For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ पुरस्कार योजनाओं के सम्बन्ध में सूचना

आदरणीय सदस्य गण,

यथोचित अभिवादन,

जैसा कि आप सभी को ज्ञात है, ओ बी ओ पर प्रत्येक माह दो पुरस्कार यथा "महीने का सक्रिय सदस्य" और "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" प्रत्येक रुपये 1100 और प्रमाण पत्र, प्रायोजकों के सौजन्य से दिये जाते हैं, वर्तमान प्रायोजक नें दिसंबर-13 के पश्चात पुरस्कार व्यय देने में अरुचि दिखाई है, फलस्वरूप उक्त दोनों पुरस्कार दिसंबर-13 तक चला कर बंद करने का निर्णय करना पड़ रहा है । 

विगत कई महीनों से पुरस्कार प्राप्त सदस्यों को पुरस्कार राशि और प्रमाण पत्र भेजे नहीं जा सकें हैं, जिन्हें शीघ्र भेजने का प्रयास किया जा रहा है, कृपया सहयोग बनाये रखें ।

सादर । 

एडमिन 

ओपन बुक्स ऑनलाइन

--------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------------

ओ बी ओ प्रबंधन का अंतिम निर्णय / दिनांक ०१.०१.२०१४

आदरणीय सदस्यगण,

 

इस पोस्ट पर काफी चर्चा हो चुकी है. अब समय आ गया है कि इस सम्बन्ध में प्रबंधन स्तर से अंतिम निर्णय ले लिया जाय और इसकी आधिकारिक घोषणा हो. निर्णय साझा करने से पहले कर्तव्य यह बनता है कि कुछ आवश्यक बातें सबके साथ साझा की जायँ.

 

इसी चर्चा में वर्त्तमान पृष्ठ ३ पर आदरणीय अलबेला खत्री जी ने बहुत ही सराहनीय कदम उठाते हुए जनवरी २०१४ से दिसंबर २०१४ तक के लिए पुरस्कार राशि को वहन करने के ऊपर सहमति प्रदान करते हुए आवश्यक चेक भेजने की घोषणा कर दी थी. इसपर प्रबंधन द्वारा इस घोषणा का स्वागत करते हुए अलग से मेल भेज कर पुरस्कार राशि को भेजने की बात की गयी. जिसपर उनके द्वारा समय बढ़ाते हुए अंतिम रूप से ७ जनवरी-१४ को किश्तवार राशि भेजने की बात की गयी.

हालाकि उनके द्वारा यह भी कहा गया था कि ओ बी ओ इस निमित्त घोषणा कर दे और निर्धारित राशि समय से भेज दी जायेगी.

किन्तु पूर्व के अनुभवों के आधार पर बगैर राशि प्राप्त किये तदनुरूप घोषणा करना प्रबंधन को उचित नहीं लगा. अचानक आज दिनांक ३१/१२/२०१३ की सुबह आदरणीय अलबेलाजी "मुझे यह मामला स्थगित करना पड़ेगा" कह कर अपनी पूर्व सहमति से मुकर गए.
संक्षेप में अभी इतना ही कहना उचित है.

 
हाँ, यदि आवश्यक जान पड़ा तो मेल की संपूर्ण शृंखला पटल पर रखी जायेगी.

 

इस टिप्प्णी के माध्यम से इतना अवश्य साझा करना है कि जो सदस्य या प्रायोजक प्रयोजन अथवा विज्ञापन देने हेतु प्रस्ताव रखते हैं, उनसे प्रबन्धन नम्रता पूर्वक अनुरोध करता है कि ओबीओ प्रबन्धन नेक साहित्यिक कार्य में जिस गम्भीरता से जुड़ा है, आप भी कृपया गम्भीरतापूर्वक ही प्रस्ताव आदि की घोषणा किया करें या करवाया करें. ताकि दोनो इकाइयाँ किसी किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति से बच सके.

