For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Vivek Pandey Dwij's Blog (5)

नव वर्ष गीत

हुआ है उजाला धरा पर नया अब। 

मिटा घन अँधेरा छटा ये धुआँ सब। 

नया साल आया नई आस लाया। 

करो काम दिल से न जो भी हुआ सब।।
रहे जग हमेसा ख़ुशी की सफ़र पे। 

न काटें मिले अब किसी की डगर पे। 

करो प्यार सबसे की जीवन है प्यारा। 

न कीचड़ उछालो हमारे नगर…
Continue

Added by Vivek Pandey Dwij on January 1, 2020 at 9:00pm — 7 Comments

मजदूर पर दोहे

कहने को मजदूर पर, नहीं आज मजबूर।

अपनी ताकत से सदा, करे दुखों को दूर।।

काम करे डटकर सदा, नहीं कभी आराम।

इसके श्रम से ही बने, महल अटारी धाम

जंगल या तालाब हो, रुके न फिर भी पाँव।

करता श्रम दिन-रात वो, देखे धूप न छाँव।।

कंकड़ पत्थर जोड़कर, देता उसको रूप।

निज तन चिंता छोड़कर, खाता दिन भर धूप।।

राह बनाता वो यहाँ, दुष्कर गिरि को काट।

अपने भुजबल से करे, सुंदर सरल ये बाट।।

मन निर्मल है तन कड़ा, लौह बना है…

Continue

Added by Vivek Pandey Dwij on November 3, 2019 at 4:11pm — 7 Comments

पर्यावरण पर कुंडलिया

यारो! किस ये राह पर, चला आज इंसान

वृक्ष हीन धरती किया, कहा इसे विज्ञान

कहा इसे विज्ञान, नहीं कुछ ज्ञान लगाया

सूखा बाढ़ अकाल, मूढ़ क्यूँ समझ न पाया

कह विवेक कविराय, नहीं खुद को यूँ मारो

निशदिन बढ़ता ताप, इसे अब समझो यारो।।1

 अभिलाषा प्रारम्भ है, मृगतृष्णा का यार

अंधी दौड़ विकास की, हुई जगत पे भार

हुई जगत पे भार, मस्त फिर भी है मानव

हर कोई है त्रस्त, विकास लगे अब दानव

कह विवेक कविराय, प्रकृति की समझो भाषा

पर्वत नदियाँ झील, नष्ट करती…

Continue

Added by Vivek Pandey Dwij on June 15, 2019 at 9:46am — No Comments

'आम चुनाव और नेता'

आल्हा छंद (16, 15 अंत में गुरु लघु)

लोकतंत्र के महापर्व में, हुए सभी नेता तैयार

शब्द बाण से वार करें वे, छोड़ छाड़ के शिष्टाचार।।

युध्द भूमि सा लगता भारत, जहाँ मचा है हाहाकार

येन केन पाने को सत्ता, अपशब्दों की हो बौछार।।

खून करें वे लोकतंत्र का, जुमले हैं इनके हथियार

हित जनता का भूल गए वे, ऐसा इनका है आचार

हे जन मन तुम जाग उठो अब, व्यर्थ न जाये यह त्योहार

ऐसा कुछ इस बार करो तुम, राजनीति बदले आकार ।।

रंग बराबर बदलें ऐसे,…

Continue

Added by Vivek Pandey Dwij on April 13, 2019 at 8:27am — 6 Comments

नवरात्र पर दोहे

घर- घर हो घट स्थापना, लगे नए पंडाल

हर मन उल्लासित दिखे, ले पूजा की थाल।।

चैत्र मास नवरात्र में, हो माँ का गुण गान

दुर्गुण सारा जल उठे, हो इसका भी ध्यान।।

यह सारा संसार ही, माँ का है दरबार

माँ ही बस इक सत्य है, बाकी सब बेकार।।

बालक बृंद अबोध मैं, माँ ममता की खान

जैसा भी हूँ मैं अभी, रखना माँ तू ध्यान।।

माँ के ही सब लाल हम, माँ ही खेवनहार

दया दृष्टि जब माँ करे, हों भवसागर पार।।

(मौलिक व…

Continue

Added by Vivek Pandey Dwij on April 9, 2019 at 7:00pm — 6 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
22 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service