For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गिरिराज भंडारी's Blog – March 2014 Archive (7)

ताकि, बचा सकूँ हताशा से ( अतुकांत ) गिरिराज़ भंडारी

ताकि, बचा सकूँ हताशा से

*********************

इसलिये नही कि ,

सतत चलती सीखने की प्रक्रिया से भागना चाहता हूँ

इसलिये भी नही कि ,

मेरे लिए सब कुछ जाना-जाना , सीखा-सीखा है ,…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on March 27, 2014 at 4:30pm — 3 Comments

'अल्प विराम-पूर्ण विराम' अतुकांत ( गिरिराज भंडारी )

अल्प विराम – पूर्ण विराम  

********************

वो मै होऊँ या आप

छोटा मोटा विद्यार्थी

सबके अंदर जीता है ,

आवश्यक रूप से

और वो जानता भी है ,

जीते रहने की…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on March 26, 2014 at 7:00am — 12 Comments

जो मेरे कभी थे वो दूर हैं ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

11212         11212       11212       11212 

 

हुये  रोशनी के प्रतीक जो , वो अँधेरों से  हैं  घिरे  हुये

ये कहो नही, जो कहे अगर, तो ये जान लें कि गिले हुये

 

न ही दर्द  की कोई जात है, न ही  शादमानी की कौम है

ये सियासतों की है साजिशें , जो  हैं  बांटने को पिले…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on March 24, 2014 at 11:00am — 19 Comments

फ़क़त दो चार पल की बात है ये ( ग़ज़ल - गिरिराज भन्डारी )

1222     1222     122 

फ़क़त दो चार पल की बात है ये

हाँ, बस इक रात जैसी रात है ये

कबूतर, तुम यक़ीं करना समझ कर

कहूँ क्या? आदमी की जात है ये

 

रफ़ाक़त आप कैसे कह रहे हैं ?

असल में पीठ…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on March 18, 2014 at 5:00pm — 25 Comments

“ कह मुकरियाँ “ – प्रथम प्रयास ( गिरिराज भन्डारी )

कह मुकरियाँ – पाँच

*******************

मुझे छोड़ वो कहीं न जाये

इधर उधर की सैर कराये

साथ रहे जैसे हो  धड़कन

क्या सखि साजन , नहीं सखि मन

 …

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on March 10, 2014 at 9:00pm — 15 Comments

कहीं चाँद छुप के निकल रहा ( ग़ज़ल ) गिरिराज भंडारी

11212       11212       11212         11212

ये न पूछ शाम ढली किधर , तू ये देख चाँद निकल रहा

समाँ सुर्मयी था जो रात का , वो भी चंपई मे बदल रहा

***

ये तो हौसले की ही बात है ,बड़ी तेज धूप है चार सूँ

किसी सायबाँ का पता नही ,बिना आसरा कोई चल रहा

***…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on March 5, 2014 at 6:30pm — 16 Comments

हर रास्ता दुश्वार होगा ( ग़ज़ल ) गिरिराज भन्डारी

2122    2122   2122  2122

गर यक़ीं ख़ुद पर नहीं हर रास्ता दुश्वार होगा

ख़्वाब मे भी फूल देखोगे वहाँ पर खार होगा

 

बात बाहर जब गई है तो कोई गद्दार  होगा

कल्पनाओं से ही तो छपता नही अखबार होगा

 

चौक में जो रात को चिल्ला रहा था बात…

Continue

Added by गिरिराज भंडारी on March 2, 2014 at 10:00am — 24 Comments

Monthly Archives

2025

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
22 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service