For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उजालों की पनाहों में अंधेरे ढूँढ़ लाया है ।

ये दिल नादाँ बुरे हालात मेरे ढूँढ़ लाया है ।

के बीती रात जो यादें भुलाकर सो गया था मै ,

उन्हें जाने कहाँ से फिर सवेरे ढूँढ़ लाया है ।

ये अरमाँ ये तमन्नायें ये ख्वाहिश और ये सपने ,

मेरे चैनों सुकूनों के लुटेरे ढूँढ़ लाया है ।

ख़यालों कल्पनाओं की अज़ब दुनिया में खोया है ,

हकीकत से परे पहलू घनेरे ढूँढ़ लाया है ।

कभी सीखा न था हमने ग़ज़ल गीतों का ये दमखम ,

मेरी जानिब में ग़ालिब के बसेरे ढूढ़ लाया है ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज  ' प्रेम'

Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on November 30, 2013 at 7:48am

वाह! बहुत सुंदर रचना! हार्दिक बधाई!

Comment by Meena Pathak on November 29, 2013 at 6:49pm

बहुत सुन्दर, बधाई स्वीकारे आदरणीय 

Comment by coontee mukerji on November 29, 2013 at 4:36pm

के बीती रात जो यादें भुलाकर सो गया था मै ,

उन्हें जाने कहाँ से फिर सवेरे ढूँढ़ लाया है ।.........बहुत खूब नीरज मिस्रा जी.बहुत सुंदर ख्यालात.

Comment by annapurna bajpai on November 28, 2013 at 8:24pm

सुंदर गजल के लिए बधाई आपको । 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on November 28, 2013 at 7:49pm

क्या बात है बेहतरीन ग़ज़ल कही है

दिली दाद हाजिर हैं

जय हो

Comment by बृजेश नीरज on November 28, 2013 at 7:41pm

कृपया बहर लिखें! बहर न लिखकर पाठक की परीक्षा न लें!

Comment by Meena Pathak on November 28, 2013 at 5:35pm

बहुत सुन्दर ..बधाई आप को आदरणीय 

Comment by ram shiromani pathak on November 28, 2013 at 12:42am

सुन्दर प्रस्तुति बहुत बहुत बधाई आपको  ,,,,,सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 27, 2013 at 9:28pm

आदरणीय नीरज " प्रेम " भाई ,!!!!! सुन्दर भावों , विचारों से सजी रचना के लिये आपको बधाई !!!!! अगर आपने ग़ज़ल कही है तो शिल्प के लिहाज़ से कमियाँ है वैसे आपने शीर्षक मे गज़ल नही लिखा है !!!!

Comment by Neeraj Nishchal on November 27, 2013 at 5:05pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service