For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rachna Bhatia's Blog (44)

है जिधर मेरी नज़र उसकी नज़र जाने तो दो

2122 2122 2122 212

.

है जिधर मेरी नज़र उसकी नज़र जाने तो दो

कायनात ए इश्क़ को हर सू बिखर जाने तो दो

.

क्या हमें हासिल हुआ इस ज़िन्दगी से दोस्तो

सब बताएंगे मगर जाँ से गुज़र जाने तो दो

.

हम अदालत में करेंगे पैरवी हर झूठ की

शर्म आँखों की ज़रा सी और मर जाने तो दो

.

तर्के निस्बत का भी मातम तुम मना लेना मगर

ताज दिल का टूट कर पहले बिखर जाने तो दो

.

आँख से बहता समंदर बाँध कर रखना ज़रा

कतरा कतरा…

Continue

Added by Rachna Bhatia on September 30, 2020 at 10:30pm — 4 Comments

ग़ज़ल

2122 2122 212

.

जो तुम्हारा है हमारा क्यों नहीं

ये किसी ने भी बताया क्यों नहीं



शह्र से मज़दूर आए गांव क्यों

वक़्त पर उनको सँम्हाला क्यों नहीं



लाख तारे आसमाँ पर थे मगर

इक भी मेरी छत पे आया क्यों नहीं



ख़्वाहिशों की भीड़ से ही पूछ लो

मुझको इक पल का सहारा क्यों नहीं



ज़िन्दगी भी दे रही ता'ना हमें

लफ़्ज़ खु़शियों का लिखाया क्यों नहीं



हारते हैं ग़म से "निर्मल" रोज़ ही

जीतना हमको सिखाया क्यों नहीं…



Continue

Added by Rachna Bhatia on June 6, 2020 at 9:00pm — 3 Comments

ग़ज़ल

2122 1122 1122 22

1

गर्म अफ़वाहों का बाज़ार ख़ुदा ख़ैर करे

बिक रहा झूठ का अख़बार ख़ुदा ख़ैर करे

2

चार सिक्कों की ख़नक जेब में क्या होने लगी

हो गए हम भी तलबगार ख़ुदा ख़ैर करे

3

शांत लहरों में भी कश़्ती को सहारा न मिला

डूबी मँझधार में पतवार ख़ुदा ख़ैर करे

4

इश़्क था या कि अज़ीयत ओ फ़ज़ीहत का सफर

है अलम दिल का पुर आज़ार ख़ुदा ख़ैर करे



बाँध रक्खा है किनारों ने संमदर ऐसे

रुक गई लहरों की रफ़्तार ख़ुदा ख़ैर… Continue

Added by Rachna Bhatia on April 2, 2020 at 1:31pm — 4 Comments

ग़ज़ल

212 1212 1212 1212



सिर पे पांव रख हमारे,चढ़ रहे हो सीढ़ियाँ

फैंक दलदलों में यार,मांगते हो माफियाँ



जिंदगी में देख लीं,बहुत सी हमने आंधियाँ

खत्म हो चुके हैं अश्क,बंद सी हैं सिस्कियाँ



दास्ताने जिंदगी, सुना सके न हम कभी

दर खुदा के आ खड़े,ले चंद हम भी अर्जि़याँ



छा रही है तीरगी,न रोशनी दिखे कहीं

मौत है बुला रही,दे जिंदगी भी धमकियाँ



चापलूसी बोलती,न महनतों का मोल है

लग रही जगह जगह, इमान की ही बोलियाँ



साथ छोड़ चल… Continue

Added by Rachna Bhatia on June 10, 2019 at 7:55pm — 5 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
19 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
19 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई तिलक राज जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह से लेखन को पूर्णता मिली। हार्दिक आभार।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, हार्दिक धन्यवाद।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई गणेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
20 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service