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केवल प्रसाद 'सत्यम''s Blog (210)

!!! हे मां !!!

!!! हे मां !!! 

मां अर्थात् गुरू !

गुः - गुप अंधेरा, गहन तिमिर।

रूः - प्रकाशमय, अतिशय उजियारा।

अर्थात् तमसो मा जोतिर्गमय!

अंधकार से प्रकाश की ओर प्रेरित करने वाली

जननी! मां!

अनादि काल से

सब कुछ सहती आ रही है।

हां! प्रसव पीड़ा के सम 

नवजात के जन्म सरीखा ही।

नरक में उलटे टंगे को

स्वर्ग में सीधे पैरों पर खड़ा करने तक,

अन्धकार-अज्ञान को

प्रकाशवान-ज्ञानमय '

बनाने के लिए उद्वेलित…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 30, 2013 at 12:38am — 11 Comments

!!! नारी तुम स्तुति की देवी हो !!!

नारी तुम स्तुति की देवी हो!

मां वसुधा सी प्यारी तुम,

संस्कृति की श्रध्दा देवी हो।

नारी तुम प्रगति प्रदर्शक हो!

कर में वीणा-सुरधारा तुम,

चंचलमय मृदुला देवी हो।

नारी तुम धैर्य-बलशालिनी हो!

अबला सीता क्षमा दान तुम,

मां शक्ति की दुर्गा देवी हो।

नारी तुम राधा सी प्यारी हो!

मीरा बाला सी अनुरागिनी तुम,

सती सावित्री सी देवी हो।

नारी तुम देश की कीर्ति हो!

सच्चे माने में इन्दिरा तुम,

भारत-सौभाग्य की…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 27, 2013 at 7:37am — 20 Comments

‘‘गजल‘‘

‘‘गजल‘‘

एक प्रयास के फलस्वरूप प्रस्तुत है।

वज्न......1222 1222 1222 1222

कुसुम को तोड़कर किसने, हसीनों को रिझाया है।

रूहानी जानकर उसने, मकानों को सजाया है।।1

जहां में और भी किस्से, सुनाया नाम पाया है।

चुराकर रात का काजल, सुनयनों को लगाया है।।2

चला है शाम से नश्तर, सितम भी खूब ढाया है।

वतन को छोड़ आफत में, बेगानों को छिपाया है।।3

यहां कातिल वहां मंजिल, बहानों से बुलाया है।

खुदा को भूल आया वो, सकीनों को रूलाया…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 24, 2013 at 9:32am — 30 Comments

!!! जय जय हनुमान !!!

!!! जय जय हनुमान !!!
(मकरी - कालनेमि राक्षस का उध्दार)

तारक तात तड़ाग तरावहिं, तापर तोष तना तन तावत।
दीन दयाल दया दम दानव, देवम दामन दास दिलावत।।
धारति धाय धरा धन धानम, धूल धमाल धरे धड़कावत।
नारद नाच नरेन्द्र निहारत, नाथ नरायन नाम नसावत।।

के0पी0सत्यम/मौलिक एव अप्रकाशित

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 23, 2013 at 8:58am — 9 Comments

‘‘गजल‘‘

 ‘‘गजल‘‘

एक प्रयास के फलस्वरूप प्रस्तुत है।

वज्न......1222 1222 1222 1222

हमारी जिन्दगी का जब सलीका सादगी नम है।

यहां बन्दे कयामत हैं तभी तो बन्दगी कम है।।1

सुना है शाम से पहले बनायें पाक दामन को।

अभी तो आपका *दम बस यहां शर्मिन्दगी गम है।।2......*अहंकार

कहो तो हम वजू करके नमाजी बन करें सजदा।

खुदा को गर गुनाही का बताओ गन्दगी *थम है।।3.....*रूकना

बने हम पन्च वक्ता पीर समझाए मुहम्मद को।

तभी तो…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 17, 2013 at 7:52pm — 9 Comments

.!!!.जय जय बजरंगबली !!!

दुर्मिल सवैया..........!!!.जय जय बजरंगबली !!!



