For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुल्लक - (लघुकथा ) –

गुल्लक -  (लघुकथा ) –

"क्या कमला,तूने तो परेशान करके रख दिया!आज तीन दिन बाद शक्ल दिखाई है"!

"मैम साब, मैं क्या करूं,आप ही बताओ,मेरा बेटा अस्पताल में भर्ती है,मुझे दो हज़ार रुपये चाहिये"!

"कमला,तू पहले ही दो महीने की पगार एड्वांस ले चुकी है"!

" एक एक पैसा चुका दूंगी ,मैम साब"!

"कमला, इस बार तो तू मुझे माफ़ कर दे, मेरे पास नहीं है इतने पैसे"!

सुनीता की सात साल की बेटी मिनी यह वार्तालाप सुनकर अपने कमरे में से बाहर निकली,

"कमला काकी, यह लो सत्रह सौ पचास रुपये, इनसे आप बबलू का इलाज़ करा लो"!

"मिनी ,तुम्हारे पास इतने पैसे कहॉ से आये"!

"मम्मी, मैंने अपनी गुल्लक तोड दी"!

"पर मिनी, वह पैसे तो तुम अपनी गुडिया की शादी के दहेज़ के लिये इकट्ठा कर रही थी"!

"मम्मी, बबलू का इलाज़ ज़्यादा ज़रूरी है,  मेरी गुडिया की शादी तो बिना दहेज़ के भी हो सकती है”!

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 611

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on January 19, 2016 at 12:42pm

हार्दिक आभार अदरणीय गिरिराज भंडारी जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 18, 2016 at 7:48am

आदरनीय तेज़वीर भाई , आपकी संदेश परक लघुकथा के लिये दिली बधाई ।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 13, 2016 at 7:15pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी!आप सरीखे गुणी और पारखी सख्सियत की हौसला अफ़ज़ाई मेरे जैसे मामूली लघुकथाकार के लिये बहुत मायने रखती है!कृपा बनाये रखें!

Comment by TEJ VEER SINGH on January 13, 2016 at 7:10pm

हार्दिक आभार आदरणीय मुकेश श्रीवास्तव जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on January 13, 2016 at 7:04pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी!यह सब आप जैसे गुणी लोगों की सोहबत का असर है!पुनः आभार!

Comment by Samar kabeer on January 13, 2016 at 5:56pm
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,कमाल लिखते हैं आप,इस शानदार सबक़ आमोज़ लघुकथा के लिये ढेरों बधाई स्वीकार करें |
Comment by MUKESH SRIVASTAVA on January 13, 2016 at 3:59pm

niceee

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 13, 2016 at 3:11pm
वाााह... सहजता से गंभीर बात कहते हुए संदेश वाहक प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय तेज वीर सिंह जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted discussions
11 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बहुत सुंदर अभिव्यक्ति हुई है आ. मिथिलेश भाई जी कल्पनाओं की तसल्लियों को नकारते हुए यथार्थ को…"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश भाई, निवेदन का प्रस्तुत स्वर यथार्थ की चौखट पर नत है। परन्तु, अपनी अस्मिता को नकारता…"
Thursday
Sushil Sarna posted blog posts
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार ।विलम्ब के लिए क्षमा सर ।"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया .... गौरैया
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी । सहमत एवं संशोधित ।…"
Jun 5
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .प्रेम
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभार आदरणीय"
Jun 3
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .मजदूर

दोहा पंचक. . . . मजदूरवक्त  बिता कर देखिए, मजदूरों के साथ । गीला रहता स्वेद से , हरदम उनका माथ…See More
Jun 3

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सुशील सरना जी मेरे प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Jun 3
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई "
Jun 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक मधुर प्रतिक्रिया का दिल से आभार । सहमत एवं…"
Jun 2

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service