For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हुआ है उजाला धरा पर नया अब। 
मिटा घन अँधेरा छटा ये धुआँ सब। 
नया साल आया नई आस लाया। 
करो काम दिल से न जो भी हुआ सब।।
रहे जग हमेसा ख़ुशी की सफ़र पे। 
न काटें मिले अब किसी की डगर पे। 
करो प्यार सबसे की जीवन है प्यारा। 
न कीचड़ उछालो हमारे नगर पे।।
गया दिन पुराना नया साल देखो। 
चमकते हुए देश का भला देखो। 
हिंसा के रथ पर कहाँ तक चलोगे। 
चला जो न माना ज़रा हाल देखो।।
नया प्रात है ये इसे सब सवारें। 
ख़ुशी का समय है ख़ुशी से गुज़ारे 
मिले जो उसे द्विज गले से लगा लो। 
नहीं बस लगाओ कि नव वर्ष नारे।।
मौलिक व अप्रकाशित।

Views: 725

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on January 7, 2020 at 5:52pm

आद0 विवेक जी सादर अभिवादन। नववर्ष पर अच्छी रचना की कोशिश की है आपने,, बधाई स्वीकार कीजिये।

Comment by Vivek Pandey Dwij on January 7, 2020 at 3:47pm

बहुत बहुत धन्यवाद भाई विजय जी।

Comment by vijay nikore on January 7, 2020 at 3:06pm

रचना अच्छी बनी है। बधाई, मित्र विवेक जी।

Comment by Vivek Pandey Dwij on January 3, 2020 at 7:20am

आo भाई लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर’बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 3, 2020 at 6:25am

आ. भाई विवेक जी, सुन्दर गीत हुआ है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Vivek Pandey Dwij on January 2, 2020 at 4:56pm

धन्यवाद आशीष जी।

Comment by आशीष यादव on January 2, 2020 at 3:00pm

बहुत अच्छी कृति। हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service