For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धारा-387 :लघुकथा: हरि प्रकाश दुबे

“अंकल, जरा अपना मोबाइल फ़ोन दे दीजिये I"

“पर क्यों बेटा, तुम्हारे फ़ोन को क्या हुआ?”

“घर पर पिताजी बीमार हैं, माँ से बात कर रहा था, तभी फ़ोन की बैटरी डिस्चार्ज हो गयी, और देखिये ना यहाँ पर कोई चार्जिंग की जगह भी नहीं है, प्लीज अंकल, ज्यादा बात नहीं करूंगा, चाहे तो पैसे .. I"

“अरे नहीं, पैसे की कोई बात नहीं है बेटा, ये लो आराम से बात करो I"इतना कहते हुए शर्मा जी ने अपना फ़ोन उस नौजवान को दे दिया, और कुछ ही देर बाद वह लड़का वापस आया और बोला, “आपका बहुत-बहुत धन्यवाद अंकल, अब जाकर मन को तसल्ली हुई है, लीजिये! मेरा स्टेशन भी आ गया, अच्छा चलता हूँ I"

“अरे, धन्यवाद तो तुम्हारा करना चाहिये की तुमने मुझे सेवा का मौका दिया I"-शर्मा जी ने बड़ी विनम्रता से प्रत्युत्तर में कहा और करीब एक घंटे बाद वह भी मन में सन्तोष का भाव लिए घर पहुँच गए, पर वहाँ उनके स्वागत में पुलिसकर्मी तैनात थे I

“आत्मप्रकाश शर्मा आप ही हैं?"    

                           

“जी हाँ, कहिये क्या बात हो गयी?”

“वाह, बड़े अनजान बन रहे हैं, चलिए थाने, जानते हैं किसके ऊपर हाथ डाला है आपने?”

“साहब, कोई ग़लतफ़हमी हुई है, मैंने किया क्या है?” तभी एक सिपाही बोला -“अबे शर्मा, चल बैठ गाडी में, बाकी तेरे वहीँ समझ आ जाएगा I"

मैं भी साथ चलूंगी, उनकी पत्नी ‘सावित्री’ ने कहा I नहीं, तुम क्या करोगी, मैं अभी आ जाऊंगा, कोई अपराध थोड़ी किया है मैंने, तुम चिंता मत करना, कहकर शर्मा जी चल दिए I

“अब कल तक आदरणीय रहे ‘आत्मप्रकाश शर्मा’ जी आज एक अपराधी की तरह थाने में लाये गए, वहाँ थानाध्यक्ष ने अग्रवाल साहब( शहर के एक नामी बिल्डर), से कहा, ‘लीजिये साहब, यही है आपसे २० लाख रंगदारी मांगने वाला और इसी ने आपको पैसा न देने पर जान से मारने की धमकी भी दी थी’, हमने कॉल रिकॉर्ड निकलवा ली है, अब बताइये क्या करना है I"

“ठीक है, दर्ज कीजिये F.I.R, लगाइए धारा-387, पता करिए और कौन-कौन इसके साथ शामिल हैं, सुबह प्रेस में यह बात चली जानी चाहिये, ताकी दूसरा कोई ऐसी हिमाकत न कर सके, बाकी कोर्ट में देखेंगे  I"- अग्रवाल साहब ने कहा I

“अग्रवाल साहब सुनिये, अरे सुनिए तो सही, मैंने कुछ नहीं किया है, वो तो ट्रेन में ... I"

“दीवान जी, ये शर्मा बहुत बोल रहा है जरा इसको चुप तो करवाइए, अग्रवाल साहब आपसे  निवेदन है आप घर जाइए I” --थानेदार के इतना कहते ही शर्मा जी पर सिपाही टूट पड़े और हर थप्पड़ के साथ शर्मा जी चिल्ला रहे थे, “सावित्री अपना फ़ोन किसी को मत देना I"

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित"

         

 

Views: 2197

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on March 5, 2016 at 10:30am

अच्छा सन्देश देती हुई सुन्दर लघु कथा..बढ़िया सीख

भ्रमर ५ 

Comment by pratibha pande on March 3, 2016 at 7:31pm

  फोन के  साथ  जुड़े खतरों से आगाह करती अच्छी  रचना  ,हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय हरी प्रकाश जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on March 3, 2016 at 11:54am

हार्दिक बधाई आदरणीय हरि प्रकाश जी!अच्छी एवम  शिक्षाप्रद प्रस्तुति!

Comment by UMASHANKER MISHRA on March 1, 2016 at 11:15pm

बढ़े धोके हैं विश्वास में .....सोच समझ के ...यहाँ जीना दुश्वार हो गया... बहुत अच्छी लघु कथा बढ़िया सीख 

हार्दिक बधाई हरी प्रसाद जी 

Comment by Sushil Sarna on March 1, 2016 at 8:29pm

बिलकुल सही बात कही है आदरणीय।  आजकल यही सब हो रहा है। शातिरों के शिकार अक्सर शरीफ ही हुआ करते हैं। इस संदेशप्रद लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई सर। 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 1, 2016 at 8:15pm

वाह बेहतरीन लघुकथा हुई है ...आजकल ऐसा होने भी लगा है ...अपना फोन बचाकर रखना चाहिए अच्छी सीख. आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी!

Comment by Manan Kumar singh on February 29, 2016 at 9:04pm
भरोसा कत्ल कह लें। अच्छी कथा हुई है आदरणीय।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
11 hours ago
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service