For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – August 2021 Archive (6)

जन्माष्टमी के दोहे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

वाणी ने आकाश से, किया यही उद् घोष

सँभलो पापी कंस अब,घट से बाहर दोष।१।

*

मथुरा में  पर  कंस  का, घटा न अत्याचार

विवश हुए अवतार को, जग के पालनहार।२।

*

बहन देवकी, तात को, मिला कंस से कष्ट

हरे सकल दुख ईश  ने, बन कर पुत्र अष्ट।३।

*

लीला अंशों की तजी, लिया पूर्ण अवतार

स्वयं खुल गये  तेज  से, कारागृह के द्वार।४।

*

हुई विवश माँ देवकी, तज ने को मजबूर

छोड़ यशोदा  गेह  में, किया  कंस से दूर।५।

*

गोकुल आकर कृष्ण ने, दिया सभी को…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 26, 2021 at 12:43pm — 6 Comments

अपनी जिन्दगी - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"(गजल)

२१२२/२१२२/२१२



झेलती  मझधार  अपनी  जिन्दगी

कब  लगेगी  पार  अपनी जिन्दगी ।१।

*

आटा-चावल शाक-सब्जी के लिए

खप गयी बस यार अपनी जिन्दगी ।२।

*

शब्द  इस  में  है  न  कोई  हर्ष का

बस दुखों का सार अपनी जिन्दगी।३।

*

यूँ कमी उल्लास की होती न फिर

होती गर  त्यौहार  अपनी जिन्दगी।४।

*

हम ने ही  जन्जीर  बाँधी  पाँव को

कैसे  ले  रफ्तार  अपनी  जिन्दगी ।५।

*

सोच मत आकर…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 24, 2021 at 7:26am — 4 Comments

सहज त्योहार है राखी -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२२/१२२२/१२२२/१२२२



सनातन धर्म का गौरव सहज त्योहार है राखी

समेटे प्यार का खुद में अजब संसार है राखी।१।

*

हैं केवल रेशमी धागे  न  भूले से भी कह देना

लिए भाई बहन के हित स्वयं में प्यार है राखी।२।

*

पुरोहित देवता भगवन सभी इस को मनाते हैं

पुरातन सभ्यता की इक मुखर उद्गार है राखी।३।

*

बुआ चाची ननद भाभी सखी मामी बहू बेटी

सभी मजबूत रिश्तों का गहन आधार है…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 19, 2021 at 12:00am — 21 Comments

देश जयचंदों की क्या जागीर है- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२



होंठ हँसते हैं  तो  मन में पीर है

जिन्दगी की अब यही तस्वीर है।२।

*

जो सिखाता था कलम ही थामना

वो भी  हाथों  में  लिए  शमशीर है।२।

*

झूठ को आजाद रक्खा नित गया

सच के  पाँवों  में  पड़ी  जंजीर है।३।

*

हाथ जन के वो न आयेगा कभी

उसका वादा सिर्फ उड़ता तीर है।४।

*

रास नेताओं  से  करती है बहुत

रूठी जनता की सदा तक़दीर है।५।

*

इक दफ़अ बोला तो फिर छूटा नहीं

झूठ की  भी  क्या  गजब तासीर है।६।…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 17, 2021 at 6:30am — 10 Comments

सावन गुजर गया

२२१/२१२१/१२२१/२१२



तकरार करते करते ही सावन गुजर गया

मनुहार करते करते ही सावन गुजर गया।१।

*

बाधा मिलन में उनसे जो हालात थे उलट

अनुसार करते करते ही सावन गुजर गया।२।

*

हम खुद में व्यस्त  और  वो औरों में व्यस्त थे

व्यवहार करते  करते  ही  सावन  गुजर गया।३।

*

इस पार हम थे बैठे तो उस पार थे सजन

नद पार करते करते ही सावन गुजर गया।४।

*

उनसे मिलन की बात थी लेकिन हमें ये मन

तैय्यार करते …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 8, 2021 at 10:00pm — 13 Comments

नहीं कर कुन्द पाओगे कलम की धार नेता जी

१२२२/१२२२/१२२२/१२२



तुम्हारी कुर्सी का  जब  है  यही  आधार नेता जी

कहो फिर देश की जनता लगे क्यों भार नेता जी।१।

*

सिकुड़ती देश की सीमा तुम्हें दिखती नहीं है पर

लगे करने में कुनबे  का  सदा अभिसार नेता जी।२।

*

जिताकर वोट से जनता बनाती दास से मालिक

जताते क्यों नहीं उस का  कभी आभार नेता जी।३।

*

बने केवल धनी का ही सहारा…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 7, 2021 at 5:30am — 14 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
10 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service