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बिन मौसम बरसात ( कविता)

बिन मौसम बरसात कहीं 

साथ  होती है यादें 

रिम झिम रिम झिम बरसे पानी 

साथ होती हैं बातें 

उस नदी की अल्हड लहरें 

साथ होती है रातें 

आसमान पर चाँद सितारे 

बादल गीत हैं गातें

कल कल करता बहता पानी 

कागज़ की नाव बहाते 

चल मुसाफिर चलता चल तू 

साथ नहीं कोई आते 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 539

Comment

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 1, 2017 at 9:33am
Dhanyawad adarniya Mohammad Arif ji
Comment by Mohammed Arif on June 1, 2017 at 8:19am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब,संक्षिप्त किंतु भावपूर्ण रचना । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on May 31, 2017 at 10:01pm

धन्यवाद् आदरणीय श्याम नारायण जी

Comment by Shyam Narain Verma on May 31, 2017 at 3:43pm
सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर

कृपया ध्यान दे...

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