For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - मुझे ग़ैरों में शामिल कर चुका है

2122 2122 2122

1

वो ज़रा-सा सिरफ़िरा कुछ मनचला है

जो महब्बत के सफ़र पर चल पड़ा है

2

मेरे दिल ने जो कहा मैंने किया है

काम फिर चाहे वो अच्छा या बुरा है

3

अक़्स आँखों में हमारी जो छिपा है

इस जहाँ के सबसे प्यारे शख़्स का है

4

है महब्बत एक चिंगारी कुछ ऐसी

दिल लगाने वाला ही इसमें जला है

5

बाद मुद्दत के मिला उससे तो जाना

वो मुझे ग़ैरों में शामिल कर चुका है 

6

कुछ कहे बिन और कुछ पूछे बिना ही 

मेरे दिल पर नाम उसने लिख लिया है

7

क्यों नहीं बेख़ौफ़ हो कर मैं बढ़ूँ जब

हाथ थामे साथ जब चलता ख़ुदा है 

दे रहा जब साथ हर इक पल ख़ुदा है

8

वक़्त से "निर्मल" यही सीखा है मैंने

सच हमेशा आख़िरीदम तक लड़ा है

मौलिक व अप्रकाशित 

रचना निर्मल

Views: 334

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rachna Bhatia on May 29, 2023 at 1:18pm

आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी नमस्कार। भाई हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 28, 2023 at 10:51pm

आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

Comment by Rachna Bhatia on May 21, 2023 at 11:08am

आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार।सर् ग़ज़ल तक आने व इस्लाह देने के लिए आपका बेहद बेहद शुक्रिय:।

Comment by Samar kabeer on May 20, 2023 at 11:48am

मुहतरमा रचना भाटिया जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।

'अक़्स आँखों में हमारी जो छिपा है'

इस मिसरे में 'अक़्स' को "अक्स" कर लें ।

Comment by Rachna Bhatia on May 17, 2023 at 5:19pm

आदरणीय नीलेश शेवगांवकर जी नमस्कार। आदरणीय 7 शे'र के सानी पर अपनी राय देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। आदरणीय अशोक गोयल जी ने सहीह टोका था ।ऊला में कुछ लिखना रह गया था। मुझसे ग़लती यह हुई कि उनको कमेंट का उत्तर देने से  पहले मैंने ग़ज़ल में सुधार कर दिया जिससे ग़ज़ल मंच से हटकर एप्रूवल में चली गई और मैं समय रहते जवाब नहीं दे पाई।आगे से ध्यान रखूँगी। सादर।

Comment by Rachna Bhatia on May 17, 2023 at 5:14pm

आदरणीय अशोक गोयल जी हौसला बढ़ाने के लिए हार्दिक धन्यवाद। आपने ठीक कहा था कि 4मिसरा बेबह्र था। ठीक करके आपको दिखाना चाहा था तो देखा ग़ज़ल एप्रूवल के लिए चली गई। इसलिए कमेंट नहीं कर पाई। ग़लती इंगित करने व हौसला बढ़ाने के लिए कोटिश आभार।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 17, 2023 at 4:13pm

आ. रचना जी,

अच्छी ग़ज़ल हुई है. बधाई स्वीकार करें ..
7 th शेर में तीन मिसरे हो गए हैं.. कोई एक सानी रख लें .. मुझे दे रहा पसंद आ रहा है ...
आ. अशोक सर,
4 थे शेर में कुछ ऐसी को अलिफ़-वस्ल के साथ कुछैसी पढ़ा है जो ठीक ही प्रतीत हो रहा है. 
कोई और बारीक बात हो तो मार्गदर्शन करें..
सादर 
पुन: बधाई रचना जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
7 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
28 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। पंचकल त्रिकल के प्रयोग…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई के साथ-साथ धन्यवाद भी। कि, इस पटल पर, इस खुले आयोजन…"
1 hour ago
Chetan Prakash commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"वाकई  खूबसूरत शुद्ध हिन्दी गजल हुई, आदरणीय! "कर्म हम रणछोड  के अनुसार भी करते…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीया रक्षिता जी,  आपकी इस कविता में प्रदता शीर्षक की भावना निस्संदेह उभर कर आयी…"
3 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक शेर की विषय - वस्तु…"
5 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"धन्यवाद भाई लक्ष्मण धामी जी "
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अच्छी रचना हुई है ब्रजेश भाई। बधाई। अन्य सभी की तरह मुझे भी “आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा”…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"बेहतरीन अशआर हुए हैं आदरणीय रवि जी। सभी एक से बढ़कर एक।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service