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Abhinav Arun's Blog – January 2011 Archive (8)

ग़ज़ल :- डूब रहे से नाव की बातें

ग़ज़ल :- डूब रहे से नाव की बातें

डूब रहे से नाव की बातें ,

थोथी है बदलाव की बातें |

 

राजनीति के दुर्दिन आये ,

सब करते अलगाव की बातें |

 …

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Added by Abhinav Arun on January 30, 2011 at 10:30pm — 3 Comments

कविता :- परिंदों दे दो

परिंदों दे दो

अपने दाने दाने

पाने के संघर्ष के पल

हम मानवों…

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Added by Abhinav Arun on January 30, 2011 at 10:00pm — 2 Comments

कविता : - केवल तूने ही नहीं खाईं गोलियाँ ..

कविता : -केवल तूने ही नहीं खाईं गोलियाँ ..

बापू केवल…

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Added by Abhinav Arun on January 26, 2011 at 7:00pm — 10 Comments

कविता :- कहाँ गणतंत्र

कविता :- कहाँ गणतंत्र

 

फेल हुए सब मंत्र…

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Added by Abhinav Arun on January 25, 2011 at 3:51pm — 10 Comments

लेख :- जाना बालेश्वर का

लेख :-जाना बालेश्वर का

प्रख्यात लोक गायक बालेश्वर यादव का दिनांक ०९ जनवरी २०११ को लखनऊ में निधन हो गया | धन्य हो कुछ खबरिया चैनेलों का और अखबारों का जो उनके प्रशंसक इस समाचार  वाकिफ हो सके | अन्यथा आज भोजपुरी संस्कृति जिस बाजारवाद की शिकार है उसमें इन पारंपरिक लोकगायकों को लोग भूल गये हैं | बालेश्वर १९४२ में मऊ जनपद में जन्में मुझे याद है मेरा गांव में गुज़रा बचपन जहां उनका 'निक लागे टिकुलिया…

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Added by Abhinav Arun on January 11, 2011 at 7:58am — 3 Comments

कथ्य-शिल्प गोष्ठी-०३ एक रपट

 कथ्य-शिल्प गोष्ठी-०३ एक रपट
तीसरी कथ्य-शिल्प गोष्ठी रविवार 09 जनवरी 2011 को बनारस के कालीमहाल में कवि अजीत श्रीवास्तव के निवास पर हुई | इसकी अध्यक्षता वरिष्ठ नवगीतकार पंडित श्रीकृष्ण तिवारी ने की | चयनित रचनाकार नरोत्तम शिल्पी ने प्रारंभ  में अपनी दस रचनाओं का पाठ किया | तरन्नुम और तहत में कही गयीं उनकी गज़लें सराही गयीं |
पंडित श्रीकृष्ण तिवारी ने इस अवसर पर कहा की वरिष्ठ रचनाकारों का यह दायित्व है की नवोदित लेखकों को आगे लायें और उन्हें…
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Added by Abhinav Arun on January 10, 2011 at 3:00pm — No Comments

ग़ज़ल :- चार पैसा उसे हुआ क्या है

 

ग़ज़ल :- चार पैसा उसे हुआ क्या है

 

चार पैसा उसे हुआ क्या है

पूछता फिर रहा खुदा क्या है |

 

हर जगह तो यही करप्शन है

रोग बढ़ता गया दवा क्या है |

 

तुम ही रक्खो ये नारे वादे सब

पांच वर्षों का झुनझुना क्या है |

 

तेरे जाने पर अब ये…

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Added by Abhinav Arun on January 5, 2011 at 4:16pm — 12 Comments

ग़ज़ल:- आकर्षक चमकीले लोग

 

ग़ज़ल:- आकर्षक चमकीले लोग

 

आकर्षक चमकीले लोग

केंचुल में ज़हरीले लोग |

 

आत्ममुग्धता की परिणति हैं

सुन्दर सुघड सजीले लोग |

 

भूख की आंच पे चढ़ते हैं नित

खाली पेट पतीले लोग |

 

झंझावाती जीवन सागर

हम शंकित रेतीले लोग |

 

चीर हरण करते आँखों से

कुंठाओं के टीले लोग…

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Added by Abhinav Arun on January 2, 2011 at 10:45am — 3 Comments

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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
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"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
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"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
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"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
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"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
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"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
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"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
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