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26 बरसों से पिला रहा प्यासों को पानी

समाज सेवा की दिशा में वैसे तो कई तरह के अनुकरणीय कार्यों की बानगी आए दिन सुनने को मिलती है और उनके कार्यों से समाज के लोगों को निश्चित ही बहुत कुछ सीखने को मिलता है। ऐसी ही मिसाल कायम कर रहे हैं, जिला मुख्यालय जांजगीर से लगे नैला के श्री गोविंद सोनी। वे पिछले 26 बरसों से निःस्वार्थ ढंग से नैला रेलवे स्टेशन में गर्मी के दिनों में यात्रियों को पानी पिलाते आ रहे हैं। बरसों से जारी उनके जज्बे को देखकर हर कोई दांतों तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाता है, क्योंकि ढलती उम्र के बाद भी उनके चेहरे पर कहीं थकान नजर नहीं आती और वे पूरी उर्जा के साथ समाज सेवा में हर पल तल्लीन नजर आते हैं।

श्री सोनी ने बताया कि बचपन से ही उनके मन में समाज के उत्थान तथा नीचले तबके के लोगों के हितों की दिशा में कुछ कर गुजरने की ललक रही है। शास्त्रों में भी लिखा है कि प्यासों को पानी पिलाना पुण्य का कार्य है। स्टेशन में पानी पीने के लिए प्याउ तो होती हैं, मगर ट्रेन छूटने के डर के कारण अधिकतर यात्री पानी पीने प्याउ तक जाने जहमत नहीं उठाते और प्यासे ही गंतव्य तक चले जाते हैं। ऐसे हालात में उनकी कोशिश रहती है कि प्लेटफार्म पर ट्रेन आने के बाद ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को पानी पिला लें और इसके लिए ट्रेन आने के पहले ही तैयारी कर ली जाती हैं।
उन्होंने बताया कि जब वे 30 बरस के थे, तब वे आरएसएस के एक कार्यक्रम में शामिल होने हरियाणा गए थे। वहां उन्होंने देखा कि कैसे लोगों में सेवा भावना है। लोगों को पानी तथा भोजन निःशुल्क दिया जाता है, इस प्रेरणादायी पल को देखने के बाद उनके मन में विचार आया कि क्यों न, लोगों के सूखे कंठों की प्यास बुझाने के काम में लगा जाए। श्री सोनी ने बताया कि गर्मी के तीन महीने वे नैला स्टेशन में पानी पिलाने का कार्य करते हैं, इस दौरान जब टेªेनों का आना नहीं होता, उस समय नैला के ही बस स्टैण्ड में यात्रियों को पानी पिलाया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि स्टेशन में चार प्लेटफार्म हैं और उन्हें प्लेटफार्म नं. 4 में ज्यादा दिक्कतें होती हैं, क्योंकि वहां न तो रेलवे का प्याउ है और न ही, कोई हैण्डपंप। लिहाजा पास के मोहल्ले के हैण्डपंप से पानी लाना पड़ता है। हालांकि इस बात का उन्हें कोई मलाल नहीं रहता। उनका कहना है कि प्यासे यात्रियों को पानी पिलाने से उन्हें आत्मीय खुशी होती है और थकान को कहीं कोई आभाष नहीं होता। वे स्टेशन में मटका भी लाकर रखते हैं और दो बाल्टी के माध्यम से यात्रियों को पानी पिलाने में पूरे समय लगे रहते हैं। प्यासों को पानी पिलाने के यज्ञ में उन्हें परिवार के लोगों का भी पूरा सहयोग मिलता है। श्री सोनी ने बताया कि परिवार के लोगों ने कभी नहीं टोका, बल्कि उनके बेटों ने कई बार स्टेशन पहुंचकर उनका हाथ भी बंटाया। उनकी पत्नी श्रीमती मीरा सोनी भी चाहती है, वह स्टेशन जाकर लोगों को पानी पिलाए, जिससे उन्हें भी पुण्य का लाभ मिले। हालांकि वे अब तक अपने पति के अनुकरणीय कार्यों में सीधे तौर पर हाथ नहीं बंटा सकी हैं, मगर श्री सोनी के मनोबल को बढ़ाने में उनका योगदान होता है।


शिक्षा दान में भी पीछे नहीं
रेलवे स्टेशन में यात्रियों को पानी पिलाने के अलावा श्री गोविंद सोनी शिक्षा दान करने में भी पीछे नहीं है। गर्मी खत्म होते ही शिक्षा सत्र शुरू होने के बाद वे सरस्वती शिशु मंदिर समेत आसपास मोहल्लों के सरकारी स्कूलों के बच्चों को पढ़ाते भी हैं। इस तरह की परिपाटी बरसों से चली आ रही है, यह सब कार्य उनकी दिनचर्या में ही शामिल हो गया है।


...बात निकली तो दूर तलक जाएगी
यात्रियों को पानी पिलाकर मिसाल बने श्री सोनी के उल्लेखनीय कार्यों का प्रभाव भी लोगों के जेहन पड़ा है। इन 26 बरसों में अनेक लोगों ने उनके साथ जाकर यात्रियों को पानी पिलाने का कार्य किए हैं, हालांकि वे अपना यह यज्ञ अनवरत जारी नहीं रख सके। इस बरस नैला के रामावतार अग्रवाल ने भी श्री सोनी के साथ पानी पिलाने का बीड़ा उठाया। उनका कहना है कि वे कई बरसों से देखते आ रहे हैं कि श्री सोनी किस तरह तकलीफ झेलकर भी लोगों की सेवा करते आ रहे हैं। यही बात उन्हें भी स्टेशन तक खींच लाई और वे भी उनके साथ मिलकर यात्रियों की प्यास बुझाने में सहयोग दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें आत्मसंतुष्टि मिलती है। साथ ही मन को तसल्ली भी है कि जीवन में आएं हैं तो कुछ तो समाज के लिए कर पा रहे हैं।


शास्त्री जी हैं प्रेरणास्त्रोत
श्री सोनी के प्रेरणास्त्रोत पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री हैं। उनके कार्यों से इतने प्रभावित हैं कि वे हर दिन अपने घर में भगवान की तरह उनकी पूजा करते हैं। स्व. शास्त्री की तस्वीर अपने घर के कमरे में लगाकर रखे हुए हैं, जहां बरसों से उनकी पूजा की परिपाटी चली आ रही है। श्री सोनी का कहना है कि जब शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे, उस दौरान उन्होंने देश में अनाज की बढ़ती किल्लत को देखते हुए अवाम को हफ्ते में एक दिन उपवास करने का आह्वान किया था, जिसके कारण अनाज की समस्या उस दौरान खत्म हो गई। यही बात श्री सोनी को प्रभावित कर गई और वे उनके अनुयायी बन गए।

राजकुमार साहू, जांजगीर छत्तीसगढ़

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Comment by Rash Bihari Ravi on June 12, 2011 at 4:07pm
श्री गोविंद सोनी ji dwara kiya gaya karay sarahaniye hain

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