For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मनोज अहसास's Blog – September 2015 Archive (4)

तरही ग़ज़ल

रोटी कपडा दयार थे सदमे

मुफलिसी मे हज़ार थे सदमे



एक मुद्दत से साथ चलते थे

जान के दावेदार थे सदमे



खूब रोया था कहके चारागर

क्यों मेरा रोजगार थे सदमे



शाइरी भी फंसी सियासत मे

पहले ही बेशुमार थे सदमे



सारी बातें गलत तबीबों की

तेरे गम का गुबार थे सदमे



उनकी आँखों से नूर बहता है

हर तरफ मेरी हार थे सदमे



आज कह डाले तेरी महफ़िल है

मुझपे तेरा उधार थे सदमे



इश्क वालो के बीच कहता हु

रौशनी मे दरार… Continue

Added by मनोज अहसास on September 28, 2015 at 7:32pm — 2 Comments

अ से अंधेरा~~~~~मनोज अहसास

बड़े दिनों के बाद में आखिर

उनका बुलावा आ ही गया

सरकारी शिक्षक होने का

मन में कितना हर्ष हुआ

घर से दूर जाना था मुझको

लेकिन सोचा कोई बात नहीं

यही सत्य है इस जग का

कुछ खोकर ही कुछ पाना है

रात से बेहतर होता सवेरा

भले ही बादल वाला हो

पहुँच गया जब शिक्षा मंदिर

देखकर मन बस टूट गया

ऐसा लगा

उन्नत समाज साफ़ सुथरा जीवन

कितना पीछे छूट गया

घोर कालिमा खुरदरी भूमि

श्यामपट्ट से चेहरों तक

मैले कपड़ो में नन्हा भारत

आँखों में… Continue

Added by मनोज अहसास on September 21, 2015 at 9:26pm — 12 Comments

ग़ज़ल इस्लाह के लिए (मनोज कुमार अहसास)

2212 2212 2212 12





सज़दो का मेरा इश्क़ के ईनाम लिख दिया

साकी ने मेरे आंसुओं को जाम लिख दिया



सारे जहां की दौलते मुठ्ठी में आ गयीं

बेटी ने मेरे हाथ पर जब नाम लिख दिया



खुद को मिला के आ गया दुनिया की भीड़ में

उसने उदासियां का मेरी दाम लिख दिया



इस ज़िन्दगी के घाव कितने कम लगे मुझे

मैंने तड़फती सोच मे जब राम लिख दिया



हाथों के ज़ख्मो पेट की सिलवट को देखकर

घबरा के चारागर ने भी आराम लिख दिय



लपटों मे घिर न जाये कहीं… Continue

Added by मनोज अहसास on September 9, 2015 at 4:00pm — 7 Comments

ग़ज़ल_ इस्लाह के लिए (मनोज कुमार अहसास)

2122 1212 22

आज इस बात पर ही हँसते है

अश्क़ खुशियों से कितने सस्ते है



तुझसे मिलने में वो ही बंदिश है

सारी दुनिया में जितने रस्ते है



वो मुझे रात दिन सताते है

तेरी आँखों से जो बरसते है



जब तेरा ज़िक्र कहीं आता है

होठ कुछ कहने को तरसते है



चल ज़रा बेखुदी में चलते है

बस वहीँ इश्क़ वाले बसते है



मुझमे रोती थी उनकी नादानी

वो मेरी बेबसी पे हँसते है



देखकर तेरे चेहरे की जर्दी

बेबसी मुठ्ठियों…

Continue

Added by मनोज अहसास on September 1, 2015 at 2:30pm — 12 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service