देश, भ्रष्टाचार के बुखार से तप रहा है और आम जनता महंगाई की आग में जल रही है, मगर सरकार के कारिंदों को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। यदि ऐसा नहीं होता तो वे इन घातक समस्याओं के मामले में माकूल कदम जरूर उठाते। बीते एक दशक में महंगाई चरम पर पहुंच गई है और इसकी आसमानी हवाईयां भी रूकने का नाम नहीं ले रहा है। भ्रष्टाचार की समस्या तो जैसे इस देश के लिए नासूर बनता जा रहा है। वैसे तो देश में सफेदपोश भ्रष्टाचारियों की कोई कमी नहीं है, यह इस बात से भी पता चलता चलता है कि ऐसा कोई दिन नहीं जाता, जब कोई…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on June 9, 2011 at 6:44pm                            —
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                      समाज सेवा की दिशा में वैसे तो कई तरह के अनुकरणीय कार्यों की बानगी आए दिन सुनने को मिलती है और उनके कार्यों से समाज के लोगों को निश्चित ही बहुत कुछ सीखने को मिलता है। ऐसी ही मिसाल कायम कर रहे हैं, जिला मुख्यालय जांजगीर से लगे नैला के श्री गोविंद सोनी। वे पिछले 26 बरसों से निःस्वार्थ ढंग से नैला रेलवे स्टेशन में गर्मी के दिनों में यात्रियों को पानी पिलाते आ रहे हैं। बरसों से जारी उनके जज्बे को देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाता है, क्योंकि ढलती उम्र के बाद भी उनके चेहरे पर कहीं…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on June 9, 2011 at 2:51pm                            —
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                      1. समारू - उमा भारती पुराने कुनबे भाजपा में लौट आई है।
पहारू - जिस दिन मूड बिगड़ा, उस दिन पूरे कुनबे को खरी-खोटी सुनाएगी।
2. समारू - रायपुर नगर निगम में खड़ी गाड़ियां डीजल पी रही हैं।
पहारू - कौन सी नई बात है, छग में अरबों के निर्माण कार्य कागजों में हो जाते हैं।
3. समारू - बाबा रामदेव ने केन्द्र सरकार को माफ कर दिया है।
पहारू - यही तो सत्याग्रह व सच्ची गांधीवादी है, कोई एक गाल को मारे तो दूसरा गाल आगे कर दो।
4. समारू - छग के गृहमंत्री ने डीजीपी पर…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on June 8, 2011 at 2:44pm                            —
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                      1. समारू -दिग्विजय सिंह ने लादेन को ‘ओसामा जी’ कहा। पहारू - विवादों में नहीं होने पर उनके पेट का चारा नहीं पचता। 2. समारू - बाबा रामदेव के पीछे भाजपाई राजनीति कर रहे हैं। पहारू - भाजपा में नैया पार कराने वाला कोई नेता भी तो नहीं है। 3. समारू - छग सरकार दो बच्चों से अधिक होने पर नौकरी नहीं देगी। पहारू - मगर चार-छह बच्चे वाले नेता को मंत्री जरूर बना सकती है। 4. समारू - बाबा के सत्याग्रह व अनशन से सरकार घबरा गई है। पहारू - क्यों नहीं, सत्ता की कुर्सी का सवाल जो है। 5. समारू - देश में भ्रष्टाचार व…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on June 8, 2011 at 1:34am                            —
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                      बीमारी की बात करते हैं तो हर व्यक्ति, कोई न कोई बीमारी से ग्रस्त नजर जरूर आता है। बीमारी की जकड़ से यह मिट्टी का शरीर भी दूर नहीं है। सोचने वाली बात यह है कि बीमारियों की तादाद, दिनों-दिन लोगों की जनसंख्या की तरह बढ़ती जा रही है। जिस तरह रोजाना देश की आबादी बढ़ती जा रही है और विकास के मामले में हम विश्व शक्ति बनें न बनें, मगर इतना जरूर है कि यही हाल रहा तो जनसंख्या की महाशक्ति अवश्य कहलाएंगे। जनसंख्या बढ़ने के साथ ही बीमारियां भी हमारे शरीर के जरूरी हिस्से होती जा रही हैं। जैसे अलग-अलग तरह से लोगों…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on May 7, 2011 at 11:50am                            —
