For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघु कविता :- माँ

माँ !
देखा तो होगा तुझे
पर चेहरा याद नहीं
न ही तेरी तस्वीर कोई मेरे पास
सुना भी होगा तुझे
पर शब्द याद नहीं
हां याद है हर पल मेरे साथ
चलता तेरा साया
जिससे लिपट कर कई रातों को रोया हूँ मैं
माँ तेरे लिये !!
(अभिनव अरुण )

Views: 2796

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on May 10, 2011 at 3:20pm
टिप्पणी के लिए आभारी हूँ श्री सौरभ जी |साथ ही सर्वश्री संजय जी ,और  गुरूजी  आप  का  भी  हार्दिक  आभार  | टिप्पणी  रचना  के गंभीर  पठन  की  प्रतीक  है  | शुक्रिया  | 
 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 10, 2011 at 2:48pm

".. .. कई रातों को रोया हूँ मैं / माँ तेरे लिये!!.."

कोमलतम भावों के निश्शब्द स्वरूप के प्रति श्रेयस्कर होगा मैं कोई स्वर न दूँ.  एक के ’न होने’  का उत्कट भान उसके ’न होने’ की तासीर बहुगुणित कर देती है..  आभार.

Comment by Sanjay Rajendraprasad Yadav on May 10, 2011 at 2:14pm
" दिल की गहराईयों से आप को बहुत-बहुत धन्यवाद ,
// आप की यह एक छोटी सी रचाना इस बहुत बड़े ह्रदय के साग़र में भावनाओं का एक बहुत बड़ा त्सुनामी ला दिया......................................
Comment by Rash Bihari Ravi on May 10, 2011 at 1:42pm
मन की गहराई तक समा जाने वाली कृति बहुत बढ़िया सर जी ,
Comment by Abhinav Arun on May 10, 2011 at 1:36pm

नियति और यथार्थ को स्वर देती ये मेरी रचना आप सबको पसंद आयी आभारी हूँ | श्री बागी जी , धीरज जी, वीरेंदर जी और इस्मत जैदी जी आप सबका तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by Dheeraj on May 10, 2011 at 12:38pm
मार्मिक रचना अरुण जी, ह्रदय में टीस और आँखों में नमी उतर आई. सदर नमन है इस शब्द  "माँ" और आपके लेखनी को
Comment by Veerendra Jain on May 10, 2011 at 12:33pm

हां याद है हर पल मेरे साथ
चलता तेरा साया
जिससे लिपट कर कई रातों को रोया हूँ मैं
माँ तेरे लिये !!

 

bahut hi behatarin ..Arunji...bahut bahut badhai aapko ..is bhavparak rachna ke liye...

Comment by ismat zaidi on May 10, 2011 at 12:23pm
man ko chhootee huee rachna

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 10, 2011 at 11:55am
सीधे ह्रदय को बेधने वाली रचना, बहुत ही सुंदर अरुण भाई सच मानिए "घाव करे गंभीर" वाली बात है इस रचना में | आपके लेखनी को वंदन है |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service