For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बोल चिरैया (बाल-गीत) / शेख़ शहज़ाद उस्मानी

बोल चिरैया बोल चिरैया, कितने घर खो आयी,
दाना-पानी बच्चों ख़ातिर, कितने घर हो आयी।

बोल चिरैया बोल चिरैया, कब रोज़े रख पायी,
कब सहरी, अफ़तारी होती, कब मस्जिद हो आयी।

बोल चिरैया बोल चिरैया, मेलों में क्या पाया,
इतराते इन्सानों में क्या, तरु कोई टकराया।

बोल चिरैया बोल चिरैया, साथी ढूंढे कितने,
कितने ज़िंदा, कितने मुर्दा, कितने देखे फ़ितने।

बोल चिरैया बोल चिरैया, कलयुग कितना भाया,
दूर-दूर अपनों से होकर, ख़ुद को बस बहलाया।

बोल चिरैया बोल चिरैया, दुनिया कैसे बिख़रे,
आसपास बस जंगल बिखरें, सबका जीवन निखरे।


[मौलिक, अप्रकाशित व अप्रसारित]

[सार-छंद पर आधारित]

__शेख़ शहज़ाद उस्मानी
शिवपुरी म.प्र.
(२५/०५/२०१६)
_________________________________

कठिन शब्दार्थ :

[1]- तरु = पेड़, वृक्ष
[2]- फ़ितने = अचानक होने वाले उपद्रव, बग़ावत, विरोध आदि।
[3]- रोज़े = उपवास (मुस्लिम समाज के)
[4] - सहरी = रोज़ा रखने हेतु सूर्योदय से पहले लिया जाने वाला अल्प आहार
[5] - अफ़तारी = रोज़ा समाप्त करने हेतु सूर्यास्त के बाद लिया जाने वाला आहार
__________________________________

Views: 1126

Replies to This Discussion

बहुत खूब आदरणीय शहजाद भाई | 

बोल चिरैया बोल चिरैया, कलयुग कितना भाया,
दूर-दूर अपनों से होकर, ख़ुद को बस बहलाया।

बोल चिरैया बोल चिरैया, दुनिया कैसे बिख़रे,
आसपास बस जंगल बिखरें, सबका जीवन निखरे। बहुत खूब | हार्दिक बधाई भाई | 

बेहद उम्दा ...बहुत बहुत बधाई आप को आदरणीय | सादर 

रचना पर समय देकर अपनी राय से अवगत कराने और हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब श्याम नारायण वर्मा जी और आदरणीया कल्पना भट्ट जी।

आदाब। विगत वर्ष समापन तक मेरी इस रचना पर लगभग 234  सम्मानित सुधी सदस्यगण उपस्थित हुए। इस हौसला अफ़ज़ाई हेतु आप सभी को तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया। नववर्ष की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं।

आदाब। विगत वर्ष समापन तक मेरी इस रचना पर लगभग 234  सम्मानित सुधी सदस्यगण उपस्थित हुए। इस हौसला अफ़ज़ाई हेतु आप सभी को तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया। नववर्ष की हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service