बजरंगबली सुख शांति मिले, जय राम कहे हरि प्रीति बढ़े।

मन प्रेम रसे अति धीर धरे, उर राम बसे नहि होत बड़े।।

हनुमान कहे मन मान सधे, हम बालक हैं गुन गान अड़े।

सुर रीति सजे नवनीत गहे, हम दीन बड़े अति हीन मढ़े।।1

तुम दीन दयाल सुभाय भली, दर आय सभी सुख पाय चली।

रघुवीर सदा सिर हाथ रखीं, हिय छाप धरीं तन राम कली।।

तुम भूत पिचास भगाय हॅसी, सिय मातु सुजान अशीष फली।

तुम दानव काल समेट सभी, तुम शेषहि वीर जगाय…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 16, 2013 at 7:57am — 13 Comments

!!! सत्यम शिवम सुन्दरम !!!

!!! सत्यम शिवम सुन्दरम !!!

हे शिव जय शिव, हर शिव कर शिव।

जल शिव नभ शिव, थल शिव नर शिव।।

अनल शमन शिव, भवम शवम शिव।

ज्योतिर्मय शिव, तिमिर जगत शिव।।

अखिल पवन शिव, धवल चन्द्र शिव।

महिमा शिव शिव, गरिमा शिव शिव।।

महा समर शिव, अजर अमर शिव।

कन कन शिव शिव, आत्मा शिव शिव।।

मसान घर शिव, मन्दिर हिम शिव।

हरिजन शिव शिव, हरि भज शिव शिव।।

सकल जगत शिव, समरथ है शिव।

मैं भी शिव शिव, तू भी शिव शिव।।

भजन सुजन शिव, भगत भुतन शिव।

कह जन शिव शिव, सुन…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 15, 2013 at 8:44am — 26 Comments

!!! सत्ता का सार !!!

!!! सत्ता का सार !!!

सत्ता - सुशासन - सरकार

पेट्रोल - डीजल- गैस की मार

दर्द क्यों हम इसका झेलें

जिसके तन में हों पहिये चार

नेताओं की चलती है कार

काला - धन और भ्रस्टाचार

टूट - फूट और मरम्मत का कार्य

बस थोड़ा सा दंगा

और नर -संहार

उनकी कार में खूनी पेट्रोल

व्यभिचारी डीजल का शोर

बलात्कारी से हूटर चीखते

मंहगाई का पूरा काफिला ही संग चलता

ए.सी. ट्रेन - प्लेन का सुख

लेतें हैं चमचा- चापलूस- गद्दार

इनके पूत पालने में…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 14, 2013 at 10:42pm — 20 Comments

कुण्डलियां

कुण्डलियां

सुधार के बाद पुनः प्रस्तुत

हॅसी हुदहुद खंजन से, पिकहु कूक रहि जाय।

बुलबुल मैना खग गुने, सुगा भी टेटियाय।।

सुगा भी टेटियाय, काग कांव कांव करता।

चातक बया तिलेर, टिटेहरी टेर कसता।।

बगुला रखता मौन, हंस गौरैया सरसीं।

मयूर बुलाय कौन, खिलखिल सब चिडि़यां हॅसीं।।

के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 13, 2013 at 2:30pm — 15 Comments

कुण्डलियां

कुण्डलियां



ःः.1.ःः

मन्दिर-मन्दिर नेम से, पाथर  पूजा  जाय।

दीन दलित असहाय को, चोर समझ डपटाय।।

चोर समझ डपटाय, तनिक न रहम करत हैं।

लातन से लतियाय, पुलिस का काम करत हैं।।

बालक रो बतलाय, साब! कस बांधत जन्जिर।

रोटी हित दर आय, समझ दाता का मन्दिर।।



ःः.2.ःः

पोलिस थाना जान ले, आफत का घर होय।

रपट लिखाये जात हैं, मिले दुःख बहु रोय।।

मिले दुःख बहु रोय, समझ ना पावत कुछ हैं।

दारोगा  जी  सोय, दीवान  मांगत  कुछ हैं।।

उठ  दरोगा  डपटे, सबसे…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 12, 2013 at 11:06am — 8 Comments

नववर्ष

नववर्ष

नव वर्ष हमारा आ भी गया, शुभ कामना छा भी गया।

इक वर्ष हमारा गुजर गया,इक वर्ष हमारा बढ़ भी गया।।

हम इस वर्ष को प्यार करें, मिलकर शांति बिहार करे।

नहीं जात-पात आडम्बर हो,मिल सम्प्रदाय विचार करें।।

यहां आतंक वाद की बेला है,चहुं दिश जग अंधियारा है।

इस वर्ष के नूतन प्रभात से, हमको आतंक मिटाना है।।

नववर्ष हमारा हो मंगल, जन-जन की विकृति दूर करें।

न भेद-भाव न धर्म-देश, विश्वबंधुत्व का स्वर गूंज…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 10, 2013 at 10:21pm — 13 Comments

!!! श्री हनुमान जी !!!

