For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लोकतंत्र की करवट ( लघु-कथा ) - डॉo विजय शंकर

नेता जी क्षेत्र का दौरा करके लौट रहे थे।
कुछ निराश , कुछ हताश। क्षेत्र वाले अपनी सुना रहे थे , नेता जी अपनी लगाए थे। नेता जी को कोई बात बनती नज़र नहीं आ रही थी।
" फिर आते हैं ", कह कर वापस हो लिए।
कार में बड़बड़ाते हुए निजी स्टाफ से बोले ," ये नहीं सुधरेंगे " . थोड़ा रुक कर फिर बोले ," हमारे सुधरने का इंतज़ार करेंगे " .

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 4, 2016 at 6:42pm
आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय जी , बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 4, 2016 at 6:42pm
आदरणीय तेजवीर सिंह जी , बहुत बहुत आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 4, 2016 at 8:50am
प्रिय मिथिलेश वामनकर जी , मुझे लगता है जनता कुछ कुछ समझने लगी है , अभी उनकों यह समझ में नहीं आ रहा है। रचना पर उपस्थिति एवं प्रशांति हेतु आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 4, 2016 at 8:47am
आदरणीय सुशील सरना जी , आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Omprakash Kshatriya on May 4, 2016 at 7:58am
आदरणीय विजय शंकर जी शीर्षक को सार्थक करती बढ़िया लघुकथा रची है आप ने. बधाई इस लघुकथा के लिए.
Comment by TEJ VEER SINGH on May 3, 2016 at 4:24pm

हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ विजय शंकर जी!बहुत सुंदर लघुकथा!नेताओं की पैतरेबाज़ी को अब जनता भी खूब समझने लगी है!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 3, 2016 at 3:51pm

आदरणीय विजय शंकर सर, आज राजनेता और आमजन के बदलते समीकरणों को क्या खूब उभारा है आपने. इस शानदार लघुकथा पर हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Sushil Sarna on May 3, 2016 at 1:05pm

आदरणीय विजय शंकर जी एक गहनता को समेटे इस सुंदर लघुकथा की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई। 

Comment by Dr. Vijai Shanker on May 3, 2016 at 4:09am
आदरणीय गणेश जी " बागी " जी , बहुत सही प्रतिक्रिया , नेता जी कच्चे , अब यह कच्चापन लोग समझने लगे हैं , क्योंकि लोग खुद पक चुके हैं। रचना पर बधाई के लिए ह्रदय से आभार एवं धन्यवाद , सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on May 3, 2016 at 4:05am
आदरणीय सुनील कुमार वर्मा जी , रचना पर बधाई के लिए आभार एवं धन्यवाद , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service