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घोसले बनाते है बड़े अरमानो के साथ

अपने भावो को शब्दों में उतारना मुमकिन न था, एक कोशिश की है मुझे मेरी त्रुटियों से अवगत कराएँ ताकि भविष्य में उनको दोहराने की भूल न करूँ
आपका योगेश शिवहरे "यश"

 

जो घोसले  बनाते है बड़े अरमानो के साथ
ज़माने ने देखे बड़े रंज-ओ  गम के साथ

अब जाये भी तो कहा जाये ये बेजुबान  पंक्षी 
क्या पता उन्हें जो घर में बैठे है इत्मिनान के साथ

हश्र के दिन जब हिसाब होगा बताये क्या
खुदा खुद  ही बताएगा क्या होगा तेरे साथ

ये जो नाज़ करते हैं अपनी अमीरी पर अदब के साथ
क्या पता उन्हें नहीं जायेंगे सिर्फ  कफ़न के साथ

अब क्या क्या होने लगा है इस  ज़माने में
सलाम भी ठोकते है लोग  बड़ी तकल्लुफ के साथ

हमें कोई गम तो नहीं "यश "मगर एक शिकायत बड़ी है
कुछ करो तो ऐसा करो की नज़र मिला सको खुद के साथ

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Comment

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Comment by yogesh shivhare on June 22, 2012 at 10:39am

  सादर प्रणाम रेखा जी अपने सब्दों से इन कली रुपी पंक्तियों को जो स्नेह दिया है ,,,,आभार  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 21, 2012 at 10:27pm

योगेश शिवहरे जी आपकी रचना बहुत पसंद आई ओ बी ओ से जुड़े रहिये रचनाओं में निखार आता जाएगा और त्रुटियाँ भी पता चलती जायेगी बहरहाल दाद कबूल करें इस सुन्दर रचना के लिए 

Comment by yogesh shivhare on June 13, 2012 at 9:28pm

बहुत बहुत धन्यवाद् अलबेला भाई जी आगे से इन गलतियों से खुद को जुदा करने की कोशिश करूँगा.इतना स्नेह के लिए सादर आभार

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 8:19pm

सम्मान्य योगेश शिवहरे जी,
बहुत अच्छी बातें कही आपने अपनी रचना में............थोड़ा सा टंकण  की त्रुटियों पर ध्यान दे कर  उन्हें दूर कर लें तो बेहतर होगा
धन्यवाद

Comment by Bishwajit yadav on June 13, 2012 at 2:25pm
प्रणाम योगेश जी

जो घोसले बनाते है बड़े अरमानो के साथ
ज़माने ने देखे बड़े रंज-ओ गम के साथ
वाह! क्या बात है बधाई हो बहुत सुन्दर रचना
Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on June 13, 2012 at 2:12pm

आदरणीय   योगेश  शिवहरे जी , आपकी  यह  रचना आगाज  है तो अंजाम  न जाने क्या होगा ........

एक बढियां रचना के लिय बधाई स्वीकार करे 
Comment by Yogi Saraswat on June 13, 2012 at 12:05pm

अब क्या क्या होने लगा है इस  ज़माने में
सलाम भी ठोकते है लोग  बड़ी तकल्लुफ के साथ

आदरणीय योगेश शिवहरे जी नमस्कार ! सुन्दर अल्फाजों से सजी ग़ज़ल है आपकी , अच्छी लगी !

Comment by yogesh shivhare on June 12, 2012 at 10:37pm

ये तो कोशिश की है सिर्फ भावों को सब्दों में उतरा है मुझे ये पता नहीं है की ये कविता है या ग़ज़ल है जैसी थी आपके समक्ष प्रस्तुत की और आपका स्नेह मिला अप बताने का कष्ट करें की ये कौन सी विधा में लिखी है

Comment by yogesh shivhare on June 12, 2012 at 10:34pm

आदरणीय प्रदीप जी आपने जो  सब्दो के फूल दिए है और जो स्नेह दिया उसके लिए आभार

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 12, 2012 at 9:13pm

आदरणीय योगेश जी, सादर 

बहुत सुन्दर भाव के साथ आपने ये रचना प्रस्तुत की है, बधाई,

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