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Arun Sri's Discussions (610)

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"इस स्नेह के लिए आप सभी को बहुत धन्यवाद ! अच्छा लगा कि परिवार के सबसे लापरवाह सदस्य क…"

Arun Sri replied Oct 1, 2014 to खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

3552 Sep 14, 2024
Reply by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी

"//गुम हुई संज्ञाओं की निर्निमेष आँखों में, कहते हैं, असहायपन हुआ करता है. किन्तु यह…"

Arun Sri replied Sep 13, 2014 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 47

457 Sep 14, 2014
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"बहुत धन्यवाद सर ! "

Arun Sri replied Sep 13, 2014 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 47

457 Sep 14, 2014
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"मैं इसे अपना सौभाग्य कहूँगा ! सादर ! "

Arun Sri replied Sep 13, 2014 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 47

457 Sep 14, 2014
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"धन्यवाद सर ! "

Arun Sri replied Sep 13, 2014 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 47

457 Sep 14, 2014
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"आयोजन की रचनाएँ पढते-पढते आखिर मैंने भी लिख ही लिया कविता जैस कुछ  :-))))  -- ..समय…"

Arun Sri replied Sep 13, 2014 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 47

457 Sep 14, 2014
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"हर इक युग में सलीबों पर मिलेगा  मसीहा झूठ को ढोता नहीं है वो पत्थर तानता है आइने पर …"

Arun Sri replied Sep 13, 2014 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 47

457 Sep 14, 2014
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"//न्याय देरी से मिला, क्या  फाइदा आप भी  तो  देखिये ये सोच कर//"

Arun Sri replied Sep 13, 2014 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 47

457 Sep 14, 2014
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"बेहतरीन छंद ! अच्छा लगा पढकर !"

Arun Sri replied Sep 13, 2014 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 47

457 Sep 14, 2014
Reply by Er. Ganesh Jee "Bagi"

"बृजेश नीरज  भईया , और आपने मेरे लिए कोई स्पेस नहीं छोड़ा कि आपके इस स्नेह का उत्तर दे…"

Arun Sri replied Jun 14, 2014 to "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक - 44

743 Jun 15, 2014
Reply by जितेन्द्र पस्टारिया

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ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
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"जी, सहमत हूं रचना के संबंध में।"
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Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
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Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
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अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
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सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
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