For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उड़ने दो मुझे आस्मां में


इस कविता में मैंने आज के उस आम आदमी की व्यथा बताई  है , जो  बहुराष्ट्रीय कंपनी के चक्कर में  फसकर प्रकृति से जुदा हो गया है , आज की इस भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में , इस स्पर्धा  में हम खुद को प्रकृति से बहुत दूर कर गए हैं |पेश है आम आदमी की उस व्यथा को जो उसे मजबूर बनाकर आम आदमी बना देती है , कैसे इंसान इस भेड़ चाल में अपने सपनो का गला घुटता  पा रहा है!

कैद न करो मुझे पिंजरों में

उड़ने दो मुझे आस्मां  में 
छीनो न  मेरी आज़ादी मुझसे
जिंदा हैं, कई आबादी मुझसे 
हवाओं से करता हूँ गुफ्तगू 
मेघों को छूने की रखता हूँ आरज़ू 
उड़ता हूँ जहाँ दिल मेरा चाहे 
शाखों में पेड़ों की घर बना लेता हूँ
ठहरता  भी हूँ तो अलग अंदाज़ में 
राहें में  अपनी खुद बनाता हूँ 
किसी की राहों पर  चलता नहीं 
गाता हूँ में मन का गीत
चाहे हो न हो कोई मेरा मीत  
कभी वन तो कभी नभ 
कभी सरिता तो  कभी धरा
हर दिशा में मेरा बसेरा  
पीता हूँ मैं नदियों का पानी
गूंजती है मेरी मधुर ध्वनि 
उन गीरियों में , उन वनों में
न करो मुझे जुदा इस प्रकृति से
एहसान है इसका मेरे हर बीते पल पर 
मेरे पंख लालाहित हो रहे हैं उड़ने को
आज़ाद करदे मुझे स्वार्थी मनुष्य इस कैद से |
 
 
 
 

Views: 457

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ganesh lohani on June 4, 2012 at 11:52am

रोहित जी बहुत खूब रचना है | एक ओर प्रकीर्ति का सुन्दर वर्णन दूसरी ओर नवयुवकों की ब्यथा | 

Comment by MAHIMA SHREE on June 3, 2012 at 10:03pm
हवाओं से करता हूँ गुफ्तगू 
मेघों को छूने की रखता हूँ आरज़ू 
उड़ता हूँ जहाँ दिल मेरा चाहे 
शाखों में पेड़ों की घर बना लेता हूँ
ठहरता  भी हूँ तो अलग अंदाज़ में 
राहें में  अपनी खुद बनाता हूँ 

वाह रोहित जी बहुत बढ़िया बधाई स्वीकार करें

Comment by Albela Khatri on June 3, 2012 at 8:54pm

सम्मान्य  रोहित दुबे जी, बधाई
बहुत अच्छी रचना ...हालाँकि  थोड़ी और सजावट करते तो बेहतर था ..परन्तु आपकी बात में दम है  इसलिए all is well !

Comment by Rekha Joshi on June 3, 2012 at 5:56pm

Rohit ji ,badhiya rachna 

गाता हूँ में मन का गीत

चाहे हो न हो कोई मेरा मीत  
कभी वन तो कभी नभ 
कभी सरिता तो  कभी धराbadhai 
Comment by chandan rai on June 3, 2012 at 3:40pm
उड़ने दो मुझे आस्मां में
छीनो न मेरी आज़ादी मुझसे
जिंदा हैं, कई आबादी मुझसे
हवाओं से करता हूँ गुफ्तगू
वाह मित्र ! कमाल का लिखा

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 3, 2012 at 12:10pm

आसमानों में उड़ने वाले तूफानों से कहाँ डरते हैं ....बहुत सुन्दर जज्बा लिए हुए आपकी रचना एक सकारात्मक सोच को दर्शाती ...बहुत अच्छी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service