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Nidhi Agrawal's Blog – June 2015 Archive (3)

ग़ज़ल - ज़िन्दगी में तुम्हारी लहर मैं पिया

212 212 212 212

 

छोड़ दूँ अब कुंवारा नगर मैं पिया

काट लूँ सँग तुम्हारे सफर मैं पिया

 

मन न माने मगर क्या बताऊँ तुम्हें

साथ दोगे चलूंगी सहर मैं पिया

 

पंखुड़ी खिल गयी राग पाकर कहीं

बेज़ुबां अब न खोलूं अधर मैं पिया

 

मौत का गम नहीं साथ तुम हो मेरे   

मुस्करा के पियुंगी जहर मैं पिया

 

अब तुम्हारे सिवा कुछ न चाहूंगी मैं

दिल मिलाओ मिलाऊं नज़र मैं पिया

 

दूर से देखकर आज रुकना…

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Added by Nidhi Agrawal on June 25, 2015 at 12:01pm — 6 Comments

बारिश की पहली बूँदें (मुक्त कविता)

बारिश की पहली पहली फुहार

और सिग्नल का ये इंतज़ार

नजरें बरबस विंड स्क्रीन पर अटक गयीं

बारिश की बूँदें ढल रही थीं

एक एक कर बड़ी कठिनाई से बूँद सरकती

धीरे से दूसरी बूँद से जा मिलती

फिर थोड़ी सी रफ़्तार बढती

दोनों मिलकर तीसरी बूँद से मिलती

और फिर तेज़ रफ़्तार से ढुलक जाती

 

सोचें सरकने लगीं यूँ ही

कारवां भी ऐसे ही बनता है

किसी नए इंसान से मिलना

काफी कठिन लगता है पहली बार

दो मिलकर तीसरे से मिलने…

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Added by Nidhi Agrawal on June 16, 2015 at 12:30pm — 11 Comments

मेरा मन माली सा हो गया

टूट टूट के अपना दिल कुछ जाली सा हो गया

अंतरमन का वो कोना कुछ खाली सा हो गया

 

वस्ल की निगाहें हो गयी, दोस्ती की आड़ में

नारी होकर जीना अब कुछ गाली सा हो गया

 

नजरों में घुली शराब, चाचा मामा भाई की

आँखों में हर रिश्ता, अब कुछ साली सा हो गया

 

गर्दिश में लिपटी कनीज़, सहारे की तलाश में

मन अकबर शज़र का भी, कुछ डाली सा हो गया

 

शोर में दब के रह गयी आबरू की आवाज

चीखती ललना का स्वर, बस ताली सा हो…

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Added by Nidhi Agrawal on June 9, 2015 at 3:30pm — 13 Comments

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