For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आईने में सिंगार कौन करे (फिलबदीह ग़ज़ल 'राज')

2122     1212  22

.

दिल को फिर बेकरार कौन करे

आपका ऐतबार कौन करे

 

कत्ल का दिन अगर मुकर्रर है

 ज़िन्दगानी से प्यार कौन करे

 

तीर मुड़ जाएगा मेरी जानिब

 जानकर ये शिकार कौन करे

 

मैं शिनावर हूँ तैर जाऊँगा

नाव का इंतजार कौन करे

 

उनकी आँखे मेरे लिये काफी

 आईने में सिंगार कौन करे

 

जानकर ये मेरा कफस इतना

जिस्म को हद से पार कौन करे

 

होगा मेरा तो लौट आयेगा

मिन्नते बार बार कौन करे

 

जब नजर से ही काम चल जाए

तीर को  दागदार कौन करे

 

इश्क की पुरखतर सदा  राहें

हैं मगर  ये विचार कौन करे

 

चाँद तारों की आरजू है तुम्हें  

काम ये ख़ाकसार  कौन करे

 

है मुख़ालिफ़ भले लहू अपना   

रब्त को दरकिनार कौन करे  

.

-----मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 2114

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on September 25, 2017 at 9:19pm
जनाब राम अवध जी आदाब,//'आईने में सिंगार कौन करे'इस मिसरे को थोड़ा सुधारने की जरूरत है । क्योंकि ये सिंगर शब्द मिसरे को बे बह्र कर रहा है ।//
ये मिसरा पूरी तरह बह्र में है जनाब,लगता है आपने 'सिंगार'शब्द का वज़्न 221 ले लिया है'सिनगार'की तरह,जबकि यहाँ मेरे ख़य्यल में बहना ने इसे 121 के हिसाब से लिया है जो पूरी तरह दुरुस्त है, चूँकि ये ग़ज़ल में इस्तेमाल किया गया शब्द है,और उर्दू में इसे "सिंघार'लिखा और बोला जाता है,और इसमें 'न'हर्फ़ साकिन की हैसियत रखता है,मुमकिन है बहना यहाँ 'सिंघार'ही लिखना चाहती हों और टंकण त्रुटि के कारण 'सिंगार'हो गया,चूँकि ये शब्द ग़ज़ल में इस्तेमाल किया गया है इसलिए मैं पूरे वसूक़ से कह सकता हूँ कि इसकी मात्रा 121 ही मान्य होगी,अगर ये शब्द किसी छन्द में होता तो 221 की संभावना बद्व जाती,लेकिन ये ग़ज़ल है इस लिहाज़ से ये मिसरा पूरी तरह बह्र में है ।
Comment by Mahendra Kumar on September 25, 2017 at 8:34pm

आ. राजेश मैम, बहुत अच्छी लगी आपकी ग़ज़ल. ये अशआर विशेष रूप से पसन्द आये :

दिल को फिर बेकरार कौन करे

आपका ऐतबार कौन करे

जब नजर से ही काम चल जाए

तीर को  दागदार कौन करे

आ. राज साहिब से मैं भी सहमत हूँ. यहाँ "कत्ल का दिन अगर मुकर्रर है" "क़त्ल" की जगह "मौत" शब्द का प्रयोग बेहतर है.

हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by दिनेश कुमार on September 25, 2017 at 8:10pm
आ राजेश जी। अच्छी ग़ज़ल के लिए वाह वाह ।
फिलबदीह होने की वजह से अशआर में रवानी थोड़ी कम लगी। बाक़ी उस्ताद लोग कह सकते हैं।
Comment by SALIM RAZA REWA on September 25, 2017 at 8:02pm
आ. राजेश कुमारी जी, ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई,
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on September 25, 2017 at 3:37pm
आदरणीया राजकुमारी जी
नमस्कार
खूबसूरत ग़ज़ल कहने के लिये बधाई।
' आईने में सिंगार कौन करे ' इस मिसरे को थोड़ा सुधारने की जरूरत है। क्योंकि ये सिंगार शब्द मिसरे को बेबह्र कर रहा है।
Comment by राज़ नवादवी on September 25, 2017 at 3:01pm

आदरणीया राजेश जी, इस सुन्दर ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए दिली मुबारकबाद. कुछ अशआर खासकर काफी पसंद आए- 

तीर मुड़ जाएगा मेरी जानिब

 जानकर ये शिकार कौन करे

जब नजर से ही काम चल जाए

तीर को  दागदार कौन करे

वाह वाह 

मतला भी ख़ूबसूरत बना है- 

दिल को फिर बेकरार कौन करे

आपका ऐतबार कौन करे

अति सुन्दर. क्या क़त्ल की जगह मौत का इस्तेमाल बेहतर होगा? दूसरा शेर. 

Comment by Afroz 'sahr' on September 25, 2017 at 2:52pm
मोहतरमा राजेश कुमारी जी आदाब बहुत अच्छी ग़ज़ल है शेर दर शेर दाद पेश ए ख़िदमत है कुबूल फ़रमाएँ ।
Comment by Sushil Sarna on September 25, 2017 at 2:17pm

जब नजर से ही काम चल जाए
तीर को दागदार कौन करे....
वाह बहुत उम्दा ग़ज़ल की प्रस्तुति की है आपने आदरणीया राजेश कुमारी जी. हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by Mohammed Arif on September 25, 2017 at 1:29pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन और ख़ूबसूरत ग़ज़ल ।हर शे'र लाजवाब है । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय प्रेम जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले ग़ौर…"
51 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ ,बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियाँ क़ाबिले…"
54 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
1 hour ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
2 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service