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अमर ...

प्रश्न 

कभी मृत नहीं होते
उत्तर
सदा अमृत नहीं होते
कामनाएं
दास बना देती हैं
उत्कण्ठाएं
प्यास बढ़ा देती हैं
शशांक
विभावरी का दास है
शलभ
अमर लौ अनुराग है
दृष्टि
दृश्य की प्यासी है
तृषा
मादक मकरंद की दासी है
भाव
निष्पंद श्वास है
अंत
अनंत का विशवास है
स्मृति
कालजयी कल है
अमर
प्रीत का हर पल है

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sushil Sarna on October 9, 2017 at 8:05pm

आदरणीय सौरभ सर , प्रणाम  ... आप सृजन पर आये, अपने स्नेहिल आशीर्वाद से उसे अलंकृत किया , सृजनकर्ता के हृदय को परमसुख का अनुभव हुआ। अपने कीमती समय से सृजन को आत्मीय स्नेह देने का दिल से आभार। 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 9, 2017 at 3:15pm

कविताओं में पारिभाषिकता का चलन एक समय बहुत ज़ोर पर था. आज उस तौर की कविता को देख कर भला लगा. वैसे यह शिल्पगत व्यवस्था है. जो चलन के हिसाब से आती-जाती रहती है. आपके प्रयास केलिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरनाजी. 

Comment by Sushil Sarna on October 9, 2017 at 2:53pm

आदरणीय  सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'   जी सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by नाथ सोनांचली on October 8, 2017 at 7:42am
आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन, बेहद भाव पूर्ण के साथ साथ अर्थ पूर्ण, भाव विभोर करती हुई रचना,हार्दिक बधाई स्वीकारें इस प्रस्तुति पर।
Comment by Sushil Sarna on October 7, 2017 at 7:31pm

आदरणीय   SALIM RAZA REWA  साहिब प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on October 7, 2017 at 7:30pm

आदरणीय    Tasdiq Ahmed Khan  साहिब प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 10:06pm

आदरणीय सुशील सरना जी आदब, 

हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

मेरी ग़ज़लों  में भी आपकी महब्बत  चाहता हूँ  ,

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 6, 2017 at 5:58pm
जनाब सुशील सरना साहिब, सुन्दर रचना हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
Comment by Sushil Sarna on October 6, 2017 at 3:48pm

आदरणीय   Afroz 'sahr'  साहिब प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार। 

Comment by Afroz 'sahr' on October 6, 2017 at 2:38pm
जनाब सुशील जी आदाब अति सुंदर कविता अभिव्यक्ति का निराला ढंग वाहहहहह,,,,सफ़ल रचना,

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