सवैया...किरीट एवं दुर्मिल !!! श्री हनुमान जी !!!

कोमल कोपल बीच लुकावत, लंक निसाचर रावन आवत।

काढि़ कृपान नशावत कोपत, क्रोध बढ़े हनुमान छिपावत।।1



तिनका रख ओट कहे बचना, सिय रावन को डपटाय घना।

नहि सोच विचार करे विधना, अबला हिय हाय बचे रहना।।2

रावन कॅाप गयो तन से मन, आंख झुकाय कियो भुइ राजन।

पीठ दिखाय गयो जब रावन, सीतहि त्रास भयो धुन दाहन।।3

मन दीन मलीन हरी रट री, हनुमान सुजान दिये मुदरी।

लइ मातु बुझाय रही दुखरी,जय राम…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 9, 2013 at 8:04am — 22 Comments

कथा......‘‘जो ध्यावे फल पावे सुख लाये तेरो नाम...........।‘‘

गतांक...3 से आगे.---.

                हां! मेरे ईष्ट देव मेरे साथ ही थे और मैंने जो कुछ देखा तथा अनुभव किया। अक्षरशः याद तो नही रहा फिर भी जितना प्रभु ने आदेश दिया स्पष्ट वाक्योे में लिख रहा हूं। मेरे दो शरीर थे। एक जो अस्पताल की शैया पर पड़ा था और दूसरा प्रभु नाम सुमिरन करता हुआ अज्ञात दिशा की ओर चला जा रहा था। राह में कितने दरवाजे पर दरवाजे खुलते जा रहे थे, गिनना मुश्किल था। हर इक द्वार लगता था कि अब यह आखिरी होगा किन्तु वही ढाक के दो पात। अंधेरे में दरवाजे के सिवाय कुछ और…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 6, 2013 at 12:41pm — 2 Comments

!!! मासूम सा बच्चा !!!

!!! मासूम सा बच्चा !!!



जाति-पाति और औकात नहीं!

माँ से बिछड़ा-बाप से बिछड़ा

जन-समाज ने पुचकारा नहीं !

दुनिया देख रहा अब बच्चा !

हिन्दू न मुस्लिम बिलकुल सच्चा!

जिसको देखता उसको लुभाता,

लगता जैसे अपना बच्चा !

मंदिर का घंटा ज्यो बजता,

दौड़ चहेक कर आता बच्चा !

मस्जिद की आजान को सुनकर,

रोज फूक डलवाता बच्चा!

हरी शर्ट-केसरिया नेकर,

नंगे पैर ठुमकता बच्चा !

मंदिर का प्रसाद और हलुवा,

गुरूद्वारे में लंगर चखता !

मस्जिद की मिलाद में…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 5, 2013 at 10:24am — 20 Comments

कथा......‘‘जो ध्यावे फल पावे सुख लाये तेरो नाम...........।‘‘

गतांक...2 से आगे--   आज दिवाली का दिन था। घर के सभी लोग चिंतित और अस्त-व्यस्त से बेहाल हो चुके। मेरे मुहल्ले के लोगों का तांता मेरे घर एवं अस्पताल में मेरी शैया के इर्द-गिर्द लगा हुआ था। मेरे मिलने वालों से डाक्टर और नर्स भी काफी परेशान हो थक चुके थे। अब तक इन लोगों ने मेरे रिश्तेदारों एवं मिलने वालों से एक सामंजस्य सा बिठा लिया था। नवम्बर मास का समय और सायं के 6.00 बज रहे थे। किसी को भी आज अमावस्या के दिन घरों में दीप जलाने की कोई चिन्ता नहीं हो रही थी। मेरे बार-बार कहने पर भी लोगो ने जबाब…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 4, 2013 at 9:15pm — 8 Comments

आकाशीय बिजली !!!

