For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सांसद निधि बढ़ाना, कितना जायज ?

सांसदों की निधि बढ़ाने की मांग पर आखिरकार सरकार ने मुहर लगा ही दी। बरसों से देश के सैकड़ों सांसद यह मांग करते आ रहे थे कि उनकी निधि 2 करोड़ से बढ़ाकर 5 करोड़ रूपये कर दी जाए। सांसदों की इन बहुप्रतीक्षित मांग के लिए एक समिति भी बनाई गई थी, जिसके माध्यम से सांसद निधि बढ़ाने की सिफारिश सरकार से की गई थी और जिसमें अंतिम छोर के गांव-गरीब के विकास की दुहाई दी गई थी। पहले तो इस मुद्दे पर सरकार की दिलचस्पी नजर नहीं आई थी, लेकिन सरकार के अंदर व बाहर तो वही सांसद हैं, जिन्हें संसद में प्रस्ताव पारित करने का अधिकार है। मजेदार बात यह है कि विचारों के दृष्टिकोण से हर पार्टी के सांसदों की अपनी लॉबी होती है, लेकिन यहां देखने वाली बात यह रही कि सांसद निधि बढ़ाने के मामले में अधिकतर सांसदों की हामी रही तथा पूरी तरह संगठित व एक नजर आए। यही सांसद के हित की बहस में कभी सहमत नहीं होते और आरोप-प्रत्यारोप भी चलता है, मगर बात वही है, जब बात खुद की हित की हो तो भला वे गरम लोहे पर हथौड़ा मारने से कैसे चूक सकते हैं। देर से ही सही, सरकार भी दबाव के कारण धीरे-धीरे नरम पड़ गई और देश के करीब 8 सौ सांसदों को 2 करोड़ के बजाय अब 5 करोड़ रूपये, विकास निधि देने का निर्णय लिया गया है। निश्चित ही सांसदों के चेहरे खिल गए होंगे, लेकिन जिन आम लोगों के रहमो-करम पर वे उंची कुर्सी पर बैठे हैं, उनके कैसे हालात हैं, यह भी जानना आवश्यक है। सीपीआई नेता गुरूदास ने निधि बढ़ाने पर चिंता जाहिर की और कहा है कि इससे जनता के हितों का कोई भला होने वाला नहीं है। कुछ सांसदों ने निधि बढ़ाए जाने को एक तरह से सिरदर्दी करार दिया है।


सांसदों की निधि बढ़ाने से सरकार की सोच, विकास की हो सकती है और देश के सांसदों ने भी ऐसी ही बातों की दुहाई देते हुए अपनी निधि बढ़ाने की जुगत भिड़ाई है। मगर यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या सांसदों की निधि बढ़ाया जाना जायज है ? इस बात के कई बिंदुओं पर विचार हो सकता है और हर किसी के अपने तर्क हो सकते हैं, लेकिन हमारा यहां मानना है कि देश में अधिकतर सांसदों द्वारा निधि को विकास कार्य में खर्च नहीं किया जाता और जो राशि, विकास के नाम पर दी जाती है, वह भी रेवड़ी की तरह बांट दी जाती है। सांसद यह नहीं देखते कि आखिर जिस संस्था या व्यक्ति को अपनी निधि की राशि दे रहे हैं, वह समाज हित में कितना काम करते हैं ? यह बात आए दिन सामने आती रहती है कि सांसद निधि की राशि का इसलिए खर्च नहीं हो पाता, क्योंकि कमीशन के खेल की उलझन बनी रहती है।


हम यह नहीं कहते कि सांसद निधि का सदुपयोग नहीं होता। देश में अनेक ऐसे सांसद हैं, जो अपनी निधि की पूरी राशि खर्च कर क्षेत्रीय विकास में योगदान देते हैं, मगर इसके दूसरे पहलू भी हैं। देश में ऐसे सांसदों की भी कमी नहीं है, जो सांसद निधि खर्च कर विकास करना मुनासिब नहीं समझते। इस बात खुलासा हर बरस मीडिया रिपोर्ट के माध्यम से होती रहती है, फिर भी सांसद क्यों नहीं जागते ? यह एक यक्ष प्रश्न है, क्योंकि अब तक देश के बहुतायत सांसद अपनी निधि को रेवड़ी की तरह बांटने के बाद भी 2 करोड़ खर्च करने में भी कंजूस साबित होते रहे हैं या कहंे कि वे खर्च करने में ही रूचि नहीं लेते। ऐसे में निश्चित ही क्षेत्रीय विकास थम जाता है।


