For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rash Bihari Ravi's Blog – September 2010 Archive (12)

लिखने वाला लिख दिया है करले तू तैयारी ,

लिखने वाला लिख दिया है करले तू तैयारी ,

गिन चुन के बचे हैं बन्दे अब तो दिन चारी ,

धर्म कर्म तू कर ले बन्दे ले आगे की सुधारी ,

बच जायेगा इस जहाँ से कर ले सत्य सवारी ,

लिखने वाला लिख दिया है करले तू तैयारी ,

नाम काम ना आएगा जब भेजेगा ओ सवारी ,

बोल ना तुम पाओगे सन्देश भेजेगा अगरी ,

आँख की ज्योति कम हुई तुने चस्मा लगली ,

बाल सफ़ेद जब दिखा बन्दे मेहँदी से रंगवाली ,

लिखने वाला लिख दिया है करले तू तैयारी ,

एक ही रास्ता हैं इस जग में ओ हैं पालनहारी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 29, 2010 at 2:49pm — No Comments

यही हैं यही हैं यही हैं असलियत ,

अब कहाँ किसी में रही सोचने कि फुरसत ,

देखी गई हैं अक्सर इन्सान की ये फितरत ,

जाने कहाँ चली गई इंसानों से इंसानियत ,

यही हैं यही हैं यही हैं असलियत ,



अबलाओ पे अत्याचार चोर बन गए पहरेदार ,

होने लगी है अक्सर अपनों में ही तकरार ,

देखो यारो बदली कैसी इंसानियत कि सूरत ,

अंधी हो गई अपनी इंसाफ कि ये मूरत ,

यही हैं यही हैं यही हैं असलियत ,



आप रहो अब होशियार जानने को तैयार ,

अजब लगेगा आपको लोगो का व्यवहार ,

क्या न करवाए सब कुछ पाने कि… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 26, 2010 at 5:00pm — 6 Comments

तुम आग हो ये मैं जानता हूँ ,

तुम आग हो ये मैं जानता हूँ ,

फिर भी जलने को दिल करता है ,

तुम्हारी तपिश से दिल में ,

एक हलचल सी उठती है ,

उसी हलचल में खो जाता हूँ ,

तुम आग हो ये मैं जानता हूँ ,



मगर तुम्हे आग कहना ग़लत होगा ,

कारण, तुम्हारा वो रूप भी देखा है ,

जो बर्फ की शीतलता लिए ,

तन मन को रोमांचित कर देता है ,

और मैं तुम्हारा हो जाता हूँ ,

तुम आग हो ये मैं जानता हूँ ,



कभी कभी लगता हैं मुझे ,

सावन की रिमझिम फुहार हो ,

और तुम जब बरसती हो… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 23, 2010 at 6:30pm — 1 Comment

कर कुछ नया रे मनवा ,

कर कुछ नया रे मनवा ,

जा मति जा मति जा ,

छोड़ के सभको यु ही अकेले ,

उसपे दुनिया के लाख झमेले ,

द्वन्द को और ना बढ़ा ,

कर कुछ नया रे मनवा ,

जा मति जा मति जा ,

जब आया तू था सब सुन्दर ,

फिर माया मोह में लपटाया ,

जीवन को तू जीना चाहा ,

खुद को इसमें फसाया ,

अब क्यों कर तू सोचे हैं ,

फस गया मैं ये कहा ,

कर कुछ नया रे मनवा ,

जा मति जा मति जा ,

कर कुछ यैसा रह के जहाँ में ,

और ये सब को बता ,

नही हैं तेरे वास्ते कुछ भी… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 20, 2010 at 5:43pm — No Comments

