For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

nemichandpuniyachandan
  • Male
  • pali{Raj.}
  • India
Share on Facebook MySpace

Nemichandpuniyachandan's Friends

  • Er. Ambarish Srivastava
  • pankaj jha
  • sanjiv verma 'salil'
  • Rana Pratap Singh
  • Er. Ganesh Jee "Bagi"
  • Admin
 

nemichandpuniyachandan's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
pali,rajsthan
Native Place
pali
Profession
poet
About me
katron ka samandra

Nemichandpuniyachandan's Blog

Tarhee Mushaira-15

सर कल्म के वास्ते तैयार होना चाहिये।

इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये।।

जश्न में शामिल होने वाले दोस्तों

रंजो-गमों मे भी हमवार होना चाहिये।।

घोडा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या।

बिन निस्बतों-लिहाज व्यापार होना चाहिये।।

अन्ना की तमन्ना के मुताबिक मुल्क से।

नौ दौग्यारह भ्रष्टाचार होना चाहिये।।

ईमानदारों से सजा दरबार होना चाहिये।

बेईमान बिल्कुल दरकिनार होना चाहिये।।

वजन से ज्यादा किसी पे ना भार होना चाहिये।

सीधा सरल व्यवहार होना… Continue

Posted on September 28, 2011 at 11:08pm — 1 Comment

ग़ज़ल - अश्कों से चश्में-तर कर गया कोई

अश्कों से चश्में-तर कर गया कोई।
वीरान सारा शहर कर गया कोई।।

सारा जहाँ मुसाफिर है तो फिर क्या मलाल।
गर किनारा बीच सफर कर गया कोई।।

नावाकिफ थे जो राहे-खुलूस से।
उन्हें इल्म पेशे-नजर कर गया कोई।।

जिनकी जुबाँ से नफरत की बू आती थी।
उन्हें उलफत से मुअतर कर गया कोई।।

जिंदगी का सफर काटे नहीं कटता चंदन।
तन्हा जिसे हमसफर कर गया कोई।।

नेमीचंद पूनिया चंदन

Posted on August 1, 2011 at 5:00pm — 3 Comments

गजल-सोच समझकर कदम उठाना।

गजल-

सोच समझकर कदम उठाना।

कहीं ऐसा न हो पडे पछताना।।



यह दुनियां इतनी गोल है दोस्तों।

कोई न यहां अटल ठहराना।।



जिसने गम को खा लिया।

उसे क्या खाना औ खिलाना।।



जिनको कोई समझ नहीं हैं।

मुश्किल हैं उनको समझाना।।



हुक्म देना आसाँ होता हैं लेकिन।

मुश्किल हैं करना औ करवाना।।



अभी आज कल या बरसो बाद।

आखिर इक दिन सबको जाना।।



नसीब में लिखा ही मिलता हैं।

सबको यहां पे आबो-दाना।।



हम तो तेरे हो…

Continue

Posted on June 4, 2011 at 12:30pm

गजल-आंखों में उल्फत का अंजन लगाईए

गजल

आंखों में उल्फत का अंजन लगाईए।
टूटते हुए रिश्तों पे बंधन लगाईए।।


गर जज्बातो में नफरत की बू आये तो।
ऐसे सवालातों पे मंजन लगाईए।।


जब कभी जुल्मो-सितम हद से गुजर जाये।
तब अम्न के लिये जानो-तन लगाईए।।


लेने के बदले कुछ देना भी सिखिये।
हर जगह मुफ्त का ना चंदन लगाईए।।


जब रंजों-गम से दिल चंदन बेकरार हो जाये।
तब अंतस में धुन अलख निरंजन लगाईए।।

Posted on June 2, 2011 at 12:00pm — 3 Comments

Comment Wall (10 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:06am on May 4, 2011,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय पुनिया साहिब, आपका आशीर्वाद आज के दिन मिला, मैं धन्य हुआ |
At 4:35pm on April 20, 2011, दिगंबर नासवा said…
Dhanyvaad ji ...
At 12:55am on April 11, 2011, Er. Ambarish Srivastava said…
AAPKA SWAGAT HAI MITRA.
At 11:34pm on April 3, 2011, वीनस केसरी said…
chandan ji bahut bahut dhanyvaad
At 2:25pm on March 8, 2011, Abhinav Arun said…
abhaar shri nemichand ji | sneh banaye rakhen |
At 12:20am on February 26, 2011,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…
चन्दन साहब बहुत बहुत शुक्रिया|
At 8:43pm on November 23, 2010,
सदस्य टीम प्रबंधन
Rana Pratap Singh
said…

At 8:38pm on November 22, 2010, PREETAM TIWARY(PREET) said…

At 6:37pm on November 22, 2010,
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
said…
At 5:45pm on November 22, 2010, Admin said…

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service