुछ सालों मे,

देश हमारा करेगा विकास,

गाँधी जी की यही थी आस,

खुदा भी देगा अपना साथ,

ऐसा उनका था विश्वास.



आज 64 साल हुए,

हम सब को आज़ाद हुए,

लेकिन क्या एक पल को सोचा,

क्या से क्या हालात हुए,

कल अँग्रेज़ों ने राज किया था,

हमें बहुत बर्बाद किया था,… Continue

Added by Rohit Dubey "योद्धा " on July 13, 2011 at 11:00pm — 3 Comments

Khuda se Guzarish hai

Yaron ne ruswa kiya, Ishk ne gham diya, Imtihanon ne toh kahin ka na chhoda,

tab khuda tera khayal aya , ab teri inayat karta hun mai , ab tujhse guzarish karta hu main, yaron ne toh choda hai , par tune kisko chhoda hai, ab meri fariyad sun le tu, ab beda paar kar de tu, jo beet gaya sab bhul chuka , fir se bigdi bana de tu, ek naya…

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Added by Rohit Dubey "योद्धा " on February 18, 2011 at 10:41am — 1 Comment

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