रोने भी नहीं देते हसने भी नहीं देते ,

रोने भी नहीं देते ,

हसने भी नहीं देते ,

मन के माफिक ये तो ,

चलने भी नहीं देते ,

कल तक था मेरे मन में ,

देश के लिए जिऊंगा ,

चल पड़ा सीना ठोक कर ,

देश का सेवा करूँगा ,

देखा एड पढ़ कर भर दी ,

आ गया बुलावा भी ,

दौड़ में मैं आगे निकला ,

गर्व हुआ अपने ऊपर ,

आकर एक जन पूछा मुझसे ,

कौन तुझे भेजा अन्दर ,

मैं डट कर बोला उनसे ,

कोई नहीं हैं मेरे ऊपर ,

बोला चलो बगल में आओ ,

आगे आपना हाथ बढ़ावो ,

ये धागा मैं बांघ देता हु… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 18, 2010 at 8:37pm — No Comments

वाह रे जमाना खूब मस्त काम कर दिया ,

वाह रे जमाना खूब मस्त काम कर दिया ,
सहाद में जहर मिलाकर बर्बाद कर दिया ,
बिस्वास जिनपे किये आखं बंद कर के ,
दुसमन दोस्त अपने लूटे हमदर्द बन के ,
ये काम हिंद के आग्रिम लोग कर दिया ,
वाह रे जमाना खूब मस्त काम कर दिया ,
सिखाते हैं ओ हमें अच्छा काम कर लो ,
देश के हित में तू कुछ नाम कर लो ,
क्या पता ओ भी हमें जहर ही पिलायेंगे ,
नाम होगा सहाद का मीठा जहर खिलायेगे ,
फासी पे चढाओ ऐसा घिर्नित काम किया ,
वाह रे जमाना खूब मस्त काम कर दिया ,

Added by Rash Bihari Ravi on September 18, 2010 at 8:00pm — No Comments

जी अब तू दुसरो के लिए अब बोल सब को हमारा हैं ,

जब तक दुसरो के लिए जिया सब बोले हमारा हैं ,

अपना काम पड़ा तो समझ में आया कौन हमारा हैं ,

मैं अपना तन और धन दुसरो पे जब तक लुटाता हु ,

दोस्त मिलते हैं लाखो खुद सबके नजदीक पाता हु ,

पॉकिट खाली छाया कंगाली गया दोस्तों की हुजूम ,

वही जो आगे पीछे घुमा करते थे अब कहते हैं तुम ,

गुरु ज़माने को पहचान जब तक हैं दम तब तक ही ,

नहीं तो लोग हाथ झटक चल देंगे साथ था अब तक ही ,

ले प्रभु का नाम उसी को सहारा बना ओ साथ देगा ,

अंत समय जब तेरा अपना ना होगा तो पाड़ करेगा… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 16, 2010 at 3:29pm — 4 Comments

क्यों आपको समझ नहीं आता हैं ,

हमे खाना नहीं मिलता हैं ,

अब जीना मुस्किल हो रहा ,

बाह रे हिंद के सासक ,

हम खाए बिना मरते हैं ,

आप के अन्य सड़ अब रहा ,

सडा कर आप मंगवाएंगे ,

बिक्री के लिए टेंडर ,

सस्ते में निकल जायेगा ,

ये अनाज सब सड़ कर ,

हुजुर सड़े हुए से भी ,

अपना पेट भर जाता हैं ,

आप हमें बर्बाद करने की ,

जुगत अच्छी बनाई हैं ,

शराब बनेगे इन सब की ,

जिसको आप ने सडाइ हैं

आप ही सोचो हम गरीबो पे ,

दोहरा माड पर जाता हैं ,

एक दिन बाजार में जब… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 16, 2010 at 1:00pm — 2 Comments

देश की खातिर जान देते हैं हम हिन्दुस्तानी ,

कल की बाते हुई पुरानी ये तो दुनिया मानी ,

देश की खातिर जान देते हैं हम हिन्दुस्तानी ,

आलग थलग हम बटे हुए थे छोटे छोटे राजो में ,

दम थी अपनी अपनी अलग अलग आवाजो में ,

मगर न थी एकता जो सब हमपे की मनमानी ,

देश की खातिर जान देते हैं हम हिन्दुस्तानी ,



समझ में आई बीत चूका आये मुंगल और अंग्रेज ,

त्राहिमाम हम कर रहे थे भूलने लगे मतभेद ,

अलग अलग जो हम बटे थे आये एक धारा में ,

पूरा हिदुस्तान हमारा बुलंदी आई इस नारा में ,

मर मिटने पर तैयार हुई एक टोली… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 14, 2010 at 3:41pm — 5 Comments

