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Naveen Mani Tripathi's Blog – November 2016 Archive (5)

ग़ज़ल: असर दिखा है जमाने में खास बातों का

1212 1122 1212 22(112)



असर दिखा है जमाने में खास बातों का ।

मिटा है खूब खज़ाना रईजादों का ।।



है फ़िक्र उस को नसीहत रुला गई यारों ।

गया है चैन , सुना है तमाम रातों का ।।



लुटे थे लोग जो अपने गरीबखानों से ।

हिसाब मांग रहे है वही हजारों का ।।



न पूछिए की चुनावों में हाल क्या होगा ।

बड़ा अजीब नज़ारा है इन सितारों का ।।



सफ़ेद पोश से पर्दा हटा गया कोई ।

पता चला है लुटेरों के हर ठिकानों का ।।



गरीब…

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Added by Naveen Mani Tripathi on November 23, 2016 at 8:30pm — 5 Comments

ग़ज़ल- जितने सनम मिले सभी शादी शुदा मिले

221 2121 1221 212



ये सिलसिले भी इश्क के हमसे खफा मिले ।

अक्सर मेरे रकीब जमानत रिहा मिले ।।



किस्मत की बेवफाई जरा देखिये हुजूर ।

जितने सनम मिले सभी शादी शुदा मिले ।।



जब भी उठे नकाब हिदायत के नाम पर ।

क्यों लोग आईने में हक़ीक़त ज़ुदा मिले ।।



चर्चा , लिहाज़ उम्र का , उसको नही रहा ।

कुछ तितलियों के फेर में अक्सर फ़िदा मिले।।



अक्सर हबस के नाम पे मरता है आदमी ।

मासूम सी अदा में ढ़ले बेवफा मिले ।।…



Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 22, 2016 at 11:30pm — 15 Comments

ग़ज़ल

1222 1222 1222 1222



वफ़ा की सब फिजाओं में हमारा जिक्र आएगा ।

घिरी काली घटाओं में हमारा जिक्र आएगा ।।



पुराने खत जला देना बहुत मायूस कर देंगे ।

खतों की वेदनाओं में हमारा जिक्र आएगा ।।



खुदा से पूछ लेना तुम खुदा तस्लीम कर लेगा ।

खुदा की उन दुआओं में हमारा जिक्र आएगा ।।



बहारें जब भी आएँगी तेरी दहलीज़ पे अक्सर ।

महकती सी हवाओं में हमारा जिक्र आएगा ।।



कोई तारीफ़ में तेरे अगर कुछ शेर कह जाये ।

तो उसकी भी अदाओं में हमारा जिक्र… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 16, 2016 at 9:15am — 4 Comments

ग़ज़ल

1222 1222 1222 1222



तेरे जलवे से वाकिफ हूँ तेरा दीदार करता हूँ ।

मुहब्बत मैं तुझे सज़दा यहां सौ बार करता हूँ ।।



नज़र बहकी फिजाओं में अदाएं भी हुई कमसिन ।

बड़ी मशहूर हस्ती हो नया इकरार करता हूँ ।।



न जाने कौन सी मिट्टी खुदा ने फिर तराशा है ।

है कारीगर बड़ा बेहतर बहुत ऐतबार करता हूँ ।।



नई आबो हवा में वो कली खिल जायेगी यारों ।

गुलाबी रोशनाई से लिखा रुख़सार करता हूँ ।।



यहां बेदर्द ख्वाहिश है वहां कातिल निगाहें हैं ।

बड़ी…

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Added by Naveen Mani Tripathi on November 15, 2016 at 2:00am — 5 Comments

ग़ज़ल - याद शब् भर कई दफ़ा आई

2122 1212 22

कोई खुशबू भरी हवा आई ।

याद शब् भर कई दफ़ा आई ।।



दर्द दिल का नही मिटा पाया।

जब से हिस्से में बेवफा आई ।।



कौन कहता है नासमझ है वो ।

दुश्मनी वक्त पर निभा आई ।।



उम्र गुजरी जिसे मनाने में ।

आज लेकर वही हया आई ।।



कुछ तो नीयत में फासले होंगे ।

वो अदब में नजर झुका आई ।।



चन्द लम्हे थे जिंदगी खातिर ।

बेरहम हो के फिर क़ज़ा आई ।।



है अलग बात भूल जाने की ।

काम उसके मेरी दुआ आई ।।



ये… Continue

Added by Naveen Mani Tripathi on November 5, 2016 at 4:36pm — 2 Comments

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