For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चिहुँकि उठिह 

भोर भइला के पहिले 

जब 

देखिह सपनवा मिलनवा के 

धीरज जनि छोड़िह 

कदम जनि मोड़िह 

परेम पग रहिया 

खनकि उठिह 

जस 

गीत काढ़े कलाई कंगनवा से 

कागा उचरिहें जब 

अंगना सगुनवा 

हमसे मिले, मोरे 

प्रीत क पहुनवा 

लुकाछिपी करत 

निकलि अइह 

जस 

बदरी से निकसे चंदरमा हे 

निनिया खुली त 

सपना सजाइल रही 

माँग 

सजना-सेनुरवा 

भराइल रही 

जस 

भोरे पुरूब असमनवा के । 

- - - प्रमोद श्रीवास्तव - - - 

अप्रकाशित व मौलिक 

Views: 942

Replies to This Discussion

आदरणीय प्रमोद भाई, राउर पहिल रचना देख रहल बानीं का हम ? बाकिर नेह आ छोह के निकहा रसधार बहवले बानीं रउआ. गीत पक्ष के कमनीयता आ मुलामियत त बड़ले बा राउर एह रचना में नैसर्गिक उछाह बड़ुए जवन एह भासा के बड़हन तागत हऽ. बस एगो निहोरा बा. उमेद बड़ुए जे रउआ साहित्यिक सुझाव का नजर से देखत आ सँकारत ओह के मान देबि.  गीत जब साहित्यिक हो जाले त लोकगीत से तनिका फरक बेवहार करे लागेले. तब शिल्पपक्ष प धेयान दिहल उचित बुझाए लागेला. रउआ एह दिसाईं गँभीरता से सोचत रचनात्मक कोरसिस आ रचना-अभ्यास करत रहब.

दिल से धन्नबाद आ शुभकामना..

जै जै

आदरणीय सौरभ पाण्डेय  जी, राउर  सूझाव पढि के जियरा गदगदाइ गइल बा।तनि अउरि खोलि के समझइतीं अपना मे सुधारे खातिर अउर सहुलियत मिलि जाइत। राहि देखावे खातिर आभार । 

आदरणीय प्रमोद श्रीवास्तव जी, रउआ एह मंच पर बनल रहीं आ रचनाकर्म के कूल्हि पहलू प निकहे धेयान बनवले रहीं. सभ बिन्दु एकैगो करत बुझात चल जाई.

जै जै 

जै जै ।

भावो  से ओत प्रोत इस रचना के लिए  हार्दिक धन्यवाद i 

.सादर

राउरा के सादर आभार ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
21 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
yesterday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service