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Neeraj Nishchal's Blog (70)

चलो मयकदे मेँ

चलो मयकदे मेँ जमाने मेँ क्या हैँ ।

अगर लुत्फ है तो उठाने मेँ क्या है ।



न पाया जमाने मेँ कुछ भी रहकर ,

अब मयकदा आजमाने मेँ क्या है ।



भर जायेगी जब पैमानोँ मेँ मय ,

फिर उसको पीने पिलाने मेँ क्या है ।



खुदा का तसव्वुर जब हर जगह है ,

फिर सर यहाँ भी झुकाने मेँ क्या है ।



जब राज दिल के सब खुल गये होँ ,

परदा नजर का गिराने मे क्या है ।



न इन्सान समझे जब दिल की कीमत ,

दिल मयकशी से लगाने मेँ क्या है ।



सिवा तेरे तू… Continue

Added by Neeraj Nishchal on September 14, 2014 at 1:42am — 17 Comments

सहारा मिल गया होगा

1222 1222 1222 1222

झुकी पलकों कि उल्फत का इशारा मिल गया होगा ।

कि सहरा को समंदर का नज़ारा मिल गया होगा ।

अभी था रो रहा बच्चा अभी है खेलता हँसता ,

कि खोया था खिलौना जो दुबारा मिल गया होगा ।

घटाओं की अँधेरी रात में उम्मीद जागी है ,

गगन में टिमटिमाता इक सितारा मिल गया होगा ।

सुखों की ख्वाहिशें जिसने समझ से छोड़ दी होंगी ,

उसे दुःख के भँवर से भी किनारा मिल गया होगा ।

निगाहों ने कहा मुझ से कि सूरत सी…

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Added by Neeraj Nishchal on August 10, 2014 at 2:00pm — 8 Comments

कहानी प्यार की

2122 212 212 2212

 

हम लिखेंगे ओ सनम इक कहानी प्यार की । । 

दास्ताँ कोई बनेगी ज़िंदगानी प्यार की ।

लाख सदियों से पुराना प्यार फिर भी है नया ,

हर जवाँ दिल में धड़कती है जवानी प्यार की ।

तू खिजां से दोस्ती कर पतझड़ों में रंग भर  ,

एक दिन आकर रहेगी ऋतु सुहानी प्यार की ।

ये जुबां वालों  कि दुनिया में न हाले दिल सुना ,

कब भला समझी किसी ने बेज़ुबानी प्यार की ।

ये सभी रस्में व कसमें सब रिवाज़ों से परे ,…

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Added by Neeraj Nishchal on August 7, 2014 at 7:30pm — 7 Comments

बहनो की राखी फौजी भाइयों के नाम

देश की सीमा पर बैठे उन देश के पहरेदारों को ।

बहनो ने राखी भेजी है भारत की आँख के तारों को ।

प्यार भेजतीं हैं तुमको अनमोल पर्व इस पावन का ।

तुम देश की रक्षा करते हो ये धागा रक्षा बंधन का ।

ये डोर रेशमी डोर नही के ताकत है बहन के भाई की ।

जो देश की सेवा हित उठती शोभा है उसी कलाई की ।

जहँ निडर सुरक्षित रह पायें तुमसे वो वतन मांगती हैं ।

इस राखी के बदले बहनें रक्षा का वचन मांगती हैं ।

इस देश की सारी बहनों को हे…

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Added by Neeraj Nishchal on August 5, 2014 at 11:30am — 1 Comment

किसी के दिल को छू पाया

2122  2122  2122  2122

राज की बात कहता हूँ समझ अब तक न तू पाया ।

सुकूँ देकर किसी को ही आदमी ने  सुकूँ  पाया ।

दौलतें शोहरतें जिनको कमानी हैं क़मा लें वो ,

मुझे इतना बहुत है जो किसी के दिल को छू पाया ।

बढ़ाये हाथ जब मैंने किसी को थाम लेने को ,

ख़ुशी का सिलसिला दिल में अचानक ही शुरू पाया ।

यहाँ हर शै से हर शै का एक अनबूझ रिश्ता है ,

जब दिल में चुभा काँटा तो आँखों में लहू आया ।

ढूँढ़ने ज़िन्दगी का राज मै…

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Added by Neeraj Nishchal on February 9, 2014 at 11:30am — 8 Comments