देखो ना यार मेरा दिल खो गया ,

देखो ना यार मेरा दिल खो गया ,

प्यार प्यार प्यार प्यार प्यारहो गया ,

आखो में मेरे ओ आके बसे हैं ,

ना जाने क्यू ये मन यु झूमे हैं ,

लगता हैं ये दिल उनका हो गया ,

प्यार प्यार प्यार प्यार प्यारहो गया ,



उनके ही संग ये दिल चलना चाहे ,

उनकी ही राह देखे ये मेरी बाहे ,

ओ आये तो मौसम सुहाना ,

खुसबू से दिल हो जाये दीवाना ,

जानू ना यार मुझे क्या हो गया ,

प्यार प्यार प्यार प्यार प्यारहो गया ,



उनके ही चाहत में जियेंगे मरेंगे ,

उनके… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 13, 2010 at 8:30pm — 3 Comments

ऐसे हराम के खाने वाले गरीबो को निशाना बनाते हैं ,

आइये यु.पी. की सैर कराते हैं ,

उस घर में लेकर चलते हैं ,

जहाँ घर नें गवाएँ मालिक हैं ,

भला हो मीडिया की बात सामने आती हैं ,

"आजतक" पर जो देखा आँख से आसू आती हैं ,

छोटेलाल ने अरजी किया था ,

घर में बिजली पाने की ,

घर में बिजली नहीं आयी ,

नजर लगी बिजली वालो की ,

आया बिल सवा लाख का ,

बेचारा का सर चकरा गया ,

गया बिचली ऑफिस में ,

कुर्की जप्ती का फरमान पा गया ,

बहुत कोशिश की पर नहीं… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 7, 2010 at 2:00pm — 1 Comment

अजब हिंद की गजब कहानी कैसे मैं बतलाऊ ,

अजब हिंद की गजब कहानी कैसे मैं बतलाऊ ,

जो जो लुटता हैं हमें उसको मेहमान बनाऊ ,

अफजल गुरु की करनी को आप नहीं भूले होंगे ,

अजमल कसाब क्या किया सोच के जलते होंगे ,

अंग्रेजो की क्या बोलू मुगलों की राज सुनाऊ ,

अजब हिंद की गजब कहानी कैसे मैं बतलाऊ ,

लुट मची लुट लो जो मुग़ल अंग्रेज किये ,

माँ भारती के दामन पर सौ सौ दाग दिए ,

दिल्ली वाले लुट रहे हैं कमनवेल्थ के नाम पर ,

यु पि में भी लुट मची हैं मूर्ति वाला काम पर ,

ये सोचने की समय नहीं हैं दर्द कैसे… Continue

Added by Rash Bihari Ravi on September 3, 2010 at 5:54pm — 4 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह, आदरणीय हरिओम जी, वाह।  आप कुण्डलिया छंद के निष्णात हैं। आपके सहभागिता के लिए हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  आपकी छंद रचना और सहभागिता के लिए धन्यवाद।  योगी जन सब योग को,…"
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"छंदों की प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय अशोक जी"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय गुप्ता जी सादर, प्रदत्त चित्र को छंद-छंद परिभाषित किया है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
11 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  छंदों की प्रशंसा और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार योग के लाभ बताते सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं…"
11 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  छंदों की प्रशंसा और सुझाव के लिए हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। "
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र पर आपने सुन्दर कुण्डलिया छंद रचे हैं.…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार दोनों ही कुण्डलिया छंद आपने सुन्दर रचे हैं.…"
11 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय हरिओम भाईजी सुंदर सार्थक तीन छंदों के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। गली …"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"सिखलाया जाए अगर, बचपन से ही योग। तो  जीवनभर  व्यक्ति  से, दूर  रहेंगे …"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रानुकूल बहुत सुन्दर और सार्थक छंद सृजन के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service