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बाल साहित्य Discussions (213)

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अपना भारत देश महान : नीरज नीर

उत्तर में हिमालय इसके है पश्चिम मे पाकिस्तान । हिन्द महासागर दक्षिण में, अपना भारत देश महान । पूरब में बंगाल की खाड़ी पश्चिम सागर अरब विशाल…

Started by Neeraj Neer

2 Oct 4, 2014
Reply by Neeraj Neer

एक प्रार्थना

मुझे ईश्वर ने सिखाया, मुझे अल्लाह ने बताया अंधकार को कर दें रोशन वाहेगुरु ने समझाया | मैं बनूँ प्रकाश अंधकार में, प्रेम फैलाऊं इस संसार मे…

Started by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani

0 Oct 4, 2014

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आज्ञा-पालन (बाल-गीत) // --सौरभ

कद्र करें हम उन लोगों की जिनने जीवन सफल जिया दिन-प्रतिदिन के कष्ट नकारे सुधा-हलाहल सहज पिया  ॥ कद्र करें हम.. ॥ ऐसे में माँ-पिता हमारे…

Started by Saurabh Pandey

14 Oct 4, 2014
Reply by Neeraj Neer

'बंद करो सब शोर'.....बाल गीत

'बंद करो सब शोर' चंदा संग है चाँदनी जगमग चारो और मुन्ना प्यारा सोएगा बंद करो सब शोर। निंदियाँ रानी आएगी परी देश ले जाएगी खेलेगा नन्हा मुन…

Started by seemahari sharma

0 Oct 1, 2014

तेरा नन्हा सा बेटा मैं/कविता

तेरे आँचल की ले सुगंध माँ दूर गगन तक जाऊँगा तेरा नन्हा सा बेटा मैं जब बहुत बड़ा हो जाऊँगा हाँ कभी कभी मन कहता है मैं अन्तरिक्ष में उड़ जाऊँ…

Started by seema agrawal

1 Sep 30, 2014
Reply by Shyam Narain Verma

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स्वतंत्रता दिवस की 68वीं वर्षगाँठ पर कुछ प्रण

आजादी के पथ पर मिलकर, तब तक चलना है अविराम कष्टों से व्याकुल जन-जीवन, जब तक ना पाए आराम ***** अच्छी-गंदी दो बातों के, अंतर का रखूँगा भान बस…

Started by Dr.Prachi Singh

4 Sep 15, 2014
Reply by Dr. Vijai Shanker

मेरा टेडी

गोलू मोलू गोलम गोल मेरा टेडी गोल मटोल. क्यों मुँह बनाकर  बैठा है लगता है  मुझसे  रूठा है. तू खायेगा  टॉफ़ी नरम या पीएगा कॉफी गरम   बाजार लेक…

Started by Neeraj Neer

0 Sep 6, 2014

क्यों रोता इंसान ///// बाल-कविता

गुडिया बोली –‘डैड मै, पूंछू एक सवाल I सदा किस तरह से रहें काले मेरे बाल II * डैडी ने हंसकर कहा यह तो है आसान I बेटी तुम भी आंवले के गुण को…

Started by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

4 Sep 2, 2014
Reply by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

बाल साहित्य - कह-मुकरियाँ ........ इमरान खान

सुन्दर गबरू छैल छबीला, प्यारी काया बदन गठीला, भागै खाकर मेरा कोड़ा, ऐ सखि साजन? न सखि घोड़ा।  (१) नाचै गावै सबको भावै, कभी किसी के हाथ न…

Started by इमरान खान

4 Aug 28, 2014
Reply by Pawan Kumar

!!! आ जा रे आ जा निंदियां रानी री !!!

!!! लोरी  !!! आ जा रे आ जा निंदियां रानी री, भइया को सुला जा निंदियां रानी। चन्दा की चांदनी चहुं दिश तुम्हारी, रश्मि औ किरने सगी बहने तुम…

Started by केवल प्रसाद 'सत्यम'

6 Feb 4, 2014
Reply by केवल प्रसाद 'सत्यम'

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गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
2 hours ago

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गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
10 hours ago

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Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
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'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
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Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
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Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

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गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
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Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
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