Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on May 25, 2017 at 3:24pm — 11 Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on January 12, 2017 at 10:04pm — 9 Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 12, 2016 at 4:00pm — 18 Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 4, 2016 at 1:30pm — 7 Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on October 31, 2016 at 8:22am — 8 Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on October 24, 2016 at 9:30am — 6 Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on September 26, 2016 at 9:21am — 18 Comments
बह्र-२१२२ २१२२ २१२२ २१२,
 मुस्कुराती चांदनी है तो पिघलने दीजिये।
 गेसुओं में चाँद तारे आज ढलने दीजिये।1
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 अश्क भर भर जाम पीता मै रहा हूँ दोस्तो,
 डगमगाते इस कदम को भी सँभलने दीजिये। 2
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 जा रहेगें मंजिलों तक जख़्म वाले पांव भी,
 यार बस अपने कदम को राह चलने दीजिये। 3
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 इस जहां को तो लुभाये चंद सिक्को की खनक,
 बस हमारे ही हृदय में प्यार पलने दीजिये। 4
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 नफ़रतों की भीड़ में जो आग थे कल बाटते,
 लुट गए वो लोग भी अब हाथ…
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on September 13, 2016 at 1:00pm — 11 Comments
२१२२ २२१२ २२,
 जख्म जब दिल कोई छुपाता है।
 दर्द होठों पर मुस्कुराता है।
 ******
 मद भरी आँखे होठ के प्याले,
 शाम ढलते ही याद आता है।
 ******
 वो भला कैसे सँभलना जाने,
 जो नही कोई चोट खाता है।
 ******
 जाम पीकर भी प्यास कब बुझती,
 बस कदम ही तो लड़-खड़ाता है।
 ******
 लूट ले फिर इक बार आ करके,
 आ तुझे दिल फिर बुलाता है।
 *******
 ख़ाक परवाने हो चलें देखो,
 अब चिरागों को क्यों बुझाता है।
 ******
 मौलिक अप्रकाशित…
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on March 20, 2016 at 11:30am — No Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on July 4, 2015 at 8:21pm — 9 Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on June 11, 2015 at 9:04pm — 20 Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on June 1, 2015 at 6:51pm — 10 Comments
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on April 7, 2015 at 1:30pm — 27 Comments
1222 1222 1222
 """"""""""""""""""""'"""""""'''"''''''
 गजब ये रंग देखा है जमाने का।
 सहारा है सभी को इक बहाने का।
 *****
 नजर के तीर से कर चाक दिल मेरा,
 कहेगें हाल तो कह दो निशाने का।
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 रही आदत खिलौना प्यार को समझा,
 किया है खेल रोने औ रुलाने का।
 *****
 हमारा दर्द ही हमको सिखाया है,
 बुरे हालात में, हँसने हँसाने का।
 *****
 मरा है क्यों उसीपे ऐ दिवाना दिल,
 हिदायत दे गया जो छोड़ जाने का।
 *****
 तड़पते देख हैं-हैरान…
Added by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on April 2, 2015 at 12:00pm — 11 Comments
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