मीरा छोड़ सब तेरी गली मोहन चली आयी

शेर -

"प्रीत  की लगन है ये , किसी ने न जानी है ।

सबकी समझ में आती  नही ये कहानी है ।"

मीरा छोड़ सब तेरी गली मोहन चली आयी ।

न आया तू तो तेरे द्वार पर जोगन चली आयी ।

कि इकतारे की सरगम पर विरह के गीत गाती है ।

दीवानी बावरी बेसुध तुम्हारी और आती है ।

जर्जर तन निगाहों में लिए सावन चली आयी ।

न आया तू तो तेरे द्वार पर जोगन चली आयी ।

देह भी चूर है थक कर और पैरों में छाले हैं ।

सूखते लब…

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Added by Neeraj Nishchal on February 3, 2014 at 10:30pm — 10 Comments

इक ज़ुरूरी बात थी

अनकही सी अनसुनी सी इक ज़ुरूरी बात थी ।

कह के भी कह ना सके कोई अधूरी बात थी ।

बोलने कि हद पे था प्यार का शैलाब पर ,

ना बोलने  की ज़िद पे भी इक गुरुरी बात थी ।

कोशिशें तो की बहुत इज़हारे उल्फत की मगर ,

लफ़्ज़ों में ना आ सकी दिल की पूरी बात थी ।

एकटक देखा उन्हें तो देखता ही रह गया ,

चाँद से चेहरे पे उनके कोहिनूरी बात थी ।

प्यार की खामोशियों में रंग भरने के लिए ,

उन लबों  की लालियों में एक सिन्दूरी बात थी…

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Added by Neeraj Nishchal on January 26, 2014 at 2:30pm — 7 Comments

छब्बीस जनवरी

हो गये जो निछावर वतन के लिए ,

याद करने की उनको घड़ी आ गयी ।

आज का दिन मनायें उन्हीं के लिए ,

कहने गणतंत्र कि नव सदी आ गयी ।

ये वीरों की धरती हमारा वतन ।

आकाश भी जिसको करता नमन ।

गाँधी नेहरू की जीवन कहानी है ये ।

नेता जी की तो सारी जवानी है ये ।

ऐसे आज़ाद भारत के वासी हैं हम ,

बात मन में यही फक्र की आ गयी ।

लाल हो जिनके कपड़े कफ़न हो गये ।

जो हिमालय कि हिम में दफ़न हो गये ।

मर के भी दुश्मनों को न बढ़ने…

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Added by Neeraj Nishchal on January 25, 2014 at 3:30pm — 16 Comments

खुदा तुम्हारे ही खो जाने में मिलता है

जो पीने को दिल के पैमाने में मिलता है ।

वो जाम मोहब्बत के मैखाने में मिलता है ।

ना होश न खबर कोई मस्ती है खुमारी है ,

ये इल्म फकीरों के अफ़साने में मिलता है ।

सब झूठ ही कहते हैं कि शम्मा जलती है ,

जलने का हुनर फकत परवाने में मिलता है ।

कुछ मज़ा दीवाने को आता है तड़पने में ,

कुछ लुत्फ़ उन्हें भी तो तड़पाने में मिलता है ।

ये समझ ले जो तूने दिल में ही नही पाया ,

वो मन्दिर मस्जिद ना बुतखाने में मिलता है…

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Added by Neeraj Nishchal on January 5, 2014 at 9:00pm — 7 Comments

लूट लेते हैं

दीवाने भी अज़ब हैं वो जो महफ़िल लूट लेते हैं ।

के सिर कदमों में रखते हैं और दिल लूट लेते हैं ।

कि जिन लहरों के तूफानों ने लूटी कश्तियाँ लाखों ,

उन्हीं लहरों के आवेगों को साहिल लूट लेते हैं ।

शाख से टूटकर अपनी बिखर जाते हैं जो तिनके ,

बनाने को घरौंदे उनको हारिल लूट लेते हैं ।

अदब तो दोस्ती का है पर अदायें दुश्मनों सी हैं ,

के हमारा चैन उनके नैन कातिल लूट लेते हैं ।

मोहब्बत करने वालों का ख़ुशी से वास्ता क्या है…

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Added by Neeraj Nishchal on January 3, 2014 at 4:30pm — 19 Comments

