| छोड़ पाप मन का , सत पथ पर चल , लफडा करना , अब छोडो | | 
| तज काम क्रोध को , छोड़ लोभ मद , हरी भजन में , मन जोड़ो | | 
| लोग शिक्षा पायें , ज्ञान कमायें , प्रेम बढायें , हर जन में | | 
| जहाँ लोग देखें , खुश हो जायें , बस ऐसे बन , हर मन… | 
Added by Shyam Narain Verma on April 24, 2013 at 3:25pm — 4 Comments
| बहते अश्कों ने दिल दुखाया है | | 
| गम की गली में कोई आया है | | 
| गमगीन चेहरे की क्या कहिये , | 
| किसी ने हँसते को रुलाया है | | 
| खिला फूल मुरझाया है अब तो ,… | 
Added by Shyam Narain Verma on April 23, 2013 at 5:52pm — 4 Comments
| चलो मुसाफिर देख लो , कहाँ होगा गुजार | | 
| ना दे सहारा कोई , फिर से करो विचार | | 
| खंजर मारें पेट में , दूर से मेहमान | | 
| देख चिच्लाते चीखते, खुश हों बेईमान | | 
| अब किस पर यकीन करे,… | 
Added by Shyam Narain Verma on April 20, 2013 at 3:07pm — 3 Comments
| मेरे साजन घर ना आये , सूना सूना लागे | | 
| जब से छोड़ कर गये विदेश , घर में मन ना लागे | | 
| दिन में कहीं चैन ना आये , रतिया बीते जागे | | 
| उनके बिना कुछ ना सुहाये , नैनन निद्रा भागे | | 
| आकर… | 
Added by Shyam Narain Verma on April 18, 2013 at 1:11pm — 3 Comments
| जो जग में सब को ले आती , जननी महिमा अपरम्पार | | 
| जग में यदि माँ ही ना होती , चल ना पाता ये संसार | | 
| जलचर थलचर या नभचर हो , माँ सबकी है पालनहार | | 
| जननी से ही ये दुनिया है , ना तो सब कुछ है बेकार |… | 
Added by Shyam Narain Verma on April 17, 2013 at 11:41am — 3 Comments
| जिसे हमने देवता माना , सरेआम डूबा डाला | | 
| जवानी जिस पर लूटा दिया , छोड़ शादी रचा डाला | | 
| दिल से जिसको पूजा हमने , हमें मिट्टी बना डाला | | 
| कसमें वादों की… | 
Added by Shyam Narain Verma on April 15, 2013 at 3:00pm — 7 Comments
| जागे रहते वीर जवान | | 
| जान हथेली पर ले चलते , भारत माँ के वीर जवान | | 
| देश दुनिया शांती चाहते , मेरा देश कितना महान | | 
| छुप छुप कर बैरी वार करें , मुश्किल में दे देते जान | | 
| सात समुंदर… | 
Added by Shyam Narain Verma on April 13, 2013 at 11:43am — 9 Comments
| जाल में पडी मछली रोये -कविता | | 
| सागर में भी तडपे मछली , जब लहरों में फँस जाये | | 
| जाल डाले आते शिकारी , फिर उनसे कौन बचाये | | 
| साथ नहीं देता जब कोई , फिर आशा कौन दिलाये | | 
| जब फँस गयी… | 
Added by Shyam Narain Verma on April 12, 2013 at 3:14pm — 8 Comments
| घरनी -कविता | | 
| सदा चैन की बंशी बजती , जब घर में खुशहाली हो | | 
| जंगल में मंगल हो जाता , साथ अगर घरवाली हो | | 
| एक म्यान में दो तलवारें , चैन कहाँ मिल पायेगा | | 
| यदि यार का दखल हो घर में ,… | 
Added by Shyam Narain Verma on April 10, 2013 at 11:12am — 7 Comments
| इल्जाम | 
| किस्मत का खेल है अनोखा , कोई हँसता या रोता | | 
| जब कोई इल्जाम लगाये , किसी की नाव डूबोता | | 
| सदा नीचा दिखाये बैरी, कल बल छल हरदम ढोता | | 
| तड़पते देख खुश होता है , चैन की नींद न… | 
Added by Shyam Narain Verma on April 8, 2013 at 5:00pm — 3 Comments
लहरे कहतीं हैं लहराकर, आगे बढ़ते जाना है |
अथक मेहनत और लगन से, हमको मंजिल पाना है |
