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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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वाह मुहतरम आरिफ साहिब, बड़ी अच्छी गज़ल हुई है। दिली दाद कुबूल फरमाएँ

हार्दिक आभार आदरणीय शिज्जू शकूर साहब ।

जनाब आरिफ़ साहिब आदाब ,

उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारक बाद पैश करता हूं 

बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय मिर्ज़ा जावेद जी ।

अच्छी ग़ज़ल... अनोखी गिरह के लिए बधाई !!!

हार्दिक आभार आदरणीय अजीत शर्मा जी ।

आद0 मोहम्मद आरिफ जी सादर अभिवादन। बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने।गिरह का प्रयोग बेहतरीन। बधाई स्वीकार कीजिये। सादर

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेंद्रनाथ जी ।

वाह वाह वाह, क्या कहने जनाब आरिफ साहब, सभी शेर एक से बढ़कर एक हुए हैं, बहुत बहुत बधाई आपको।

दाद-ओ-तहसीन का बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय गणेश 'बाग़ी'जी ।

आदरणीय आरिफ साहब बहुत बेहतरीन गजल मंत्रमुग्ध कर दिया दिली मुबारकबाद कुबूल कीजिए

हार्दिक आभार आदरणीय छोटे लाल जी ।

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