 

आप सभी सदस्यो के विचारों का स्वागत करते हुए ओ बी ओ प्रबंधन जनवरी २०१४ के प्रभाव से यह निर्णय करता है कि..........

१- उक्त दोनों सम्मान यथा "महीने की सर्वश्रेष्ठ रचना" और "महीने का सक्रिय सदस्य" सम्मान पूर्व की तरह यथावत चलते रहेंगे.
२- नगद पुरस्कार प्रायोजक उपलब्ध न होने तक नहीं दिया जायेगा,
३- प्रशस्ति पत्र भौतिक रूप में डाक द्वारा भेजा जायेगा.

एडमिन

ओपन बुक्स ऑनलाइन

Views: 5791

Reply to This

Replies to This Discussion

सादर

हा हा हा आदरणीय संपादक महोदय कुछ हम  जैसे अपवाद भी होते हैं :-) हम जाने वाले नहीं ... शरू से हैं और दूर तक साथ रहेंगे .. यह परिवार है और परिवार की सफलता यात्रा में ऐसे पड़ाव आते रहते हैं ...हा नकद पुरस्कार मेरे ख़याल से भी ओ बी ओ के स्वस्थ माहौल के अनुकूल नहीं यहाँ एक अप्रतिम अपनापन है ..जिसमे सम्मान और प्रमाण तो स्वस्थ प्रतियोगिता के लिए हो पर नकद पुरस्कार हरगिज़ नहीं ... प्रायोजक मिले भी तो उस राशी का साहित्य अभिवृद्धि में दुसरे रूप में इस्तेमाल हो यथा साल भर की श्रेष्ठ रचनाओ का संकलन निकले ..तो क्या कहने ..और उसका आयोजन में विमोचन हो :-)

 

सादर प्रणाम आदरणीय

!!

आदरणीय प्रभाकर जी एकदम सही कहा आपने , नगद पुरस्कारों की अपेक्षा सम्मान मायने रखता है आप बड़ों का मार्ग दर्शन मायने रखता है । जो हर सोशल साइट्स पर नहीं है । मै स्वयं को  बड़ भागी महसूस करती हूँ जो आप सबके सानिध्य मे शिक्षा ले रही हूँ । आप सभी सुधी जनो से मान मिलना ये गौरव की बात है । इसलिए सम्मान पुरस्कार यों ही चलते रहने दिया जाय ।

अधिक कुछ नहीं कह पाउँगा लेकिन दुखद है ! प्रायोजक की अरुचि नहीं बल्कि पुरस्कारों का खत्म होना ! सिर्फ प्रसस्ति पत्र भेजते हुए भी पुरस्कारों को यथावत रखा जाय ! मुझे भी इस मंच से दो पुरस्कार मिले हैं अब तक ! लेकिन मैंने दोनों चेक अब तक वैसे ही संभल कर रखा है ! खाते में उसका नगदीकरण नहीं कराया ! अभिप्राय बस इतना कि पैसा मानी  नहीं रखता !
और अगर पुरस्कार राशि प्रबंध समिति को आवश्यक लगता है क्यों न प्रायोजक खोजने के बजाय एक फंड का निर्माण कर लिया जाय ! सभी सदस्य अपनी स्वेच्छा के अनुसार जब चाहे कुछ सहयोग राशि भेजते रहें ! किसी पर भी कोई अनावश्यक दबाव नहीं पड़ेगा इस तरह और गतिविधियां सुचारू रूप से चलती रहें ! मैं स्वयं  नियमित सहयोग की इच्छा रखता हूँ ! कृपया विचार करें !

