For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

yogesh shivhare
  • Male
  • Banda Uttar pradesh
  • India
Share on Facebook MySpace

Yogesh shivhare's Friends

  • deepti sharma
  • Yogi Saraswat
  • डॉ. सूर्या बाली "सूरज"
  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
  • UMASHANKER MISHRA
  • rajesh kumari
  • munna kumar ram
  • आशीष यादव

yogesh shivhare's Groups

 

yogesh shivhare's Page

Latest Activity

munna kumar ram and yogesh shivhare are now friends
Apr 13, 2019

Profile Information

Gender
Male
City State
Banda_Uttar pradesh
Native Place
Banda
Profession
IT executive
About me
Nothing special.

yogesh shivhare's Photos

  • Add Photos
  • View All

Yogesh shivhare's Blog

इश्क के दरिया मे उतरता चला गया (ग़ज़ल)

इश्क मे दरिया मे उतरता चला गया l

जितना डूबा दिल निखरता चला गया ll

हमने तो की कोशिशे की जुदा न हो l

फिर भी     कैसे  बिछड़ता चला गया ll

उसने लहज़ा      बदल दिया       तभी l

नज़रों    से       उतरता      चला गया ll

उसकी बातों   मे     फिसल गये सभी l

मैं भी  फिर     बहकता     चला गया ll

वो    जितना    सुलझते       चले    गये l

उतना  ही   मैने   उलझता   चला गया ll

इश्क भी आसा न था करना यहाँ "यश" l

काँटों   पर…

Continue

Posted on July 2, 2018 at 7:54am — 5 Comments

चार मुक्तक

तुम छोड़ क्या गए हो रूठा है जमाना 

कहते है लोग मुझसे झूठा है ये फ़साना 

मैं पूछता हु उनसे पूजते हो क्यों तुम 

राधिका का था प्रेमी कृष्ण था दीवाना !!



तुम पर हमने कितना ऐतवार किया 

खुद को भूला, इतना बेज़ार किया

शक तुम्हारा कब छोड़ेगा तुम्हारा साथ

हद की हद हो गई इतना इंतज़ार किया



आइना बदलने से , सूरत नहीं बदलती 

जो पत्थर के बने, मूरत नहीं बदलती 

ईमान, खूलूश से जो जीने का हुनर रखते है

हालात…
Continue

Posted on September 2, 2012 at 3:30pm — 2 Comments

एकांत सुहाना लगता है

जिस राह में तुम साथ न हो ,

रास्ता वीराना लगता है

यूँ तो हजारों थे साथ मगर

फिर भी अकेलापन लगता है

जब तन्हाई में तनहा होता हूँ 

यादों की मुंडेर पर बैठकर

यादें चुनने लगता हूँ 

उस बिखरे सन्नाटे में

तुमसे बातें करने लगता हूँ 

जानता हु की तुम मुझसे दूर बहुत

लेकिन अहसास तुम्हारा लगता है

आंसू सूख गए शायद

या किसने रोका होगा

आँखों में सागर मुझको

बंधित…

Continue

Posted on August 3, 2012 at 7:30pm — 9 Comments

उन गहन अँधेरे कमरों में ,सन्नाटा ही अब रहता है

बहुत सालों पहले की मेरी डायरी के पन्नो पर अंकित कुछ पंक्तियाँ आपके समक्ष रख रहा हु .भावो को समेटने की कोशिश की है इन शब्दों के गुलदस्ते में, पसंद आये तो सूचित करियेगा और मुझे अवगत करायें मेरी त्रुटियों से । आपका अपना सबका छोटा भाई योगेश... 



उन गहन अँधेरे कमरों में ,सन्नाटा ही अब रहता है

मैं दरवाजे खोलू कैसे .तेरी याद…

Continue

Posted on July 8, 2012 at 12:00am

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 8:11pm on August 8, 2015,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें...

At 5:46pm on June 19, 2012, डॉ. सूर्या बाली "सूरज" said…

योगेश जी आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपकी प्रर्तिक्रिया मिली अच्छा लगा।

At 3:33pm on June 8, 2012, UMASHANKER MISHRA said…

बहेतरीन रचना

खामोश बहुत कुछ कह गई

ये चार लाइन बहुत ही दर्द भरे हैं

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
2 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
2 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
4 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service