For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

** कविता::सियाचीन के शहीदों के नाम **

सौ बार जनम दे मां मुझको, सौ बार तुझी पर मरना है,
सौ बार ये तूफां आने दे, बाहों में इसको भरना है,
ख्वाब है मेरा मां तुझपर सौ बार लुटानी हैं सांसे,
सौ बार तेरी गोदी में सोकर फख्र खुदी पर करना है,
जमती अन्तिम सांस ने जब ये शेरों की मानिन्द कहा,
तब वीरों के इस जज्बे को हर दुश्मन ने जय हिंद कहा ll

जो तूफां की सरशैया पर हंसते-हंसते लेटा हो,
हंसकर उसकी मां बोली हर मां का ऐसा बेटा हो,
फख्र है मुझको जाते-जाते सियाचीन की गोद भर गया,
खाली मेरी गोद नहीं वो मेरी गोद भी अमर कर गया,
अन्तिम लफ्ज में भी जिसने नमन तुझे ऐ सिंध कहा,
उन वीरों के सजदे में हर दुश्मन ने जय हिंद कहा ll

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

-इंजी. आनन्द सागर पान्डेय

Views: 735

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er Anand Sagar Pandey on February 13, 2016 at 12:52pm
सादर आभार आदरणीय सतविंदर जी l
Comment by Er Anand Sagar Pandey on February 13, 2016 at 12:46pm
सादर आभार आदरणीया Rahila जी l
Comment by Er Anand Sagar Pandey on February 13, 2016 at 12:45pm
सादर आभार आदरणीय kewal prasad जी l
Comment by Er Anand Sagar Pandey on February 13, 2016 at 12:44pm
सादर आभार आदरणीय sharadindu जी l

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by sharadindu mukerji on February 12, 2016 at 9:22pm
अत्यंत समयोचित, प्रेरणादायक सार्थक रचना के लिए आपको साधुवाद भाई आनंद सागर जी.सादर.
Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on February 12, 2016 at 7:41pm

गौरवांवित करती रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई. सादर

Comment by Rahila on February 12, 2016 at 7:05pm
बहुत सुन्दर कविता । शहीदों के लिये आंसू नहीं बहाने चाहिये लेकिन हृदय ही रो पड़े तो क्या कहिये । इस भाव पूर्ण प्रस्तुति के लिये बहुत बधाई आदरणीय !
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 12, 2016 at 6:52pm
सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service