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                      पदपूजा का आभामंडल हर किसी को भाता है। जिसे देखो, वह पद के पीछे, अपना पग हमेशा आगे रखना चाहता है। मैं तो यह मानता हूं कि जिनके पास कोई बड़ा पद नहीं है, समझो वह कुछ भी नहीं है। उसकी औकात उतनी है, जितनी सरकार की उंची कुर्सी में बैठे सत्तामद के मन में, जनता की है। पदपूजा की कहानी देखा जाए तो काफी पुरानी है। ऐसा लगता है, जैसे पद पूजा की परिपाटी कभी खत्म नहीं होने वाली है। पद का गुरूर भी बड़ा अजीब है, किसी को कोई बड़ा पद मिला नहीं कि वह सातवें आसमान में हवाईयां भरने लगता है। वह सोचता है, जैसे दुनिया…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on May 3, 2011 at 1:39am                            —
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                      सबसे पहले आपको बता दूं कि औरों की तरह मैं भी तकनीक की टेढ़ी नजर से दूर नहीं हूं। तकनीक के फायदे कई हैं तो नुकसान तथा फजीहत भी मुफ्त में मिलती हैं। वैसे मेरे पास न तो विरासत में मिली संपत्ति है और न ही मैंने इतनी अकूत संपत्ति जुटाई है, जिससे जिंदगी बड़े आराम से गुजरे। मेरा तो ऐसा हाल है, जैसे बिना सिर खपाए कुछ बनता ही नहीं, मगर पिछले दिनों से इस बात को लेकर चिंतित हूं कि मैं रातों-रात लखपति क्या, करोड़पति से अरबपति बनते जा रहा हूं। दरअसल, मैंने सोचा कि जब बड़े शहरों में तकनीक की खुमारी छाई हुई है…
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                                                        Added by rajkumar sahu on April 24, 2011 at 1:05am                            —
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                      वैसे देश में भ्रष्टाचार का बखेड़ा जहां-तहां छाया हुआ है। हर जुबान की शोभा केवल भ्रष्टाचार ही बढ़ा रहा है। कुछ महीनों पहले जब आदर्श सोसायटी के फ्लैटों का घोटाला उजागर हुआ, उसके बाद एक के बाद एक कई बडे़ भ्रष्टाचार हुए। जाहिर सी बात है, जब बात बड़ी-बड़ी हो रही हो तो छोटी बातें भला कहां ठहर सकती हैं ? खुद का नहीं, अपनों का फ्लैट के प्रति मोह ने बड़ी शख्सियतों की कुर्सी ले डूबी। ऐसा ही नजारा आदर्श सोसायटी घोटाले में दिखा। भ्रष्टाचार के बड़े भाईयों के पदार्पण बाद, कैसे कोई इन छोटे-मोटे घोटाले को याद करने…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on April 14, 2011 at 1:18am                            —
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                      देश, भ्रष्टाचार की आग में तप रहा है और भ्रष्टाचारी एसी की ठंडकता का मजा ले रहे हैं। इस छोर से लेकर उस छोर तक केवल भ्रष्टाचार ही छाया हुआ है। भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार हो रहे हैं और हम हाथ पर हाथ धरे चुप बैठे हैं। देश में इतने बड़े पैमाने पर पहली बार भ्रष्टाचार होने की बात उजागर हुई है, उससे भ्रष्टाचार का रूतबा बढ़ना स्वाभाविक लगता है, मगर जिनके कारण भ्रष्टाचार का जन्म हुआ है, उन्हें तो हम भुला दे रहे हैं ? केवल भ्रष्टाचार पर ही ठिकरा फोड़ रहे हैं, जबकि सब किया धराया तो उन सफेदपोशों का है, जो देश के…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on April 6, 2011 at 11:44pm                            —
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                      हाल के कुछ बरसों में अंग्रेजी ने अपनी खासी पैठ जमायी है, मगर वहीं हिंग्लिश का भी गुणगान चरम पर है। जहां देखें, वहां इंग्लिश नहीं, हिंग्लिश का जलवा। अंग्रेजी में कई लॉजीकल तथा लॉजी से जुड़े विषयों एवं तथ्यों के बारे में अक्सर पढ़ने को मिलता है। मसलन, सोशियोलॉजी, एस्ट्रोलॉजी, ऑडियोलॉजी, टेक्नालॉजी समेत तमाम इंग्लिश डिक्शनरी में शब्द हैं, जिनके हिन्दी में अपने मायने व अर्थ हैं। जब इंग्लिश के साथ हिंग्लिश का खुमारी चढ़े तो जाहिर है, कुछ तो संकर वर्ण पैदा होंगे ही। ऐसा ही एक शब्द लोगों की बोलचाल में…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on April 4, 2011 at 12:09am                            —