 कितना भी दूर रहे  मंजिल, करीब होगा जाने से |
 ऐसे कुछ ना मिलने वाला, हार कर बैठ जाने से |
 सोते शेर के मुँह में भी, शिकार खुद ना जाएगा | 
 कभी ना कभी मिलेगी मंजिल, जो पसीना बहायेगा |…
Added by Shyam Narain Verma on March 5, 2013 at 12:30pm — 1 Comment
अब रंग रंग के फूल खिले हैं,
मेहनत कर रहा माली |
बरसों से था आस लगाये,
रब कब महकेगी डाली |
तड़के उठ कर बाग़ सजाये,
आ जाती है घर वाली |
हरा भरा है बाग़ सुहावन,
देख मनाएं खुशिहाली…
ContinueAdded by Shyam Narain Verma on March 1, 2013 at 5:30pm — 5 Comments
देश हमारा 
देश हमारा कितना प्यारा , बोलें सब मीठी बोली ।
हिन्दू मुस्लिम भाई भाई  , सब  मिलकर खेलें होली । 
बहती रहतीं पावन  नदियाँ , सबकी भरतीं हैं झोली ।
हरे भरे फसल उगाकर ही , लोग मानते रंगोली ।
मुकुट  जिसका हिमालय जैसा , ऐसा देश हमारा है ।
जिसका पांव पाखरे निसदिन , हिन्द सागर की धारा है ।
वेष  भूषा अलग अलग है , अलग अलग ही है बोली ।
सभी लोग आदर करते हैं , एक रहे  चाहे टोली  ।
देश की शान पर  मरते हैं , ऐसा देश हमारा है ।
विश्व विजयी तिरंगा झंडा  , हम…
Added by Shyam Narain Verma on January 30, 2013 at 2:40pm — 4 Comments
अकेल शेरनी
देख बहे अश्कों की धारा , जब चली गुड़िया हमारी !
दूर अकेल रहेगी कैसे , आँखों की पुतली हमारी !
माँ बाप को घर में छोड़कर , सपने ले चली दुलारी !
यों मिलती रही कामयाबी , खिलती जाती फुलवारी !
जब कामयाब हो कर  निकली , बैरी राहों में आये !
देख कर अकेल शेरनी को , राहों में जाल बिछाए ! 
तडपती रही शिकार बनकर , बेबस पर  रहम न आये !
वर्मा  गयी वो इस दुनिया से , कैसे आंसू ना  आये !
श्याम नारायण वर्मा
Added by Shyam Narain Verma on January 4, 2013 at 2:31pm — 2 Comments
Added by Shyam Narain Verma on November 28, 2012 at 1:11pm — 4 Comments
Added by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 2:28pm — 5 Comments
Added by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 2:25pm — 1 Comment
दिल लगाकर प्रीत बढ़ाकर चल दिये ।
 अपना बनाकर दिल चुराकर चल दिये ।
 अब जायेगें कब आयेगें दिल है बेकरार ,
 वादा करके , गुल खिलाकर चल दिये ।
 भूल ना जाये ये कहीं दुष्यन्त की तरह ,
 साथ निभाकर दिल लगाकर चल दिये ।
 हर किसी से दिल लगाना कितना मुश्किल ,
 कभी ना भूलेगे आस दिलाकर चल दिये ।
 दिल कहता रहा अब ना जाओ छोड़कर ,
 वर्मा देके दिलासा , हाथ मिलाकर चल दिये ।
Added by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 11:30am — 3 Comments
Added by Shyam Narain Verma on November 26, 2012 at 5:00pm — 9 Comments
छोटी छोटी खुशी कहीं गम ना दे जाये ।
 पटाखों के ढेर में कोई बम ना दे जाये ।
 कैसे यकीन करें जब यकीन नहीं होता,
 झोली में रकम कभी कम ना दे जाये ।
 कड़कती धूप में छाँव प्यारा लगता है ,
 दरखत की शाख कहीं धम ना दे जाये ।
 नम आखों देखते हैं जलता आशियाना,
 दूसरों की आह बेबस रहम ना दे जाये ।
 गिरते गिरते बचते ठोकर लगने के बाद ,
 वर्मा संभलते कहीं निकला दम ना दे जाये ।
.
 श्याम नारायण वर्मा
Added by Shyam Narain Verma on November 24, 2012 at 12:30pm — 3 Comments
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