For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s Blog – March 2015 Archive (7)

प्यार होना भी जरूरी औ’ जरूरी दौलतें - लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

2122    2122    2122        212

****************************

जब धरा  पर रह  न पाये जो कभी औकात से

चाँद पर पहुँचो भले ही  क्या भला इस बात से

****

मुफ्तखोरी  की  ये  आदत  यार  चोरी से बुरी

चोर  भी समझा  रहा ये  बात  हमको रात से

****

बाँटने  में  हर  हुकूमत,  व्यस्त  है  खैरात ही

देश का, खुद का भला कब, हो सका खैरात से

*****

हो  न पाये कौवे शातिर, लाख कोशिश बाद भी

बाज  आयी  कोयलें  कब,  दोस्तों  औकात से

*****

प्यार   होना  भी  …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 19, 2015 at 11:29am — 26 Comments

ये विष ही उगलते हैं - लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

1222   1222   1222 1222

*****************************

सितारे  चाँद  सूरज  तो  समय से ही निकलते हैं

दियों  की  कमनसीबी  से   अँधेरे  रोज  छलते हैं

****

किसी को देखकर गिरता  सँभल जाते समझ वाले

जिन्हें लत ठोकरों की हो  कहाँ  गिरकर सभलते हैं

****

खुशी  घर  में उन्हीं  से है  खुदा  की नेमतें वो तो

न डाँटा  कर  कभी उनको अगर बच्चे  मचलते हैं

****

कहा  है  सच   बुजुर्गों  ने  करें  सब  मनचली रूहें

किए बदनाम तन जाते कि कहकर ये…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 14, 2015 at 11:10am — 23 Comments

बनाता खेत की रश्में - लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

1222  1222 1222 1222

************************

बनाता  खेत  की  रश्में  चला  जो  हल नहीं सकता

लगाता  दौड़  की  शर्तें  यहाँ   जो  चल  नहीं सकता

***

पता  तो  है  सियासत  को  मगर  तकरीर करती है

कभी तकरीर  की  गर्मी  से  चूल्हा जल नही सकता

*****

भरोसा  आँख  वालों से  अधिक  अंधों को जो कहते

तुम्हें धोखा  हुआ  होगा कि सूरज  ढल नहीं  सकता

****

असर  कुछ  छोड़ जाएगी  मुहब्बत  की झमाझम ही

किसी के शुष्क  हृदय  को भिगा बादल   नहीं…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 12, 2015 at 12:03pm — 26 Comments

प्रेत अफजल औ' कसाबों के यहाँ - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर’

2122   2122   212

********************

फिर  चिरागों  को बुझाने ये लगे

रास्ता  तम  का  सजाने ये लगे

****

प्रेत अफजल औ' कसाबों के यहाँ

कुर्सियाँ  पाकर   जगाने  ये  लगे

****

साजिशें  रचते  मरे  हैं  जो उन्हें

देश भक्तों  में  गिनाने  ये  लगे

****

देश  के  गद्दार   जितने  बंद  हैं

राजनेता  कह  छुड़ाने  ये  लगे

****

बनके अपने आज खंजर देख लो

आस्तीनों   में   छुपाने   ये  लगे

****

हौसला  दहशतगरों  का यार यूँ…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 11, 2015 at 10:30am — 16 Comments

था सरीफों के लिए वो - लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

2122    2122   2122   212

*****************************

दुर्दिनों ने आँख का  जब यार  जाला  हर लिया

तब दिखा है मयकशी ने इक शिवाला हर लिया

****

बाँटती थी  कल  तलक तो  वो बहुत ही जोर दे

राह ने किस बात से  अब पाँव छाला हर लिया

****

था  सरीफों  के  लिए  वो  राह  से  भटकें नहीं

कोतवालो चोर  से  पहले  ही  ताला हर लिया

****

टोकता है  कौन  दिन  को  दे  उजाला  कुछ उसे

रात के हिस्से का जिसने सब उजाला हर लिया

****

था पुराना  ही  सही पर मान…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 8, 2015 at 5:00am — 14 Comments

दिल से हम असआर पकाया करते हैं - लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

2222    2112   2222

***************************

पत्थर  पर  भी  प्यार  जताया करते हैं

इक  नूतन  संसार   बसाया   करते  हैं

****

लज्जत  तुमको  यार तनिक तो देंगे ही

दिल  से  हम असआर पकाया करते हैं

****

तनहा  हमको आप  समझना लोगो मत

हम  गम  का  दरवार  लगाया  करते  हैं

****

कुबड़ी  अपनी पीठ हुई  मत पूछो क्यों

यादों  का   हम  भार   उठाया  करते हैं

****

अश्कों से मत पूछ जिगर तक आजा तू

आँसू   केवल   सार   बताया   करते  हैं

****

जीवन…

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 7, 2015 at 11:03am — 13 Comments

भरत वो हो नहीं सकता - लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’

चुभन मत  याद  रखना  तुम मिली जो खार से यारो

रहे  बस  याद  फूलों  की  मिले   जो  प्यार  से  यारो

*****

नहीं शिव तो हुआ क्या फिर उपासक तो उसी के हम

गटक  लें  द्वेष  का  विष  अब चलो संसार से यारो

*****

न समझो  हक  तम्हें  तब तक  सुमारी दोस्तो में है

रखो गर  दुश्मनी  भी  तो  मिलो  अधिकार से यारो

*****

हमें जल  के  ही  मरना था जलाया नीर ने तन मन

खुशी  दो  पल   रही   केवल   बचे  अंगार  से  यारो

*****

भरत  वो  हो  नहीं  सकता  सदा …

Continue

Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 2, 2015 at 11:00am — 11 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service