For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Yogesh shivhare's Blog (11)

इश्क के दरिया मे उतरता चला गया (ग़ज़ल)

इश्क मे दरिया मे उतरता चला गया l

जितना डूबा दिल निखरता चला गया ll

हमने तो की कोशिशे की जुदा न हो l

फिर भी     कैसे  बिछड़ता चला गया ll

उसने लहज़ा      बदल दिया       तभी l

नज़रों    से       उतरता      चला गया ll

उसकी बातों   मे     फिसल गये सभी l

मैं भी  फिर     बहकता     चला गया ll

वो    जितना    सुलझते       चले    गये l

उतना  ही   मैने   उलझता   चला गया ll

इश्क भी आसा न था करना यहाँ "यश" l

काँटों   पर…

Continue

Added by yogesh shivhare on July 2, 2018 at 7:54am — 5 Comments

चार मुक्तक

तुम छोड़ क्या गए हो रूठा है जमाना 

कहते है लोग मुझसे झूठा है ये फ़साना 

मैं पूछता हु उनसे पूजते हो क्यों तुम 

राधिका का था प्रेमी कृष्ण था दीवाना !!



तुम पर हमने कितना ऐतवार किया 

खुद को भूला, इतना बेज़ार किया

शक तुम्हारा कब छोड़ेगा तुम्हारा साथ

हद की हद हो गई इतना इंतज़ार किया



आइना बदलने से , सूरत नहीं बदलती 

जो पत्थर के बने, मूरत नहीं बदलती 

ईमान, खूलूश से जो जीने का हुनर रखते है

हालात…
Continue

Added by yogesh shivhare on September 2, 2012 at 3:30pm — 2 Comments

एकांत सुहाना लगता है

जिस राह में तुम साथ न हो ,

रास्ता वीराना लगता है

यूँ तो हजारों थे साथ मगर

फिर भी अकेलापन लगता है

जब तन्हाई में तनहा होता हूँ 

यादों की मुंडेर पर बैठकर

यादें चुनने लगता हूँ 

उस बिखरे सन्नाटे में

तुमसे बातें करने लगता हूँ 

जानता हु की तुम मुझसे दूर बहुत

लेकिन अहसास तुम्हारा लगता है

आंसू सूख गए शायद

या किसने रोका होगा

आँखों में सागर मुझको

बंधित…

Continue

Added by yogesh shivhare on August 3, 2012 at 7:30pm — 9 Comments

उन गहन अँधेरे कमरों में ,सन्नाटा ही अब रहता है

बहुत सालों पहले की मेरी डायरी के पन्नो पर अंकित कुछ पंक्तियाँ आपके समक्ष रख रहा हु .भावो को समेटने की कोशिश की है इन शब्दों के गुलदस्ते में, पसंद आये तो सूचित करियेगा और मुझे अवगत करायें मेरी त्रुटियों से । आपका अपना सबका छोटा भाई योगेश... 



उन गहन अँधेरे कमरों में ,सन्नाटा ही अब रहता है

मैं दरवाजे खोलू कैसे .तेरी याद…

Continue

Added by yogesh shivhare on July 8, 2012 at 12:00am — No Comments

बेशक नफरतों को दिल में पालिए

 

बेशक नफरतों को दिल में पालिए 

मगर छाँव औरों पर मत डालिए 
 
रिश्तों की ये अजमाइश रहने दे 
इन्हें दौलत के…
Continue

Added by yogesh shivhare on June 17, 2012 at 3:30pm — 6 Comments

सावन स्वागत

छा गए बदरा कारे कारे नभ में

बयार शीतल लगी खिल उठे सभी

पात पात फूल फूल ये बात हो रही

खबर लाई है हवा बरसात की अभी

गिर पड़ी बूँदें यकायक धरा पर ज्यों ही

पुलकित हो गए है मन सभी

लू के थपेड़ों को सहते रहे बड़ी आस के साथ

खिल उठी कलियाँ मदमस्त सभी

आगमन में सभी जीव चर गा रहे है गीत

मिटटी की ख़ुशबू में मदमस्त है सभी

किसान अपने हल को देखकर मुस्कुराया

और मन में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है

आओ स्वागत है सावन इस…

Continue

Added by yogesh shivhare on June 16, 2012 at 7:00pm — 3 Comments

तकलीफ ये नहीं यारों की जमाना बदल रहा है

 
तकलीफ ये नहीं यारों की जमाना बदल रहा है
मगर तहजीब नहीं भूली जाती तरक्की के साथ…
Continue

Added by yogesh shivhare on June 16, 2012 at 11:30am — 2 Comments

घोसले बनाते है बड़े अरमानो के साथ

अपने भावो को शब्दों में उतारना मुमकिन न था, एक कोशिश की है मुझे मेरी त्रुटियों से अवगत कराएँ ताकि भविष्य में उनको दोहराने की भूल न करूँ

आपका योगेश शिवहरे "यश"

 

जो घोसले  बनाते है बड़े अरमानो के साथ

ज़माने ने देखे बड़े रंज-ओ  गम के साथ…

Continue

Added by yogesh shivhare on June 12, 2012 at 7:00pm — 10 Comments

अब मुझे पता न बताओ मेरी मंजिलो का

अब मुझे पता न बताओ मेरी मंजिलो का

पूझे पता है की मुझे जाना किधर है

वही से आया हू वही जाऊंगा बेफिक्र रह

चाहो तो भाल पर पढ़ लो नक्सा इधर है

लूटे नहीं इस शहर में अमीर के घर…

Continue

Added by yogesh shivhare on June 10, 2012 at 5:30pm — 4 Comments

आंख में कैसा गंगाजल

कैसी हलचल ह्रदय में ,आंख में कैसा गंगाजल

कैसा जीवन है ये जहा, मरता है मन पल पल .



सब यहाँ लिए है नयन,पर है ये कैसा अंधापन

जीवन की सच्चाई से भाग रहा मानव हर पल



साथ नहीं…

Continue

Added by yogesh shivhare on June 8, 2012 at 11:00pm — 1 Comment

जो चला गया

ग़मों का कारवां मेरे दामन से कब लिपट गया,
मौसम जो था सावन का नयनो में ठहर गया ,
खुद को बहुत समझाया मगर ये समझ न आया ,
वो वक़्त का मुसाफिर था चला गया तो चला गया

Added by yogesh shivhare on June 8, 2012 at 3:00pm — 8 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय, 'नूर साहब, ग़ज़ल लेखन पर आपके सिद्धहस्त होने से मैंने कब इन्कार किया। परम्परागत ग़ज़ल…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी छंद-रचनाएँ शिल्पबद्ध और विधान सम्मत हुई हैं.  सर्वोपरि, आपके…"
14 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"योग ****    छोटी छोटी बच्चियाँ, हैं भविष्य की आस  शिक्षा लेतीं आधुनिक, करतीं…"
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, सादर बधाई इस ग़ज़ल के लिए।  "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि शुक्ल भैया,आपका अलग सा लहजा बहुत खूब है, सादर बधाई आपको। अच्छी ग़ज़ल हुई है।"
Thursday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
Tuesday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service