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                      छत्तीसगढ़ में शराब की अवैध बिक्री एवं दुकानें बंद कराने को लेकर पिछले कुछ महीनों में अनेक आंदोलन हो चुके हैं। कई जगहों पर शराब के खिलाफ अवाम लामबंद नजर आ रहे हैं और देखा जाए तो एक तरह से राज्य में शराब बंदी की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। छग सरकार द्वारा बीते माह प्रदेश की 250 शराब दुकानों को बंद करने का जो निर्णय लिया गया है, उसे इसी तरह जोड़कर देखा जा रहा है। शराब की अवैध बिक्री की आ रही शिकायत तथा दुकानों को बंद कराने की लगातार आ रही मांग के मद्देनजर, सरकार ने 2 हजार से कम आबादी वाले गांवों में…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on April 1, 2011 at 12:22am                            —
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                      अभी विश्वकप क्रिकेट का दौर चल रहा है। खिलाड़ी जो प्रदर्शन कर रहे हैं, वो जैसा भी हो, मगर हर कोई अपना राग अलाप रहा है। स्थिति तो ऐसी हो गई है कि जितने मुंह, उतनी बातें। विश्वकप कोई भी टीम जीते, लेकिन जुबानी जमा खर्च करने में हर कोई माहिर नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि क्रिकेट की किचकिच में देश का हर मुद्दा चर्चा से गायब हो गया है। फिलहाल क्रिकेट में सब उलझे हुए हैं। जब क्रिकेट की बात शुरू होती है तो क्रिकेटेरिया के हर बाहरी खिलाड़ी अपने तर्क का हथौड़ा लगाने तथा बातों-बातों में दो-दो हाथ आजमाने से…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on March 28, 2011 at 12:52am                            —
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                      1. समारू - छग प्रदेशाध्यक्ष का फैसला होली के बाद होगा।
पहारू - ऐसी न जाने कितनी होली बीत गई है।
2. समारू - सुरेश कलमाड़ी से सीबीआई ने दूसरी बार पूछताछ की।
पहारू - जितनी बार पूछताछ कर ले, कमाई थोड़ी न कम पड़ने वाली है।
3. समारू - पायलटों ने फर्जी मार्कशीट से नौकरी हथिया ली।
पहारू - हर जगह फर्जी ही तो छाए हुए हैं।
4. समारू - जांच के बाद ही जापानी खाद्य वस्तुएं भारत आएंगी।
पहारू - तब तो चाइना के बल्ले-बल्ले।
5.…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on March 17, 2011 at 10:54pm                            —
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                      महंगाई का सिर दर्द लोगों में खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। कोई दवा भी काम नहीं आ रही है और सरकार की अधमने उछल-कूद भी बेकार साबित हो रही है। एक समय दाल, भोजन की थाली से गायब हो गई। फिर बारी आई, प्याज की। प्याज ने तो इस तरह खून के आंसू रूलाए, जिसे न तो जनता भूल पाई है और न ही सरकार। जनता तो जैसे-तैसे प्याज के सदमे से उबर रही है, मगर सरकार, प्याज के दंभी रूख के कारण अभी भी विपक्ष के निशाने पर है। बेसुध महंगाई को चिंता ही नहीं कि सरकार से उसकी दुश्मनी, जनता पर कितनी भारी पड़ रही है ? सरकार के…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on March 15, 2011 at 1:52am                            —
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                      1. समारू - जाटों ने ओबीसी आरक्षण के लिए आर-पार की लड़ाई शुरू कर दी है।
पहारू - आरक्षण का झमेला तो राजनीतिक पार्टियों ने वोट के लिए पाल रखी है।
2. समारू - टैक्स पर इनकम बटोरने वाला एक और नाम आया।
पहारू - जितनी कमाई, उतनी टैक्स चोरी, खुली छूट है।
3. समारू - छग विधानसभा में कांग्रेस, भाजपा सरकार को घेरने में सफल नजर आ रही है।
पहारू - इतनी एकजुटता दिखाकर चुनाव में मेहनत करते तो विपक्ष में नहीं रहते।
4. समारू - पूर्व राज्यपाल एनडी तिवारी की…
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                                                        Added by rajkumar sahu on March 15, 2011 at 12:10am                            —