आकाशीय बिजली !!!

 

लप-लप चमकि-चमकि

रहि रहि कुलेल करत

इत उत धावति बदरा मा

कड़क-कड़क कर

मेघ धमकावत।

बालक-नारि हृदय धड़कावत

बालक जायें छिपे अंचरा मा।

नारि मन धक-धक, रहा न जाये

पाए सहारा और अपनापन

छटपटाय झट गले लगावत।

आंखें मींच लई जोरों से

कसमसात और लजावति।

बिजुरी तनिक समझि न पावति,

गिरत-पड़त छपकि-छपकि

लाज-शर्म न झपकि-झपकि।

नयनों से ज्यों तीर चलावति

सर सर सर सर सरर…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 4, 2013 at 10:01am — 12 Comments

कथा......‘‘जो ध्यावे फल पावे सुख लाये तेरो नाम...........।‘‘

गतांक-1 से आगे......सतसंग में हजारों का गुप्त दान करके स्वयं को धन्य समझ लेते हैं किन्तु रिक्शे वाले को पूरे पांच रूपये भी नहीं देना चाहते हैं। ईश्वर प्राप्ति हेतु अपने जिज्ञासु मन को सतसंग परिसर के गेट पर नमस्कार के साथ ही टांग देते हैं और जैसे आये थे, ठीक वैसे ही पुनः घर की ओर खाली मन, अज्ञान, संसारिक माया -मोह, व्यापार -व्यवहार आदि जंजाल के साथ चल पड़ते हैं। गृह में प्रवेश करते ही बहुओं, नौकरो आदि पर अव्यवहारिक बातें मढ़़ते हुए प्रपंच शुरू कर देते हैं। यहां तक कुछ लोग तो सतसंग में भी सुबह…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 3, 2013 at 7:29am — 6 Comments

जय जय हनुमान !!!

हरिगीतिका/16,12 जय जय हनुमान !!!

हनुमान दास, राम गुन भाष, भक्ति रस ज्ञानी घने।

तु चंचल चपल, तेजस अतिबल, अखिल रवि विद्या जने।।

तुम मारूत सुत, शंकर अंशम, देव सब तप वरदने।

तुम अजर अमर, सुजान सुन्दर, प्रेम रस देखत बने।।1

महत्तम वीर, औ विकट धीर, निर्मलता हृदय रमी।

तुम दीन कथा, समरथ विरथा, तत्छन उबारत गमी।।

बहु विधि सताय, लंक जराए, सीतहि हर दुःख थमी।

संजीवन सुख, लछमन जागे, सफल काज नाहि…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 2, 2013 at 10:07pm — 16 Comments

सखी! साजन नहि आए रात।

सखी! साजन नहि आए रात।

नयन से नीर,
झर झर टपकत,
सावन झरै बरसात।


सुन्दर-सुन्दर,
सेज सजाई,
करवट करे उफनात।।
सखी! साजन नहि आए रात।

द्वार खड़ी पथ,
उड़त धूल अस,
बड़ा तूफान गहरात।


अब फिर डूबा,
सूरज पछुवा,
फिर-फिर डसे कस रात।।
सखी! साजन नहि आए रात।
के0पी0सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 31, 2013 at 2:00pm — 10 Comments

सत्य कथा......‘‘जो ध्यावे फल पावे सुख लाये तेरो नाम...........।‘‘

सत्य कथा......‘‘जो ध्यावे फल पावे सुख लाये तेरो नाम...........।‘‘ . नाम दया का तू है सागर......सत्य की ज्योति जलाये........सुख लाये तेरो नाम..! जो ध्याये फल पाये........नाम सुमिरन का साक्षात् प्रभाव और महत्व दोनों का ही अनुभव मैंने सहज में परख लिया है। वास्तव में जो सुख में जीता है, उसे न तो नाम सुमिरन का महत्व समझ में आता है और न ईश्वर से साक्षात् ही कर पाता है। वह केवल अपने स्वार्थ में लिप्त रह कर केवल कपट और मोह मे ही फॅसा रहता है। वास्तविकता तो यह भी है जो व्यक्ति स्वयं को अकिंचन, शून्य…

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Added by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 27, 2013 at 10:40pm — 6 Comments

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