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Featured Blog Posts – March 2017 Archive (3)

गुँथन-उलझन

शंका और विश्वास के दोराहे पर 

मन में पीली धुंधली उदास गहरी

बेमाप वेदना यथार्थों की लिए

स्वीकार कर लेता हूँ सभी झूठ 

कि जाने कब कहाँ किस झूठ में भी

किसी की विवशता दिख जाए, या

मिल जाए उसकी सच्चाई का संकेत

कि जानता हूँ मैं, यह ठंडी पुरवाई

यह फैली हुई धूप नदी-झील-तालाब

सब कहते हैं  ...

वह कभी झूठी नहीं थी

ऊँची उठती है कोई उभरती कराह

स्वपनों के अनदेखे विस्तार में

विद्रोह करते हैं मेरे…

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Added by vijay nikore on March 15, 2017 at 7:32pm — 12 Comments

अभी शे'र हमने सुनाया कहाँ है (ग़ज़ल)

122   122   122   122

है हर सू फ़क़त धूप,साया कहाँ है?

ये आख़िर मुझे इश्क़ लाया कहाँ है!

अमीरी को अपनी दिखाया कहाँ है?

तुम्हें शह्र-ए-दिल ये घुमाया कहाँ है?

अभी सहरा में एक दरिया बहेगा

अभी क़ह्र अश्क़ों ने ढाया कहाँ है?

अभी देखिएगा अँधेरों की हालत

उफ़ुक़ पर अभी शम्स आया कहाँ…

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Added by जयनित कुमार मेहता on March 8, 2017 at 3:30pm — 6 Comments

उसकी ज़रूरत (लघुकथा)

उसके मन में चल रहा अंतर्द्वंद चेहरे पर सहज ही परिलक्षित हो रहा था। वह अपनी पत्नी के बारे में सोच रहा था, “चार साल हो गए इसकी बीमारी को, अब तो दर्द का अहसास मुझे भी होने लगा है, इसकी हर चीख मेरे गले से निकली लगती है।“

 

और उसने मुट्ठी भींच कर दीवार पर दे मारी, लेकिन अगले ही क्षण हाथ खींच लिया। कुछ मिनटों पहले ही पत्नी की आँख लगी थी, वह उसे जगाना नहीं चाहता था। वह वहीँ ज़मीन पर बैठ गया और फिर सोचने लगा, “सारे इलाज कर लिये, बीमारी बढती जा रही है, क्यों न इसे इस दर्द से हमेशा के लिए…

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Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on March 6, 2017 at 11:00am — 6 Comments

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Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत धन्यवाद। आप का सुझाव अच्छा है। "
12 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
1 hour ago

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मिथिलेश वामनकर posted a discussion
6 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
7 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
7 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
7 hours ago

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मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
9 hours ago

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