For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चोचले (लघुकथा )राहिला

"देख जरा कैसी मशहूर होकर देश-विदेश में चर्चा का विषय बन गई अपनी शादी । और तो और पूरे दो लाख खर्च किये मालिक ने हमारी शादी पर।"
"हूंहsss...।"उसने बुरा सा मुंह बनाया ।
"क्यूं तुझे खुशी ना हो रही?तू टी.व्ही. पर आयेगी,अखबार में छपेगी ।"
"देखो..,अगर तुम ये सोचकर खुश हो रहे हो कि हमारी शादी हो जायेगी और मैं हमेशा के लिये खूंटा गाड़ कर सिर्फ तुमसे बंधी रहूंगी तो ये ख्याल अपने दिलोदिमाग से निकाल दो ।मैं इन इंसानो के चोचलों में अपनी आजादी, अपना जन्म सिद्ध अधिकार नहीं खो सकती । "
ऊंँटनी तुनक के ऊंट से बोली ।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 875

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on May 24, 2016 at 8:36pm
बहुत, बहुत शुक्रिया आदरणीया नीता दी! आपने रचना के मर्म को खूब समझा ।सादर नमन
Comment by Nita Kasar on May 24, 2016 at 5:43pm
प्रतीकों के माध्यम से आपने सुघड कथा लिखी है,ये केवल पब्लिसिटी का नमूना है कथा संदेशप्रेरक है बधाई आपको आद०राहिला जी ।
Comment by Rahila on May 23, 2016 at 4:02pm
बहुत शुक्रिया आदरणीय उस्मानी जी!लेकिन यहाँ आद. प्रतिभा दी! की टिप्पणी, रचना के ज्यादा करीब है ।सादर
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on May 23, 2016 at 1:39pm
यहाँ मैं आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी की व आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी की बेहतरीन सार्थक सटीक टिप्पणियों से सहमत हूँ। सादर
Comment by Rahila on May 22, 2016 at 10:14pm
हां आद. प्रतिभा दी! मैं बिलकुल यही कहना चाह रही थी। बहुत दुःख होता है ये सब देखकर । आपने रचना के मर्म को हूबहू समझा ।सादर आभार, सादर नमन ।
Comment by pratibha pande on May 22, 2016 at 9:32pm

यहाँ पर चोंचलों का  इंगित विवाह संस्था नहीं है बल्कि वो आडम्बर हैं जो इसके साथ जुड़े हैं ,कई विदेशी जोड़े भारत में आकर भारतीय ढंग से विवाह करते हैं सिर्फ  भारी भरकम rituals का फील लेने के लिए ,उनके पीछे की आस्थाओं से उन्हें कोई मतलब नहीं ,हमें वो अब भी साँप नचाने वालों का देश ही समझते हैं,   ऊँट  के प्रतीक भी सटीक  हैं ,  मुझे आपकी कथा गजब की लगी ,  बधाई प्रेषित है 

Comment by Rahila on May 22, 2016 at 1:28pm
बहुत, बहुत शुक्रिया आदरणीय परवेज साहब! आपने रचना को पसंद किया ।सादर
Comment by Parvez khan on May 21, 2016 at 3:43pm
बहुत सुन्दर हमारे समाज मे इंसानो की शादी होती है जिसमे दो परिवार दो लोग एक होते है जो इन सब रिश्तो को समझते है और निभाते है लेकिन जानवर......
राहिला जी आपने सही कहा फिजूल खर्ची...
Comment by Rahila on May 19, 2016 at 11:19pm
मैं चोचले विवाह कतई नहीं हैं। के स्थान पर, यहाँ चोचलों का आशय विवाह कतई नहीं है ,पढ़ियेगा।सादर
Comment by Rahila on May 19, 2016 at 11:14pm
आद. गोपाल सर जी! आपकी अनमोल प्रतिक्रिया पढ़ कर ऐसा लगा शायद मैं जो संदेश देना चाह रही थी वो अर्थ का अनर्थ हो गया । मैं चोचले विवाह कतई नहीं है ।लेकिन जानवरों का विवाह...?जो इस पवित्र बंधन का मतलब ही नहीं समझते ।ऊंटनी द्वारा जो संवाद कहलाये वो ये दर्शाते है कि जानवर तो जानवर जैसा ही आचरण करेंगे । फिर उनका विवाह कराकर इंसान क्या फिजूल खर्च और चोचले नहीं कर रहा ।विवाह एक बहुत अहम और सम्माननीय संस्कार है हम भारतीयों का ,उसका मजाक बना कर रखने वालों पर है ये रचना । ना कि आजादी की पैरवी करती । आपने अपना अमूल्य समय दिया रचना को सादर आभार । कोटि-कोटि नमन ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"धन्यवाद"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"ऑनलाइन संगोष्ठी एक बढ़िया विचार आदरणीया। "
12 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"इस सफ़ल आयोजन हेतु बहुत बहुत बधाई। ओबीओ ज़िंदाबाद!"
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"बहुत सुंदर अभी मन में इच्छा जन्मी कि ओबीओ की ऑनलाइन संगोष्ठी भी कर सकते हैं मासिक ईश्वर…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion

ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024

ओबीओ भोपाल इकाई की मासिक साहित्यिक संगोष्ठी, दुष्यन्त कुमार स्मारक पाण्डुलिपि संग्रहालय, शिवाजी…See More
Sunday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय जयनित जी बहुत शुक्रिया आपका ,जी ज़रूर सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय संजय जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
Saturday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से जानकारी…"
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"बहुत बहुत शुक्रिया आ सुकून मिला अब जाकर सादर 🙏"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"ठीक है "
Saturday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"शुक्रिया आ सादर हम जिसे अपना लहू लख़्त-ए-जिगर कहते थे सबसे पहले तो उसी हाथ में खंज़र निकला …"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167
"लख़्त ए जिगर अपने बच्चे के लिए इस्तेमाल किया जाता है  यहाँ सनम शब्द हटा दें "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service