ढूँढ़ता है दिल मेरा

तेरी सूरत का नज़ारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

बस धड़कने का सहारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

बेवफाई कि खिजां में खो गया था जो कभी ,

प्यार का मौसम दुबारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

जिनकी कातिल सी अदा पर मर मिटा था ये कभी ,

उन निगाहों का इशारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

रहनुमाँ उस आसमाँ से मांगने को एक दुआ ,

आज फिर टूटा सितारा ढूँढ़ता है दिल मेरा ।

भूलकर दुनिया के सारे  आशियाँ और मकाँ ,

तेरे आँचल में गुज़ारा ढूँढ़ता है दिल मेरा…

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Added by Neeraj Nishchal on December 30, 2013 at 2:30pm — 18 Comments

'प्रेम' अतुकान्त

प्रेम करो प्रकृति द्वारा
सृजित जीवन से
तो ही जान सकोगे
जीवन के गर्भ में
छुपे अनगिनत रहस्यों को
प्रेम से खुलेंगे
जीवन के वो द्वार
जिनके लिए जन्मों जन्मों
से भटकते रहे तुम
जिनसे अब तक
अन्जान रहे तुम
प्रेम से होगी यह प्रकृति
तुम्हे समर्पित
खोल कर रख देगी
सारे राज तुम्हारे सामने
जैसे गिरा देती है प्रेयसी
परदे अपने प्रेमी के सामने ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज 'प्रेम '

Added by Neeraj Nishchal on December 8, 2013 at 12:51pm — 19 Comments

सबने तो वाह वाह की

कैसे सुनाएँ दास्ताँ तरसी निगाह की ।

दौरे ग़मों में किस तरह हमने पनाह की ।

 

दर्दे सितम प्यार में मिलते रहे हमे ,

चुपचाप सह गए कभी हमने न आह की ।

 

बीती फकत जो ज़िन्दगी हमने किया नही ,

हमें सजा भी मिल गयी ऐसे गुनाह की ।

 

एक एक करके हसरतें दम तोड़ती गयीं ,

हमको मिला वही कभी जिसकी न चाह की ।

 

तूफाँ कभी न आया शायद मेरी डगर ,

उसकी डगर में ज़िन्दगी हमने तबाह की ।

 

हाले बयान  ये जो महफ़िल में कर…

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Added by Neeraj Nishchal on December 6, 2013 at 2:30pm — 17 Comments

दीवाना होश खो देगा

कन्हैया यूँ न मुस्काओ दीवाना होश खो देगा ।

कि खुद डूबेगा मस्ती में वो तुमको भी डुबो देगा ।

दीवाने को नही मालुम तेरी मुस्कान का जादू ।

जो देखेगा छटा मुख की तो हो जाये न बेकाबू ।

फिर तो होके वो पागल तुम्हारे पीछे दौड़ेगा ।

कन्हैया यूँ न मुस्काओ दीवाना होश खो देगा ।

ये करुणा से भरी आँखें पिलाती प्रेम का प्याला ।

के उस पर माधुरी तेरी घोल दे कौन सी हाला ।

गिरेगा लड़खड़ाकर जब तुम्हें बदनाम कर देगा ।

कन्हैया यूँ…

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Added by Neeraj Nishchal on December 4, 2013 at 6:26am — 18 Comments

ढूँढ़ लाया है

उजालों की पनाहों में अंधेरे ढूँढ़ लाया है ।

ये दिल नादाँ बुरे हालात मेरे ढूँढ़ लाया है ।

के बीती रात जो यादें भुलाकर सो गया था मै ,

उन्हें जाने कहाँ से फिर सवेरे ढूँढ़ लाया है ।

ये अरमाँ ये तमन्नायें ये ख्वाहिश और ये सपने ,

मेरे चैनों सुकूनों के लुटेरे ढूँढ़ लाया है ।

ख़यालों कल्पनाओं की अज़ब दुनिया में खोया है ,

हकीकत से परे पहलू घनेरे ढूँढ़ लाया है ।

कभी सीखा न था हमने ग़ज़ल गीतों का ये दमखम ,

मेरी जानिब…

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Added by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 1:32pm — 11 Comments

