For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लावणी छन्द (ईश गरिमा)

तेरी ईश सृष्टि की महिमा, अद्भुत बड़ी निराली है;
कहीं शीत है कहीं ग्रीष्म है, या बसन्त की लाली है।
जग के जड़ चेतन जितने भी, सब तेरे ही तो कृत हैं;
जो तेरी छाया से वंचित, वे अस्तित्व रहित मृत हैं।।

धैर्य धरे नित भ्रमणशील रह, धार रखे जीवन धरती;
सागर की उत्ताल तरंगें, अट्टहास तुझसे करती।
कलकल करते सरिता नद में, तेरी निपुण सृष्टि झलके;
अटल खड़े गिरि खंडों से भी, तेरी आभा ही छलके।।

रम्य अरुणिमा प्राची में भर, भोर क्षितिज में जब सोहे;
रक्तवर्ण वृत्ताकृति शोभा, बाल सूर्य की जग मोहे।
चंचल चपल चांदनी में तू, शशि की शीतलता में है।
तारा युक्त चीर से शोभित, निशि की नीरवता में है।।

मैदानों की हरियाली में, घाटी की गहराई में;
कोयल की कुहु-कुहु से गूँजित, बासन्ती अमराई में।
अन्न भार से शीश झुकाए, खेतों की इन फसलों में;
तेरा ही चातुर्य झलकता, कामधेनु की नसलों में।।

विस्तृत एवम् स्वच्छ सलिल से, नील सरोवर भरे हुए;
पुष्पों के गुच्छों से मुकुलित, तरुवर मोहक लदे हुए।
घिरे हुए जो कुमुद दलों से, इठलाते प्यारे शतदल;
तेरी ही आभा के द्योतक, ये गुलाब पुष्पित अति कल।।

पंक्ति बद्ध विहगों का कलरव, रसिक जनों को हर्षाए;
वन गूँजाती वनराजों की, सुन दहाड़ मन थर्राए।
चंचल हिरणी की आँखों में, माँ की प्यार भरी ममता,
तुझसे ही तो सब जीवों की, शोभित रहती है क्षमता।।

हे ईश्वर हे परमपिता प्रभु, दीनबन्धु जगसंचालक;
तेरी कृतियों का बखान है, करना अति दुष्कर पालक।
अखिल जगत सम्पूर्ण चराचर, तुझसे ही तो निर्मित है;
तुझसे लालित पालित होता, तुझसे ही संहारित है।।

भाव प्रसून खिला दे हे प्रभु, हृदय वाटिका में मेरी;
काव्य-सृजन से सुरभित राखूँ, पा कर इसे कृपा तेरी।
मनोकामना पूर्ण करो ये, ईश यही मेरी विनती;
तेरे उपकारों की कोई, मेरे पास नहीं गिनती।।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 412

Replies to This Discussion

बेजोड़ शब्दों का प्रयोग करते हुए बहुत ही मनभावक ईश वंदना हुई है। बधाई स्वीकारें।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service