For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आहट की प्रतीक्षा में ...

आहट की प्रतीक्षा में ...

जाने
कितनी घटाओं को
अपने अंतस में समेटे
अँधेरे में
चुपचाप
बैठी रही

कौन था वो
जो कुछ देर पहले
देर तक
मेरे मन की
गहन कंदराओं में
अपने स्वप्निल स्पर्शों से
मेरी भाव वीचियों को
सुवासित करता रहा
और
मैं
ऑंखें बंद करने का
उपक्रम करती हुई
उसके स्पर्शों के आग़ोश में
मौन अन्धकार का
आवरण ओढ़े
चुपचाप
बैठी रही

आहटें
रूठ गयीं
स्पर्श
निष्पंद हो गये
पवन वेग से
वातायन के पट
शोर करने लगे
मैं
भ्रम की चादर पर
विश्वास के पैबंद लगाने लगी
वो आएगा
ज़रूर आएगा
आज नहीं तो कल आएगा
मैं
अपने काजल को
अंतस की घटाओं के
हवाले नहीं करूंगी
मैं
अपने अवसन्न अधरों पर
उसकी तृषा का वरण किये
तम से बतियाती
द्वार पर टकटकी लगाए
आहट की प्रतीक्षा में
चुपचाप
बैठी रही

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 717

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 3, 2018 at 7:36pm

आदरणीय Samar kabeer जी, सादर प्रणाम, सृजन के भावों अपनी ऊर्जावान प्रतिक्रिया से जीवंत करने का दिल से आभार।

Comment by Samar kabeer on February 3, 2018 at 7:02pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,बहुत सुंदर कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sushil Sarna on February 3, 2018 at 6:00pm

आदरणीय विजय निकोर जी, सादर प्रणाम, सृजन के भावों अपनी ऊर्जावान प्रतिक्रिया से जीवंत करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on February 3, 2018 at 6:00pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ जी सृजन को आत्मीय प्रशंसा से अलंकृत करने का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on February 3, 2018 at 6:00pm

आदरणीय तस्दीक़ अहमद साहिब , आदाब , आपकी आत्मीय प्रशंसा से सृजन उपकृत हुआ। हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on February 3, 2018 at 6:00pm

आदरणीय नरेंद्र सिंह चौहान जी सृजन आपकी आत्मीय प्रशंसा का आभारी है।

Comment by Sushil Sarna on February 3, 2018 at 5:59pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार /

Comment by नाथ सोनांचली on February 3, 2018 at 12:57pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। आपकी कविताये सीधे दिल मे उतर जाती हैं। एकतरफ से पढ़ते जाओ और कथानक बुनते जाओ। ग़ज़ज़्ब। बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर। सादर

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 3, 2018 at 12:15pm

जनाब सुशील सरना साहिब ,दिल की गहराई में उतरती सुन्दर कविता हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

Comment by narendrasinh chauhan on February 3, 2018 at 11:09am
लाजवाब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
16 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Monday
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service