सीख जाते हैं

कभी गिरते कभी उठते कभी सभलना सीख जाते हैं ।

मंज़िल उनको मिलती है जो चलना सीख जाते हैं ।

नये हर एक मौसम में नया आगाज़ करते हैं ,

वक्त के साथ जो खुद को बदलना सीख जाते हैं ।

बनके दरिया वो बहते हैं और सागर से मिलते हैं ,

जो बर्फीले सघन पत्थर पिघलना सीख जाते हैं ।

उन्होंने लुत्फ़ लूटा है बहारों कि इबादत का ,

बीज मिट्टी में मिट मिट कर जो मिलना सीख जाते हैं ।

अजब सौन्दर्य झलकाते बिखेरें रंग और खुशबू ,

जो काँटों और…

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Added by Neeraj Nishchal on November 23, 2013 at 12:48pm — 22 Comments

दोहे - प्रेम



एक सिवा मै प्रेम के , करूँ न दूजी बात ।

प्रेम मेरी पहचान हो , प्रेम हो मेरी जात ।

आती जाती सांस में , आये जाये प्रेम ।

प्रेम हो मेरी साधना , प्रेम बने व्रत नेम ।

प्रेम कि लहरें जब उठें , बहे अश्रु की धार ।

प्रेम की वीणा जब बजे , जुड़े ह्रदय के तार ।

प्रेम कि पावन धार में, मेरा मै बह जाय ।

मेरी अंतरआत्मा , प्रीतम से मिल जाय ।

नाची मीरा प्रेम में , प्रेम में मस्त कबीर ।

प्रेम खजाना जब मिला , हुए फ़कीर…

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Added by Neeraj Nishchal on November 22, 2013 at 8:13pm — 7 Comments

हंसी में उड़ा गयी

आँख से आँख वो ऐसे कुछ लड़ा गयी ।

नज़र पे अज़ीब सी कशिश वो चढ़ा गयी ।

झोकें सी गुज़री जब मेरे करीब से ,

साँसों को थामकर  धड़कनें  बढ़ा गयी ।

आरज़ू बड़ी थी पर कुछ भी न कह सका ,

बोलने के वक्त आवाज़ लड़खड़ा गयी ।

के घायल खड़ा रहा बनके शिकार मै ,

तीरे नज़र मेरे जिगर पे गड़ा गयी ।

लगा एक पल जैसे कयामत करीब हो ,

मेरी बायीं आँख तभी फड़फड़ा गयी ।

मुड़ के मेरी ओर फिर यूँ मुस्करायी ,

ज्यूँ मेरी बेबसी हंसी में उड़ा…

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Added by Neeraj Nishchal on November 22, 2013 at 11:30am — 4 Comments

काबिल न था

हाले दिल जो छुपाने के काबिल न था ।

क्या कहूं मै सुनाने के काबिल न था ।

इस ज़माने ने मुझको नकारा नहीं

मै तो खुद ही ज़माने के काबिल न था ।

इस लिए वो मुझे आज़माते रहे ,

मै उन्हें आज़माने के काबिल न था ।

रंग तनहाइयों में ही भरने लगा ,

वो जो महफ़िल सजाने के काबिल न था ।  

बोझ रस्मों रिवाज़ों के कुछ भी न थे ,

पर उन्हे मै उठाने के काबिल न था ।

सूख कर दरिया वो राह में खो गया ,

जो सागर को पाने के…

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Added by Neeraj Nishchal on November 20, 2013 at 7:30pm — 12 Comments

एक सच

एक शाम खड़ा था अपने घर के बाहर तभी एक गाड़ी मेरे घर के करीब आ रुकी, मेरे पडोसी कि गाड़ी थी ,अभी कल ही उनके घर में उनकी एक घनिष्ठ रिश्तेदार जो उनके यहाँ रहकर ही अपना इलाज करा रही थीं उनका निधन हो गया था जिसकी सूचना मुझे भी मिली थी , खैर कार का दरवाज़ा खुला और वो लोग बाहर निकले अपने हालचाल को व्यवस्थित किये हुए और मुझे देख कर हलकी सी मुस्कान में मुस्कराये मैंने पूछा ," कहीं बाहर गए थे आप लोग ? "

उन्हों ने कहा ," तनाव बहुत ज्यादा हो गया था तो सोचा चलो फ़िल्म देख कर आते हैं ।…

Continue

Added by Neeraj Nishchal on November 18, 2013 at 4:30pm — 8 Comments

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