आदरणीय अरुण भाई , आपने मेरे मुँह की बात छीन ली , अच्छा हुआ आपकी पोस्त पढ लिया मै अभी यही लिखने वाला था !! अब आपके समर्थन से काम चल जायेगा !! मै भी स्थायी हल के लिये एक फंड बनाने के पक्ष मे हूँ !! एक अकाउंट खोल के उसका नम्बर सबको बता दिया जाये ! 2500 मेम्बर हैं ! हम क्या नही कर सकते , अगर एक हो जायें तो !! बाक़ी जैसे आदर्णीय एड्मिन चाहें , वैसा साथ देने को मै तैयार हूँ !

ये फंड बनाने वाली बात मैंने करीब तीन बरस पूर्व आदरणीय श्री से कही थी एक मुलाकात के दौरान पर तब विस्तृत चर्चा और सहमती नहीं बन पायी थी पर अब लगता है की प्रायोजक आयें भी तो उनका प्रयोजन लिया जाए पर राशी नकद न देकर उसका साहित्यिक अभिवृद्धि में उपयोग के लिए फंड बनाया जाए ... जो आयोजन प्रकाशन में व्यय हो ..साधुवाद विचार के अनुमोदन के लिए .

आदरणीय अरुण भाई , आपकी ये सलाह भी बहुत उचित लग रही है , अगर साहित्यिक अभिवृद्धिके लिये रशि उपयोग हो और जैसा कि आपने सलाह दिया है  कि ,साल भर की श्रेष्ठ रचनाओ का संकलन निकले ये तो बहुत ही बढ़िया सलाह है ! पर ओ बी ओ का अपना फंड हो तो क्या बुरा है !!

भाई अभिनव अरुण जी, मुझे आपका कहा एक-एक शब्द याद है.

मैंने तब वही कहा था जो तब के हिसाब से उचित था.
ओबीओ का मंच ही नहीं, ओबीओ की पूरी अवधारणा ही सद्यः-प्रसूत थी. उस समय किसी सदस्य से राशि लेकर उसकी सदस्यता अनुमोदित करना, चाहे किसी नाम से क्यों न हो, हमारी सोच की बाहरी सीमा के भी बाहर की बात थी. दूसरे, नितांत वैयक्तिक बातचीत के क्रम में कई वरिष्ठजनों ने ये कह कर इस तथ्य के प्रति अनमनापन दिखाया था कि कहीं यह संदेश न जाने लगे कि ओबीओ पर ’मानद सदस्यता’ दी ही इसलिए जाती है कि धन-उगाही हो सके.

बहुत फूँक-फूँक कर कदम रखा गया है, भाईजी.
इसी कारण, ओबीओ पर आजतक के सारे कार्यक्रम अपने हिसाब से, यानि प्रबन्धन स्तर से, मैनेज किये जाते रहे हैं, ताकि कहीं किसी के पास गलत संदेश न जाये. आज, स्थिति बहुत भिन्न और सहज है. अब तो इस मंच पर सार्थकसोची युवाओं की एक फ़ौज मौज़ूद है, जिसपर प्रबन्धन को नाज़ है.

सभी सदस्य जो उचित और सकारात्मक समझें, कहें और करें. लेकिन जो कहें, उसके पीछे सार्थक उद्येश्य हो स्पष्ट दर्शन हो, मन और आचरण में गरिमा के भाव हों.
शुभ-शुभ

जी उचित , सर्वथा सही कहा आपने ... अब समवेत सीखने के साथ साथ समवेत दायित्व साझा करने का भी समय आ गया है !

आदरणीय भाई जी पते की बात की आपने सहमत सहमत सहमत.

//लेकिन दुखद है ! प्रायोजक की अरुचि नहीं बल्कि पुरस्कारों का खत्म होना ! सिर्फ प्रसस्ति पत्र भेजते हुए भी पुरस्कारों को यथावत रखा जाय !//

पुरस्कार बन्द कहाँ हुए या हो रहे हैं. मानदेय पर बात हो रही है, भाई अरुण श्री.

फलस्वरूप उक्त दोनों पुरस्कार दिसंबर-13 तक चला कर बंद करने का निर्णय करना पड़ रहा है ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service