जब सांसदों ने 2 करोड़ के बजाय 5 करोड़ अपनी निधि तय किए जाने की मांग की, उसी समय कई तरह के सवाल जानकारों ने खड़े किए गए थे, जिनमें प्रमुख रूप से यही बात थी कि जब अधिकतर सांसद 2 करोड़ की राशि खर्च नहीं कर पाते तो क्या वे 5 करोड़ की राशि क्षेत्रीय विकास में खर्च कर पाएंगे ? सरकार द्वारा निधि बढ़ाए जाने के बाद, अब भी यह सवाल आज भी कायम है। सांसदों द्वारा निधि खर्च किए जाते हैं और जैसा कमीशन का खेल चलने की बात सामने आती रहती है, उससे निधि शुरूआत करने की जो मंशा थी, वह पूरी नजर नहीं आती, क्योंकि आम जनता सांसद निधि से दूर ही नजर आती है। यदि ऐसा नहीं होता तो सांसद निधि की राशि गरीबों के उत्थान में खर्च होते, परंतु निधि खर्च किए जाने की स्थिति पर बारीकी से गौर करने के बाद पता चलता है कि निधि की राशि उन संस्थानों व संस्थाओं को रेवड़ी की तरह बांटा जाता है, जिन्हें इसकी जरूरत कम है और जिन गरीबों के विकास के लिए राशि, सरकार देती है, उससे गरीब व आम जनता निधि के लाभ से अछूते ही रहते हैं। आखिर बात वही है कि जब सांसदों की 2 करोड़ की निधि खत्म नहीं हो पाती तो 5 करोड़ की राशि बढ़ाने का भला क्या मतलब ? यहां पर सरकार को सबसे पहले सांसदों पर दबाव बनाते हुए पहल करना चाहिए था कि वे 2 करोड़ की राशि को समय पर खर्च नहीं कर पाते और जिससे विकास कार्य नहीं हो पाते। जब 5 करोड़ दे दिए जाएंगे तो फिर कैसे वे राशि को आम लोगों के लिए हितकारी साबित कर पाएंगे ?


क्या सांसदों ने अपनी निधि बढ़वाने के पहले इस बात की चिंता की कि आजाद भारत में आज भी आधी से अधिक आबादी महज 20 रूपये से कम आमदनी में जीवन जीने मजबूर हैं। देश में जितनी भी सरकार अब तक बनी है, सभी ने यह कहकर वोट बटोरी कि गरीबी, भुखमरी और बेकारी खत्म कर दी जाएगी, लेकिन अफसोस अब तक इन मुद्दों पर कोई कारगर नीति नहीं बनाई जा सकी है। देखा जाए तो गरीबों के नाम पर केवल राजनीति होती आ रही है और गरीब व्यक्ति मुफलिसी से उबर नहीं पा रहे हैं। सरकार केवल इतना दावा करती नजर आती है कि कुछ बरसों में गरीबी, बेकारी खत्म हो जाएगी, लेकिन समस्याएं जस की तस बनी हुई है। दुनिया के किसी भी मुल्क के लिहाज से भारत में युवाओं की संख्या अधिक है, लेकिन आज हम कहां है और देश के भविष्य माने जाने वाले युवा की हालत कैसी है ? यह जानने की फिक्र किसी को नहीं है। अधिकतर युवा बेकारी के शिकार हैं और वे गलत दिशा में मुड़ रहे हैं। इस तरह के हालात के लिए आखिर कौन जिम्मेदार हो सकता है ? या फिर कोई जिम्मेदारी लेने के लिए हिम्मत जुटा सकता है ? इन बातों पर भी गहन विचार किए जाने की जरूरत है।


राजकुमार साहू
लेखक इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार हैं

जांजगीर, छत्तीसगढ़
मोबा . - 098934-94714

Views: 234

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
22 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
22 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
22 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
24 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
27 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
28 minutes ago
Sushil Sarna posted blog posts
58 minutes ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
17 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service