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सदस्य टीम प्रबंधन मकर-संक्रान्ति पर विशेषभारत वस्तुतः गाँवों का देश है. यहाँ के गाँव प्रकृति और प्राकृतिक परिवर्त्तनों से अधिक प्रभावित होते हैं, बनिस्पत अन्य भौतिक कारणों से. च… Started by Saurabh PandeyLatest Reply |
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नगर सभ्यता के परित्यागी (शिवरात्रि विशेष)नगर सभ्यता के परित्यागी।भोले शंकर शिव बैरागी।।*जग जीवित हो कष्ट उठाया।कालकूट को कंठ समाया।।अजब अनौखी औघड़ माया।भक्त अभक्त हर कोई भाया… Started by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' |
0 | Feb 17 |
रास छंद "कृष्णावतार"(रास छंद) हाथों में थी, मात पिता के, सांकलियाँ। घोर घटा में, कड़क रहीं थी, दामिनियाँ। हाथ हाथ को, भी नहिं सूझे, तम गहरा। दरवाजों पर, लटके त… Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' |
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Jun 3, 2021 Reply by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' |
#लावणी_छन्द, निधिवनलता,फूल,रज के हर कण में,नभ से झाँक रहे घन में,राधे-कृष्णा की छवि दिखती,वृन्दावन के निधिवन में। प्रेम अलौकिक व्याप्त पवन में,प्रणय गीत से ब… Started by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" |
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May 26, 2021 Reply by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" |
#सरसी_छन्द, उपहारस्वार्थहीन अनुराग सदा ही,देते हो भगवान।निज सुख-सुविधा के सब साधन,दिया सदा ही मान। अपनी सूझ-बूझ से समझी,प्रतिपल मेरी चाह,इस कठोर जीवन की तु… Started by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" |
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May 26, 2021 Reply by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" |
रक्ता छंद "शारदा वंदन"(रक्ता छंद) ब्रह्म लोक वासिनी।दिव्य आभ भासिनी।।वेद वीण धारिणी।हंस पे विहारिणी।। शुभ्र वस्त्र आवृता।पद्म पे विराजिता।।दीप्त माँ सरस्वती।नि… Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' |
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May 23, 2021 Reply by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' |
मकरन्द छंद "कन्हैया वंदना"(मकरन्द छंद) किशन कन्हैया, ब्रज रखवैया, भव-भय दुख हर, घट घट वासी।ब्रज वनचारी, गउ हितकारी, अजर अमर अज, सत अविनासी।।अतिसय मैला, अघ ज… Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' |
0 | May 14, 2021 |
चामर छन्द "मुरलीधर छवि"चामर छन्द "मुरलीधर छवि" गोप-नार संग नन्दलालजू बिराजते।मोर पंख माथ पीत वस्त्र गात साजते।रास के सुरम्य गीत गौ रँभा रँभा कहे।कोकिला मयूर कीर… Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' |
0 | May 9, 2021 |
लावणी छन्द (ईश गरिमा)लावणी छन्द (ईश गरिमा) तेरी ईश सृष्टि की महिमा, अद्भुत बड़ी निराली है;कहीं शीत है कहीं ग्रीष्म है, या बसन्त की लाली है।जग के जड़ चेतन जितने भ… Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' |
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May 3, 2021 Reply by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" |
पञ्चचामर छन्द, श्री हनुमान वंदनाउपासना करें सभी,महाबली कपीश की,विराट दिव्य रूप की,दयानिधान ईश की।कराल काल जाल से, प्रभो उबार लीजिये,अपार भक्ति दान की,कृपा सदैव कीजिये। प्… Started by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" |
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May 3, 2021 Reply by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" |
मरहठा छंद "कृष्ण लीलामृत"मरहठा छंद "कृष्ण लीलामृत" धरती जब व्याकुल, हरि भी आकुल, हो कर लें अवतार।कर कृपा भक्त पर, दुख जग के हर, दूर करें भू भार।।द्वापर युग में जब,… Started by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' |
0 | Apr 26, 2021 |
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