For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकांत - आस्तीन मे छुपे सांप ( गिरिराज भंडारी )

आस्तीन मे छुपे सांप

*****************

किसी हद तक सच भी है

आपका कहना

चलो मान लिया

 

आस्तीन मे छुपे सांप

हमारी रक्षा के लिये होते हैं

और हमे काट के या  डस के अभ्यास करते हैं

ताकि हमारा कोई दुश्मन हमपे वार करें

तो ,

हमें ही काट के किया गया अभ्यास काम आये

 

अब सोचिये न

क्या दुशमनी हो सकती है हमारे से ?

उस चूहे की

जो हमारे ही घर मे रह के

हमारे ही अन्न जल मे पलके बड़ा होता है
मोटा होता है

और हमारे ही कपड़ों को कुतर कुतर के

हमें , अकारण नुक्सान पहुँचाता है

कोई दुश्मनी नहीं , है न !

वो तो बस , अपनें दाँत पैने करता है बेचारा

ताकि , हमारे दुश्मनों  के साथ कभी लड़ सके

परास्त कर सके उनको

ये बात और , कि

जब वक़्त आता है सच में

वो अपने बिल मे छुप जाता है

 

फिर भी हमे तो मान ही लेना चाहिये , क्यों भाई साब ?

 

चूहा भी स्वामी भक्त होता है

कुत्तों की तरह ,

 

सच कहते हैं आप  ।

******************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on November 30, 2015 at 11:18pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी,आदाब,अतुकांत कविता में आपका जवाब नहीं हम पहले ही तस्लीम कर चुके हैं,आपने जिस विषय को छेड़ा है आपके क़लम ने उसे सार्थक कर दिया है,ढेरों दाद के साथ बधाई स्वीकार करें ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 30, 2015 at 7:48pm

आ० अनुज , आपका पैना चिंतन  प्रभावित करता है , इस विधा पर भी आप की जय हो रही है .

Comment by Ravi Shukla on November 30, 2015 at 1:16pm

आदरणीय गिरिराज जी अतुकांत में आपके भाव शानदार तरीके से सामने आते है धीरे धीरे गिरह खोलते हुए बात को कह जाती है आपकी अतुकांत कविता । छंदो के प्रति आग्रही होने के उपरांत भी इन दिनों कई ऐसी कविताएं आई है पढनें में जो अतुकांत के प्रति हमारी असहिष्‍णुता पर चोट करती चलती है आपकी कविता भी इसी तरह की है सीधे सीधे समझ में आने वाली आदरणीय गोपाल नारायण जी की कबीर पर रचित कविता भी इसी तरह की है । बहुत बहुत बधाई स्‍वीकार करें । सादर

Comment by प्रदीप नील वसिष्ठ on November 29, 2015 at 4:19pm

आदरणीय भंडारी जी आप गजब का व्यंग्य रच सकते हैं।  विधा बदल कर लेख पर आ जाएँ तो बहुत बढ़िया लेख दे पाएँगे , ऐसा मेरा विश्वास है 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 28, 2015 at 8:13pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी!बेहतरीन व्यंग्य! बहुत सुन्दर प्रस्तुति!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service