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                      अभी कुछ दिनों से टैक्स चोरी का मामला छाया हुआ है और देश को खोखला करने वाले सफदेपोश चेहरे पर कालिख भी लगी, मगर यह बात मैं सोच रहा हूं कि देश में कैसे-कैसे इनकम के तरीके हो सकते हैं ? जब कोई टैक्स पर ही इनकम निकाल लेने की क्षमता रखता हो, वैसी स्थिति में इनकम की कोई सीमा निर्धारित करना, मुझ जैसे अदने से व्यक्ति के लिए मुश्किल लग रहा है। फिर भी एक बात तो है कि बदलते समय के साथ इनकम के दायरे बढ़ गए हैं और इनकम हथियाने वाले भी। कुछ नहीं बदला तो आम जनता की बदहाल जिंदगी और उनके हिस्से में आने वाली…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on March 13, 2011 at 1:20am                            —
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                      1. समारू - सरकार ने सांसदों की नीधि बढ़ा दी है।
पहारू - देखते हैं, कहां खर्च होगा।
2. समारू - नित्यानंद नपुंसक नहीं था, जांच में सीआईडी को कबूरा।
पहारू - तभी तो नित्य आनंद लेता था।
3. समारू - जापान में सुनामी से तबाही मच गई है, सैकड़ों की मौत हो गई है।
पहारू - भारत में सैकड़ों मौत तो गरीबी व भुखमरी से हो जाती है।
4. समारू - झारखंड में दूसरों से फैसले लिखवाने वाले जज को बर्खास्त कर दिया गया है।
पहारू -…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on March 13, 2011 at 12:00am                            —
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                      सांसदों की निधि बढ़ाने की मांग पर आखिरकार सरकार ने मुहर लगा ही दी। बरसों से देश के सैकड़ों सांसद यह मांग करते आ रहे थे कि उनकी निधि 2 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ रूपये कर दी जाए। सांसदों की इन बहुप्रतीक्षित मांग के लिए एक समिति भी बनाई गई थी, जिसके माध्यम से सांसद निधि बढ़ाने की सिफारिश सरकार से की गई थी और जिसमें अंतिम छोर के गांव-गरीब के विकास की दुहाई दी गई थी। पहले तो इस मुद्दे पर सरकार की दिलचस्पी नजर नहीं आई थी, लेकिन सरकार के अंदर व बाहर तो वही सांसद हैं, जिन्हें संसद में प्रस्ताव पारित करने का…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on March 12, 2011 at 1:00am                            —
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                      जिस तरह परीक्षा के मौसम में छात्र, अभी दिमागी बुखार से तप रहे हैं, कुछ ऐसा ही देश-दुनिया में विश्वकप क्रिकेट का खुमारी बुखार छाया हुआ है। इन बुखारों के मौसम में शायद ही कोई बच पा रहा है और हर कोई किसी न किसी तरह से मानसिक तौर पर बुखार की चपेट में है। क्रिकेट की खुमारी तो ऐसी छाई है, जिससे सटोरियों की चल निकली है तथा वे हर गंेद व रन पर मौज कर रहे हैं। हालात यह है कि वे खाईवाली मैदान में नोटों की गड्डी की गरमाहट से तप रहे हैं। बेचारी तो देश की जनता है, जो न तो कुछ बोल सकती है और न ही हुक्मरानों…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on March 11, 2011 at 11:22am                            —
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                      1. समारू - कांग्रेस व डीएमके में खटास पैदा हो गई है।
पहारू - वर्चस्व की लड़ाई में ऐसा ही होता है।
2. समारू - लड़खड़ा कर जीत रही भारतीय टीम।
पहारू - यह तो पुरानी आदत है।
3. समारू - सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी पद से पीजे थामस को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
पहारू - चलो, भारतीय व्यवस्था में एक और दाग लगने से बच गया।
4. समारू - प्रधानमंत्री ने कहा है कि सीवीसी मामले में उन्हें कुछ पता नहीं था।
पहारू - आखिर, यहां…                      
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                                                        Added by rajkumar sahu on March 9, 2011 at 7:14pm                            —
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