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ग़ज़ल (न मुँह को फेर के यूं आप जाएं ईद के दिन)

(मफाइलुन _फ इलातुन_मफाइलुन_फ इलुन)

न मुँह को फेर के यूं आप जाएं ईद के दिन |
मेरे गले से  लगें   या लगाएँ ईद के दिन |

अकेले हम ख़ुशी कैसे मनाएँ ईद के दिन |
ख़ुदा क़सम वो बहुत याद आएँ ईद के दिन |

जो पिछले साल थाशामिल हमारी खुशियों में
उसी हसीन की यादें सताएँ ईद के दिन |

गरज़ है क्या भला हम साया ग़ैर मुस्लिम है
उसे बुलाके सिवइयाँ खिलाएँ ईद के दिन |

ख़ुदा ने अर्श से भेजा है तुहफा फरहत का
न दिल किसी भी बशर का दुखाएँ ईद केदिन |

वतन में एकता क़ायम हो भाई चारा बढ़े
ख़ुदा से मांगिए मिल कर दुआएँ ईद के दिन |

कहीँ न फोड़ लूँ आंखें मैं देख कर मंज़र
उदास शक्ल न मुझको दिखाएँ ईद के दिन |

किया जो वादा मुलाक़ात का कभी हम से
उसे तो आप खुदारा निभाएँ ईद के दिन |

जो मुद्दतों से है तस्दीक आप से रूठा
उसे गले से लगा कर मनाएँ ईद के दिन |

{मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2018 at 6:21pm

मुहतरम जनाब विजय निकोरे साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by vijay nikore on June 19, 2018 at 5:06pm

आपकी गज़ल पढ़ कर आनन्द आ गया । हार्दिक बधाई।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2018 at 9:35am

मुह तरमा रक्षीता साहिबा आ दाब , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 19, 2018 at 9:33am

मुहतरम जनाब तेज वीर साहिब, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई और ईद की मुबारक बादी का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by रक्षिता सिंह on June 19, 2018 at 7:55am

आदरणीय तस्दीक़ डी नमस्कार,
सुन्दर रचना...बहुत बहुत बधाई ।।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 19, 2018 at 7:45am

ईद के पावन अवसर पर बेहद खूबसूरत गज़ल। हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।साथ ही आपको ईद की मुबारकबाद।

वतन में एकता क़ायम हो भाई चारा बढ़े 
ख़ुदा से मांगिए मिल कर दुआएँ ईद के दिन |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 18, 2018 at 6:25am

जनाब भाई लक्ष्मण धामी साहिब , ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by Samar kabeer on June 17, 2018 at 9:37pm

जी,बहतर है ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 17, 2018 at 9:35pm

आ. भाई तस्दीक अहमद जी, ईद के मौके पर बेहतरीन गजल हुयी है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 17, 2018 at 3:40pm

मुहतरम जनाब समर साहिब आदाब  , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया | शेर 2 उला मिसरा यूं कर लिया है "अकेले हम ख़ुशी कैसे मनाएँ ईद के दिन  " 

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